BAMCEF UNIFICATION CONFERENCE 7

Published on 10 Mar 2013 ALL INDIA BAMCEF UNIFICATION CONFERENCE HELD AT Dr.B. R. AMBEDKAR BHAVAN,DADAR,MUMBAI ON 2ND AND 3RD MARCH 2013. Mr.PALASH BISWAS (JOURNALIST -KOLKATA) DELIVERING HER SPEECH. http://www.youtube.com/watch?v=oLL-n6MrcoM http://youtu.be/oLL-n6MrcoM

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Sunday, January 29, 2012

अभी बदहाल हैं सीमान्त की सड़कें लेखक : बृजेन्द्र लुण्ठी :: अंक: 01-02 || 15 अगस्त से 14 सितम्बर 2011:: वर्ष :: 35 :September 17, 2011 पर प्रकाशित

अभी बदहाल हैं सीमान्त की सड़कें

अभी बदहाल हैं सीमान्त की सड़कें

पूरे भारतवर्ष में उत्तराखण्ड तीसरा राज्य है, जहाँ आपदा की घटनाओं से निपटने के लिए अलग विभाग गठित किया गया है। ऑस्ट्रेलियन मॉडल पर गठित किया गया यह विभाग आपदाओं के प्रति जनजागरूकता के नाम पर करोड़ों रुपये की बर्बादी कर रहा है। इस सीमान्त में आपदाओं का लम्बा इतिहास है। 1977 में तवाघाट में आये भूस्खलन के बाद उत्तराखण्ड संघर्ष वाहिनी ने लंबा संघर्ष चलाया। उसके बाद ही प्रभावित परिवारों को तराई के सितारगंज में सिर छुपाने को जगह मिल पायी। मगर 1980 के बाद इस सीमान्त जिले में प्राकृतिक आपदा से बेघर होने वाले एक भी परिवार को घर नहीं मिल पाया, न एक मुट्ठी जमीन नसीब हो पायी। वर्ष 2000 मे हुड़की, वर्ष 2002 में खेत, वर्ष 2006 में सुरिंग गांव के गरघनिया तोक तथा वर्ष 2007 में बरम में आपदा की घटना ने सैकड़ो परिवारों को बेघर कर दिया। अभी हाल ही में मुनस्यारी तहसील के ला-झेकला की घटना को कौन भूल सकता है। इस घटना में 43 लोगों को अपनी जान गँवानी पड़ी थी।

इस बरस भी पिथौरागढ़ जिले में आपदा ने कहर बरपा किया है। अब तक 249 मकान पूर्ण रूप से आपदा की भेंट चढ़ चुके है। 80 ग्रामों के 321 परिवार सीधे प्रभावित हुए हैं। पाँच लोगों और 41 पशुओं को जान गँवानी पड़ी है। जनपद की 61 बाह्य एवं आंतरिक सड़कों एवं 10 पेयजल योजनाओ को क्षति पहुँची है। बारिश के कारण मलवा तथा पत्थर आने से 21 सड़कें पूरी तरह से बंद पड़ी है। चार दिनों तक जिले का संपर्क शेष दुनिया से कटा रहा। सुवालेख-रसियापाटा, देवलथल, चौखाटाना व बंगडोली, देवलथल से कनालीछीना, झूलाघाट से तालेश्वर, झूलाघाट-बलतड़ी, लछैर से सौणलेख, नाचनी-मल्ला भैसकोट, मुनस्यारी- मिलम- दुंग पैदल मार्ग, कालिका से बजानी व खुम्ती, रांथी-जुम्मा हल्का वाहन मार्ग, सैलानी-औलतड़ी, कन्या मात्रवित्र भूलाखेत-नरेत, सिमथल बैण्ड-गोवर्सा, दौलगाड़-पौसा, धराड़ से नागधूना, गंगोलीहाट से पव्वाधार व चौरपाल, तवाघाट से पांगला व गबा्रधार, पिथौरागढ से झूलाघाट व मजिरकांडा, जौलजीबी- बरम- मुनस्यारी, गंगोलीहाट- रामेश्वर एवं ओगला- अस्केाट- जौलजीबी मोटर मार्ग स्थान-स्थान पर ध्वस्त हो गये हैं। सीमान्त जिले के 135 ग्रामों के कई तोक आपदा की दृष्टि से संवदेनशील माने जाते हैं। 25 तो अति संवदेनशील हैं, जिनमें पिथौरागढ़ के नौ, धारचूला के 35, मुनस्यारी के 37, डीडीहाट के 30, बेरीनाग के आठ, गंगोलीहाट के 10, कनालीछीना के छः ग्राम शामिल हैं।

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