BAMCEF UNIFICATION CONFERENCE 7

Published on 10 Mar 2013 ALL INDIA BAMCEF UNIFICATION CONFERENCE HELD AT Dr.B. R. AMBEDKAR BHAVAN,DADAR,MUMBAI ON 2ND AND 3RD MARCH 2013. Mr.PALASH BISWAS (JOURNALIST -KOLKATA) DELIVERING HER SPEECH. http://www.youtube.com/watch?v=oLL-n6MrcoM http://youtu.be/oLL-n6MrcoM

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Thursday, December 8, 2016

#सलामतरहेअपनाकालाधनकेसरिया #जनगणमनपेटीएमकैशलैसजिओबिगबाजारओलाबैंकिंगधोडाला #ThanksHDFCChiefParikhtostandforIndianBankingSystems पलाश विश्वास



#सलामतरहेअपनाकालाधनकेसरिया

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#ThanksHDFCChiefParikhtostandforIndianBankingSystems

पलाश विश्वास

एचडीएफसी बैंक के चेयरमैन दीपक पारेख ने नोटबंदी की तीखी आलोचना कर दी है तो भारतीय स्टेट बैंक की चेयरमैन ने बैंकिग के हक के खिलाफ मुद्रा प्रबंधन की रिजर्व बैंक की नीति के खिलाफ मुंह खोल दिया है।देश भर के बैंक कर्मचारी और अफसर नोटबंदी के महीनेभर बाद तक लगातार काम करते रहने,आम जनता की सेवा में लगे रहने के बाद,करीब पंद्रह लाख करोड़ पुराने नोट जमा करके बदले में सिर्फ तीन लाख करोड़ नये नोट के दम पर भारतीय बैंकिग को जिंदा रखने की हरसंभव कोशिश करके अब हारने और थकने लगे हैं और बहुत जल्द वे हड़ताल पर जाने वाले हैं।कैशलैस इंडिया में अब आम जनता को कुछ दिनों तक नकदी देने का काम करेंगी पीटीएम, जिओ,बिगबाजार और ओला जैसी नानबैंकिंग सेवाएं।अगर बैंक कर्मी सचमुच हड़ताल पर चले गये और वह हड़ताल हफ्तेभर तक चली,तो कैसलैस सावन के अंधों को दिन में तारे नजर आने लगेंगे।

नोट बंदी के बाद इसी बीच टाटा समूह ने ब्रिटेन में एक अरब पौंड का निवेश कर दिया है तो अडानी समूह को आस्ट्रेलिया में करीब आठ अरब डालर का खदान खजाना मिल गया है और खुदरा बाजार समेत संचार और ऊर्जा,इंफ्रास्ट्रक्चर और रियल्टी,रक्षा से लेकर बैंकिंग सेक्टर में रिलायंस समूह जिओ जिओ है।बाकी आम जनता दाने दाने को मोहताज है।नौकरीजीवी पेंशनभोगी दो करोड़ बैंकों की लाइन लगाकर पैसा घर चलाने के लिए लेने खातिर बैंकों और एटीएम पर दम तोड़ने लगे हैं।विशेषज्ञों के मुताबिक कृषि क्षेत्र में नुकसान सत्तर फीसद से ज्यादा है और अनाज का भारी संकट आगे बंगाल की भुखमरी है।मंदी की छाया अलग गहराने लगी है।उत्पादन दर अभी से दो फीसद गिर गया है और विकास दर हवा हवाई है।शेयर बाजार में बड़े खिलाड़ियों की दिवाली और दिवालिया तमाम निवेशक।कल कारखाने ,कामधंधे , हाट बाजार,खेती बंद।

सिर्फ काला धन अब केसरिया है।

जनार्दन रेड्डी के उड़ाये  पांच सौ करोड़ में से ड्राइवर के सुइसाइड नोट में सौ करोड़ काला केसरियाधन सफेद है और बाकी कसिकिस के सुईसाइड नोट में सफेद हुआ है ,मालूम नहीं है।दो हजार के नये नोट ने केसरिया तंत्र कालाधन का खड़ा कर दिया है।नोटबंदी से ऐन पहले बंगाल भाजपा के खाते में तीन करोड़ और हर राज्य में जमीन खरीद,नोटबंदी से पहले नये नोट के साथ केसरिया सेल्फी सुनामी के बाद बंगाल में भाजपा के नेता के पास 33 करोड़ केसरिया नये नोट बरामद तो बंगलूर में 40 करोड़ के नये नोट हासिल।

आम जनता के लिए नकदी वाले एटीएम तक फर्राटा दौड़ है और नकद पुरस्कार दो हजार का इकलौता नोट।

