BAMCEF UNIFICATION CONFERENCE 7

Published on 10 Mar 2013 ALL INDIA BAMCEF UNIFICATION CONFERENCE HELD AT Dr.B. R. AMBEDKAR BHAVAN,DADAR,MUMBAI ON 2ND AND 3RD MARCH 2013. Mr.PALASH BISWAS (JOURNALIST -KOLKATA) DELIVERING HER SPEECH. http://www.youtube.com/watch?v=oLL-n6MrcoM http://youtu.be/oLL-n6MrcoM

Welcome

Website counter
website hit counter
website hit counters

Friday, May 18, 2012

आईपीएल में सब कुछ काला ही काला, उजला कुछ भी नहीं

http://news.bhadas4media.com/index.php/dekhsunpadh/1408-2012-05-18-05-20-28

[LARGE][LINK=/index.php/dekhsunpadh/1408-2012-05-18-05-20-28]आईपीएल में सब कुछ काला ही काला, उजला कुछ भी नहीं   [/LINK] [/LARGE]
Written by सिद्धार्थ शंकर गौतम Category: [LINK=/index.php/dekhsunpadh]खेल-सिनेमा-संगीत-साहित्य-रंगमंच-कला-लोक[/LINK] Published on 18 May 2012 [LINK=/index.php/component/mailto/?tmpl=component&template=youmagazine&link=ffe2750247ae9d13e206951f82a6b57606404079][IMG]/templates/youmagazine/images/system/emailButton.png[/IMG][/LINK] [LINK=/index.php/dekhsunpadh/1408-2012-05-18-05-20-28?tmpl=component&print=1&layout=default&page=][IMG]/templates/youmagazine/images/system/printButton.png[/IMG][/LINK]
इंडियन प्रीमियर लीग (आईपीएल) में मैच फिक्सिंग से लेकर स्पॉट फिक्सिंग की बातें पहले भी उठती रही हैं किन्तु न तो भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड और न ही सरकार ने इस ओर कोई ठोस कदम उठाये। अब जबकि आईपीएल की चकाचौंध के पीछे का स्याह पक्ष इंडिया टीवी चैनल के स्टिंग आपरेशन के ज़रिये सामने आ चुका है तथा बीसीसीआई ने पाँचों खिलाड़ियों अभिनव बाली, टी. सुधीन्द्र (डेक्कन चार्जर्स), मोहनीश मिश्रा (पुणे वारियर्स), शलभ श्रीवास्तव तथा अमित यादव (किंग्स इलेवन पंजाब) को १५ दिनों के लिए निलंबित कर दिया है तथा पूरे मामले की जांच भी की जा रही है, उम्मीद की जानी चाहिए कि इस खेल की बड़ी मछलियां भी जांच के शिकंजे में आएँगी। ये पाँचों कोई बड़े नामी खिलाड़ी नहीं हैं मगर इन्होंने कैमरे के सामने जो कुछ भी कबूला है उसकी कड़ियों को जोड़ने पर मामला मैच या स्पॉट फिक्सिंग से अधिक इस खेल में चल रहे बेहिसाब पैसे के खेल से जुड़ा नज़र आ रहा है।

ऐसा प्रतीत होता है कि आईपीएल में काले धन को सफ़ेद करने की प्रक्रिया का दायरा बीसीसीआई के बूते से कहीं आगे निकल गया है। पर यहाँ बीसीसीआई की एकतरफा कार्रवाई से सवाल यह उठता है कि क्या मात्र इन पांच खिलाड़ियों को १५ दिनों के लिए निलंबित करने से इनकी टीम फ्रेंचाइजी के ऊपर लग रहे दाग धुल जायेंगे? मैं मानता हूँ कि किसी फ्रेंचाइजी पर सीधे उंगली नहीं उठाई जा सकती, पर यदि आईपीएल के अनजाने डोमेस्टिक खिलाड़ियों तक को अंदरखाते महंगी कारें और फ्लैट बतौर तोहफे में दिए गए हैं, तो समझा जा सकता है कि इस खेल में काले धन का कैसा इस्तेमाल हो रहा है? क्या बीसीसीआई और सरकार टीम फ्रेंचाइजी पर कोई कार्रवाई करेंगीं? शायद नहीं क्यूंकि बाजारवाद के चलते आईपीएल भी दोनों के लिए फायदे का सौदा साबित हो रहा है। फिर यह पहली बार नहीं कि आईपीएल को लेकर विवाद न हुए हों किन्तु सभी विवादों को दरकिनार कर यदि आईपीएल अब तक अपनी चमक बिखेर रहा है तो समझा जा सकता है कि अब बात सरकार और बीसीसीआई से इतर विशुद्ध रूप से धन के लेनदेन की ओर इंगित कर रही है जिसमें फायदा सभी उठा रहे हैं।

