BAMCEF UNIFICATION CONFERENCE 7

Published on 10 Mar 2013 ALL INDIA BAMCEF UNIFICATION CONFERENCE HELD AT Dr.B. R. AMBEDKAR BHAVAN,DADAR,MUMBAI ON 2ND AND 3RD MARCH 2013. Mr.PALASH BISWAS (JOURNALIST -KOLKATA) DELIVERING HER SPEECH. http://www.youtube.com/watch?v=oLL-n6MrcoM http://youtu.be/oLL-n6MrcoM

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Thursday, June 21, 2012

Fwd: भीष्म कुकरेती क गढवळि कवि श्री महेन्द्र राणा जी दगड छ्वीं



---------- Forwarded message ----------
From: Bhishma Kukreti <bckukreti@gmail.com>
Date: 2012/6/20
Subject: भीष्म कुकरेती क गढवळि कवि श्री महेन्द्र राणा जी दगड छ्वीं
To: kumaoni garhwali <kumaoni-garhwali@yahoogroups.com>


 भीष्म कुकरेती क  गढवळि कवि श्री महेन्द्र राणा जी दगड छ्वीं


भीष्म कुकरेती - आप साहित्यौ दुनिया मा कनै ऐन?

महेन्द्र राणा – पैलाग गुरुवर जी। जब यु सवाल म्यारा मन मा भी आन्दु त
मिते येकु जबाब ते भौsत दूर जाण पड़दु। मि साहित्य मा कनै ऐन येगा
पिछ्यड़ी माँ भगवती की कृपा छन, सन २००० मा जब माँ भगवती की राज जात
यात्रा हुणि छे त वे बकत म्यारा घौर मा एक चौसिंगया खाड़ू पैदा ह्वे अर
वे बकत मि दर्जा आठ मे पड़दु छौ अर राज जात यात्रा का बारा मा भी नि
ज्यांदू छौं, मिते भौत उत्सुकता छे ये का बारा मा भौत कुछ ज्याणु पर
लुगों का मतभेद ही मिली कोसिस करी की कखी कुछ लिख्यु होलु पर वे बकत कुछ
नि मिली। तबी मिन स्वाच की अगिना जै के मि राज जात यात्रा पर एक किताब
लिखलु, वे बकत मन मा एक ग्येड़ बांधी अर अभी तक वु ग्येड़ खुली नि चा।

भी.कु.- वा क्या मनोविज्ञान छौ कि आप साहित्यौ तरफ ढळकेन?
महेन्द्र राणा – जब मिन स्वाच की मि एक किताब लिख्लु त कनै लिख्लु, मेरी
लिखी किताब लुगौं का पसंद नि आली त मेरु लिख्यु क्या फैदा मिन और कुछ
लिख्ण की तैयारी करी अर जब मि दसवीं मा पड़दु छि त मिन एक कविता लिखी।
धीरे-धीरे मिन और कविता भी लिखी अर आज भी लिख्णु चा।

भी.कु.- आपौ साहित्य मा आणो पैथर आपौ बाळोपनs कथगा हाथ च?
महेन्द्र राणा – मेरी बाळोपन की सोच ही मिते साहित्य की तरफ खिचणी चा।


भी.कु- बाळपन मा क्या वातवरण छौ जु सै त च आप तै साहित्य मा लै?

महेन्द्र राणा – बाळपन मा मेरी दादी कु लाड़-प्यार अर माँजी, दादी की
सुनाई औखाण-कथा।

भी.कु.- कुछ घटना जु आप तै लगद की य़ी आप तै साहित्य मा लैन !
महेन्द्र राणा – इनी क्वै खास घटना नि घटी पर राज जात यात्रा पर किताब
लिख्णु का बाना ही मेरो साहित्य से नाता जुड़ी।


भी.कु. - क्या दरजा पांच तलक s किताबुं हथ बि च?