केसरिया एकाधिकार कंपनियों का विदेशों में निवेश अरबों पौंड और डालर में।

देश में निवेश दर शून्य से नीचे।

उत्पादन दर में गिरावट।

विकास दर में गिरावट।

कृषि विकास दर शून्य से नीचे।

सुनहले दिन केसरिया केसरिया।

#सलामतरहेअपनाकालाधनकेसरिया

#जनगणमनपेटीएमकैशलैसजिओबिगबाजारओलाबैंकिंगधोडाला

तमिलनाडु में अम्मा के अवसान के बाद शोकसंतप्त कमसकम सत्तर लोगों के मरने की खबर है।

हमारे हिंदू धर्म के मुताबिक तैतीस करोड़ देवदेवियों का संसार प्राचीन काल से है।

उनके परिवार नियोजन का रहस्य हम जानते नहीं हैं।

2016 में भी वे उतने ही हैं।

लेकिन अवतारों की संख्या उनसे कहीं ज्यादा है,इसमें कोई शक शुबह की गुंजाइश नहीं है।बाबाबाबियों की संख्या उनसे हजार गुणा ज्यादा है।

फिल्मस्टार और राजनेता भी ईश्वर न हो तो किसी देव देवी से कम नहीं है।

अम्मा ने तो फिरभी बहुत कुछ किया है।

आम जनता को दो रुपये किलो चावल,एक रुपये में भरपेट भोजन,राशनकार्ड पर टीवी,छात्र छात्राओं को मुफ्त लैपटाप, महिलाओं को साड़ी और विवाह पर कन्या को मंगल सूत्र।

इन तमाम योजनाओं से लाभान्वित लोगों का शोक जायज है।अम्मा में उनकी अटल आस्था का भी वाजिब कारण है।

इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि वे अपने पीछे चल अचल संपत्ति दो सौ करोड़ के करीब छोड़ गयी हैं या उनका राजनीतिक उत्तराधिकार और उनकी संपत्ति की मिल्कियत किसे मिलने वाली है।

इसके विपरीत तैंतीस करोड़ देव देवी,इतने ही करोड़ अवतार,उनसे हजार गुणा बाबा बाबियों का यह हुजूम सिरे से मुफ्त खोर हैं और इनका सारा काला कारोबार आस्था का मामला है।

धर्मस्थलों में देश की कुल संपत्ति से दस बीस गुणा संपत्ति है,जो सारा का सारा कालाधन केसरिया है।जिसका कोई हिसाब किताब नहीं है।वह सारा केसरिया कालाधन विशुद्ध आयुर्वेदिक है।जहां कानून का हाथ पहुंच जाये तो काट दिया जाये।जहां आयकर छापा नहीं पड़ सकता।उन्हीं धर्मस्थलों के महंत अब हमारे जनप्रतिनिधि हैं।जो अस्पृश्यता के धुरंधर प्रवक्ता हैं।यही उनका आध्यात्म है।

आम जनता को कंगाल बनाये रखने की रघुकुल परंपरा मनुस्मृति है।यही रामराज्य और स्वराज दोनों हैं।अखंड जमींदारी और अखंड रियासत सही सलामत।केसरिया कालाधन सही सलामत।बाकी जनता का कत्लेआम अश्वमेध जारी रहे और बार बार देश का बंटवारा होता रहे।यही वैदिकी संस्कृति है।राम की सौगंध है।

नोटबंदी से वही मनुस्मृति फिर बहाल हुई है और भारतीय संविधान और लोकतंत्र का रफा दफा हो गया है।

रिजर्व बैंक के पास नोटों का कोई लेखा जोखा नहीं है और सारे नये नोटों का केसरिया कायाकल्प है।राजकाज बिजनेस में तब्दील है।राजनीति बेनामी संपत्ति है।रिजर्व बैंक को मालूम नहींं है किसे कितने नोट मिल रहे हैं और तमाम नये नोट केसरिया कैसे बनते जा रहे हैं और केसरिया हाथों में ही वे घूम क्यों रहे हैं।सत्ता नाभिनाल से जुड़ी तमाम गैर बैंकिंग संस्थाओं को आम जनता को गला काटने का हक और बैंकिंग दिवालिया।डिजिटल बहार।

कालाधन का अता पता नहीं।कालाधन कहां है,कोई जवाब नहीं।स्विस बैंक खाताधारकों का क्या हुआ,कोई पता नहीं।माल्या के अलावा हजारों हजार करोड़ कर्ज माफी किन्हें मिली,नामालूम। कानून बनाकर किनके कालधन लाखों करोड़ विदेश भेज दिये गये,मालूम नहीं।लाखों करोड़ का टैक्स माफ किनके लिए।लाखों करोड़ का कमिशन किन्हें मिला मालूम नहीं।आम जनता को रातोंरात कंगाल बना दिया गया और उनके लोग अरबों पौंड,अरबों डालर का सौदा कारोबार कर रहे हैं।बाकी सारा कारोबार बंद है।