वैसे क्रिकेट में मैच फिक्सिंग या सट्टेबाजी कोई नई चीज नहीं है। मैच फिक्सिंग के आरोप सिद्ध होने पर पाकिस्तान के तीन बड़े क्रिकेटरों को जेल की हवा खानी पड़ी थी। वर्ष २००० में बीसीसीआई ने सट्टेबाजी की वजह से ही मोहम्मद अजहरुद्दीन, अजय जडेजा, मनोज प्रभाकर और अजय शर्मा पर कार्रवाई की थी। ऐसे कई खिलाड़ी हैं जिनका करियर ही फिक्सिंग की भेंट चढ़ गया पर ज्वलंत सवाल यह है कि बीसीसीआई और सरकारों ने क्रिकेट को साफ-सुथरा बनाने के लिए क्या किया? क्या सारी कवायद जनता के समक्ष खानापूर्ति मात्र थी? दरअसल क्रिकेट और खासतौर पर आईपीएल अब खेल के बजाय पूरा उद्योग बन गया है, जिसमें बहुत से लोगों के हित-अहित जुड़ गए हैं। यह कहना सही नहीं होगा कि स्पॉट फिक्सिंग के जो मामले अभी सामने आए हैं, वह सभी आईपीएल-पांच से ही जुड़े हों, क्योंकि यह स्टिंग पूरे एक साल के दौरान चला है लेकिन इससे यह तो पता चलता ही है कि देश में क्रिकेट की सबसे बड़ी मंडी के भीतर क्या कुछ चल रहा है। हाँ इतना ज़रूर है कि रफ़्तार और रोमांच के इस दौर में जनता को इसके स्याह पक्ष से कोई लेना देना नहीं है| उसे तो आखिरी गेंद पर बल्लेबाज द्वारा मारा गया छक्का याद रहता है और इसी की चर्चा करना उसका मुख्य शगल बन चुका है। बाजारवाद में उसकी सोचने की शक्ति को कुंद कर दिया है जिसका फायदा टीम फ्रेंचाइजी और खिलाड़ी उठा रहे हैं।

राजनीति और खेल के बेमेल गठबंधन के चलते भी क्रिकेट को जमकर नुकसान हुआ है जिसका असर खेल प्रबंधन पर निश्चित रूप से पड़ा है। यही कारण है कि टीम फ्रेंचाइजी के विरुद्ध कार्रवाई करने की हिम्मत सरकार के बस में तो नहीं है। बीसीसीआई से भी निष्पक्ष जांच की उम्मीद बेमानी है क्यूंकि बीसीसीआई के अध्यक्ष श्रीनिवासन चेन्नई टीम के मालिक भी हैं। ज़रा सोचिए, जब बीसीसीआई अध्यक्ष ही टीम मालिकों की सूची में है तो निष्पक्ष जांच की उम्मीद क्या करें? इन परिस्थितियों में बड़े खिलाड़ियों तक तो जांच की आंच दिन में सपना देखने जैसी है। हाँ अपना दामन पाक साफ़ करने में लगा बीसीसीआई छोटे तथा गैर-परिचित खिलाड़ियों पर अपनी दादागिरी चलाकर जनता को बेवक़ूफ़ ज़रूर बना सकता है। आईपीएल ने यक़ीनन छोटे शहरों की प्रतिभाओं को अपना हुनर दिखाने तथा स्वयं को स्थापित करने का मंच प्रदान किया है किन्तु उभरती प्रतिभाओं को समय से पूर्व लील जाने का माध्यम भी यही मंच बनता जा रहा है। अब जबकि आईपीएल में काले धन को सफ़ेद करने के सबूत मिलते जा रहे हैं तो बीसीसीआई और सरकार से यह अपेक्षा है कि वे आईपीएल के कालेपन को दूर करें ताकि उसकी उजलाहट अधिक चौंधिया सके वरना इसके अस्तित्व पर प्रश्नचिन्ह उठाना लाज़मी है।

[B]लेखक सिद्धार्थ शंकर गौतम पत्रकारिता से जुड़े हुए हैं.[/B]

No comments:

Related Posts Plugin for WordPress, Blogger...