महेन्द्र राणा – दरजा पाँच तलक की किताबुं कु त सबसे खास हथ छ, वे बकत की
पढ़ी किताबुन ही मिते आज यख तक पौंछाई।

भी.कु.- दर्जा छै अर दर्जा बारा तलक की शिक्षा, स्कूल, कौलेज का वातावरण

को आपौ साहित्य पर क्या प्रभाव च?

महेन्द्र राणा – दरजा छै अर बारा तलक द मि साहित्य का बारा मा ज्यांदु भी
नि छे पर अपरोक्ष रूप मा आज भी वें बकत शिक्षा मेरा साहित्य मा भौत
प्रभाव डाल्दी।


भी.कु.- ये बगत आपन शिक्षा से भैराक कु कु पत्रिका, समाचार किताब पढीन जु
आपक साहित्य मा काम ऐन?

महेन्द्र राणा – अभी मि साहित्य मे भली के रची-बसी नि अर कभी कभार ही
क्वै पत्रिका, किताब पड़दु। आज इंटरनेट मा ही मि ज़्यादातर साहित्य ते
पढ़दु अर जै की जरूरत पड़दी इन्टरनेट मे ही खोज्यांदु।


भी.कु- बाळापन से लेकी अर आपकी पैलि रचना छपण तक कौं कौं साहित्यकारुं
रचना आप तै प्रभावित करदी गेन?

महेन्द्र राणा – मेरी पैलि रचना १६ फरबरी २००६ मा छपी, वें बकत तक मिन
सिर्फ बारवीं दरजा तलक का किताबु मा छपी साहित्यकारु की रचना ही पढ़ी चि।

भी.कु.- आपक न्याड़ ध्वार, परिवार, का कुकु लोग छन जौंक आप तै परोक्ष अर

अपरोक्ष रूप मा आप तै साहित्यकार बणान मा हाथ च?

महेन्द्र राणा – मिते साहित्यकार बनाण मा म्यारा दगरियोंक सबसे ज्यादा
भागीदारी छ जूं परोक्ष रूप मा साथ दिन्दा अर परिवार का लोग भी अपरोक्ष
रूप मा साथ दिन्दा, अभी तक त मेरी माँ जी अर पिताजी तें पता भी नि च की
कवितायें भी करदु।


भी.कु- आप तै साहित्यकार बणान मा शिक्षकों कथगा मिळवाग च?

महेन्द्र राणा – शिक्षकौं कु त भौत मिलवाग च, शिक्षकोन जु भी पढ़ाई दिल
लगै के पढ़ाई।

भी .कु.- ख़ास दगड्यों क्या हाथ च /
महेन्द्र राणा – दगड्यों कु त भौत हथ च, दगड्योन हमेशा ही मेरु हौसला
बढ़ाई अर हर बकत मेरी मदद भी करी।

भी.कु.- कौं साहित्यकारून /सम्पादकु न व्यक्तिगत रूप से आप तै उकसाई की

आप साहित्य मा आओ

महेन्द्र राणा – साहित्य मा आणु तै मिते कैन नि उकसाई अर न ही पैलि क्वै
साहित्यकार /सम्पादक दगड़ी ज्याण-पछयाण रै।

भी.कु.- साहित्य मा आणों परांत कु कु लोग छन जौन आपौ साहित्य तै निखारण मा मदद दे?
महेन्द्र राणा – मिते नि लग्दु कि मि साहित्य मा अभी भली के आई, न ही
क्वै मेरी रचनाओं तें निखारण मे मदद करणा छन। पर आपका मेल अर इंटरनेट
पोस्ट मेरी भौत मदद करदी अर इंटरनेट मा औरी साहित्यकारुक की रचना भी
पढ़ते रोन्दु जूं थोड़ी भौत मेरी रचनाओं मा निखार ल्यान्दी।

धन्यवाद श्री कुकरेती जी आपन अपना कीमती बकत मा म्ये दगड़ छ्वी लगाणु कु मन बनाई।

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Regards
B. C. Kukreti


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