अरबों पौंड,अरबों डालर का विदेश में निवेश पर नोटबंदी का कोई असर नहीं है।देश में निवेश शून्य से भी नीचे हैं।यह गजब की डिजिटल अर्थव्यवस्था है जिसकी सारी मलाई विदेशियों के लिए हैं या विदेशी कंपनियों के साझेदारों के लिए है।यह अजब गजब स्वराज का रामराज्य है।ग्लोबल हिंदुत्व सही मायने में यही है। उनका केसरिया कालाधन सात समुंदर पार।उनका सारा कर्ज माफ।किसानों की खेती चौपट कर दी।किसान लाखों की तादाद में खुदकशी कर रहे थे,मेहनतकश लाखों मारे जा रहे थे,दलित ,विधर्मी और आदिवासी लाखों मारे जा रहे थे और अब करोड़ों की तादाद में मारे जाएंगे।यही हिंदू राष्ट्र है।यही हिंदू ग्लोब है।

किसी सभ्य देश में बैंक के पैसा देने से इंकार की वजह से सौ लोगों के मारे जाने का इतिहास नहीं है।न जाने कितने और मरेंगे तो हम शोक मनायेंगे।दो मिनट का मौन उन शहीदों के नाम रखेंगे।या फिर खुद शहादत में शामिल हो जायेंगे। न जाने कितने बच सकेंगे,जो आखिरकार चीख सकेंगे और न जाने किस किसकी खाल और रीढ़ बची रहेगी,किसका सर सही सलामत रहेगा कि फिर सर उठाकर रीढ़ सीधी करके इस अन्याय के अंध आस्था कारोबार के अंधा युग का इस महाभारत में विरोध करने की हालत में होंगे।

यह महाजनी सभ्यता दऱअसल आस्था का कारोबार है।

इसीलिए कारपोरेट नरसंहारी एजंडा भी हिंदुत्व का एजंडा है।

आम जनता अब इसी आस्था की बलि हंस हंसकर हो रहे हैं।

यही नहीं,एक दूसरे का गला काट रहे हैं।

बनिया पार्टी ने बनिया समुदाय को कंगाल बना दिया है।

सत्ता समीकरण ओबीसी है।

सत्ता का चेहरा ओबीसी है।

सत्ता के क्षत्रप और सिपाहसालार ओबीसी है।

आधी आबादी ओबीसी है।

जिनमें ज्यादातर किसान हैं।

बाकी छोटे मोटे कामधंधे में लगे लोग।

ओबीसी तमाम लोग कंगाल हैं।

ओबीसी की गिनती अबतक नहीं हुई।

ओबीसी के हकहकूक बहाल भी नहीं हुए।

ओबीसी को आरक्षण देने के मंडल प्रावधान के खिलाफ मंडल के बदले कमंडल आया और हिंदुत्व के इस उन्माद की जमीन आरक्षण विरोध है।

उसी हिंदुत्व एजंडा के सारे कारिंदे ओबीसी।

जिस मनुस्मृति की वजह से दलितों पर हजारों साल से अत्याचार जारी है, उसी मनुस्मृति बहाल करने वाले दलितों के ईश्वर अवतार बाबा बाबी हैं।

अर्थव्यवस्था सपेरों,मदारियों और बाजीगरों के हवाले हैं।

फिजां कयामत है।

लोग अपनी अपनी आस्था के लिए खुदकशी करेंगे।

लोग अपनी अपनी आस्था के लिए दंगा मारपीट कत्लेआम करेंगे,जान दे देंगे।लेकिन लोगों को संविधान या कानून की परवाह नहीं है।

मनुस्मृति शासन बहाल ऱखने के लिए दलित ओबीसी बहुजन हिंदुत्व एजंडे के कारपोरेट सैन्यतंत्र  की पैदल फौजें हैं।

इसीलिए निर्विरोध सलवाजुड़ुम।

इसीलिए निर्विरोध बलात्कार सुनामी।

इसीलिए निर्विरोध बच्चों की तस्करी।

इसीलिए निर्विरोध दलितों पर अत्याचार।

इसीलिए निर्विरोध स्त्री उत्पीड़न।

इसीलिए निर्विरोध निजीकरण।

इसीलिए निर्विरोध विनिवेश।

इसीलिए निर्विरोध बेदखली।

इसीलिए निर्विरोध बेरोजगार।

इसीलिए निर्विरोध सैन्य तंत्र।सैन्य शासन।

इसीलिए निर्विरोध फासिज्म कारोबार।राजकाज फासिज्म।

इसीलिए सामूहिक नसबंदी डिजिटल बहार निर्विरोध।

इसीलिए मैनफोर्स के हवाले देश का वर्तमान भविष्य और अतीत।

इसीलिए बिना उत्पादन के सिर्फ कमीशन खोरी का काला केसरिया मुक्तबाजार है।

इसीलिए इस देश का ट नहीं हो सकता।


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