---------- Forwarded message ----------
From: reyaz-ul-haque <beingred@gmail.com>
Date: 2012/5/2
Subject: लफ्फाजी क्रांतिकारी व्यवहार का विकल्प नहीं हो सकती
साथियों को यह समझना पड़ेगा कि सिर्फ मे-डे कॉफी हाउसों, सिनेमा उत्सवों और चमक-दमक से भरे कार्यक्रमों से न क्रांति मुमकिन है और न ही आंदोलनों में जनता की गोलबंदी. एक समय लाल के साथ लोगों के जुड़ने की वजह सिर्फ यह थी कि वे लोग जमीन पर उनके साथ लड़ रहे थे. लेकिन गलत राजनीतिक समझ उनको जमीनी लड़ाई में भी नाकामी और फिर गलत रास्ते पर ले गई और सांस्कृतिक लड़ाई में भी पतन की तरफ ले आई है.
From: reyaz-ul-haque <beingred@gmail.com>
Date: 2012/5/2
Subject: लफ्फाजी क्रांतिकारी व्यवहार का विकल्प नहीं हो सकती
साथियों को यह समझना पड़ेगा कि सिर्फ मे-डे कॉफी हाउसों, सिनेमा उत्सवों और चमक-दमक से भरे कार्यक्रमों से न क्रांति मुमकिन है और न ही आंदोलनों में जनता की गोलबंदी. एक समय लाल के साथ लोगों के जुड़ने की वजह सिर्फ यह थी कि वे लोग जमीन पर उनके साथ लड़ रहे थे. लेकिन गलत राजनीतिक समझ उनको जमीनी लड़ाई में भी नाकामी और फिर गलत रास्ते पर ले गई और सांस्कृतिक लड़ाई में भी पतन की तरफ ले आई है.
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