BAMCEF UNIFICATION CONFERENCE 7

Published on 10 Mar 2013 ALL INDIA BAMCEF UNIFICATION CONFERENCE HELD AT Dr.B. R. AMBEDKAR BHAVAN,DADAR,MUMBAI ON 2ND AND 3RD MARCH 2013. Mr.PALASH BISWAS (JOURNALIST -KOLKATA) DELIVERING HER SPEECH. http://www.youtube.com/watch?v=oLL-n6MrcoM http://youtu.be/oLL-n6MrcoM

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Saturday, August 9, 2014

हम चाहते हैं कि कानून का राज आये . लेकिन अगर आप अपने कानून को खुद ही लागू करने में हिचकिचाते हैं तो पूरे देश में कानून का राज कैसे लागू होगा ? ये कानून आदिवासी इलाकों में कब लागू होगा. संदर्भवश आज विश्व आदिवासी दिवस भी है .

Status Update




By Himanshu Kumar
वर्मा आयोग की सिफारिशों के आधार पर कानून में नयी धारा जोड़ी गयी .जिसके अनुसार अधिकार प्राप्त स्तिथी में पुरुष यदि अपनी अधीनस्थ महिला के साथ यौन शोषण करता है तो महिला की रिपोर्ट तुरंत लिखी जायेगी और महिला के बयान को ही आरोपी के विरुद्ध गवाही माना जायेगा .

अभी हाल में ही तरुण तेजपाल को इसी धारा के तहत जेल में डाला गया है .

सोनी सोरी के मामले में ठीक यही धारा लागू होती है . वह पुलिस अधीक्षक अंकित गर्ग की अभिरक्षा में थी .अंकित गर्ग ने उसके गुप्तांगों में पत्थर भर दिये . सोनी सोरी ने सुप्रीम कोर्ट को इसकी सूचना दे दी. कोलकाता के सरकारी अस्पताल ने सोनी सोरी के गुप्तांगों से पत्थर निकाल कर सर्वोच्च न्यायालय के सामने रख दिए . 
सर्वोच्च न्यायालय ने आज तक अंकित गर्ग के विरुद्ध प्राथमिक रिपोर्ट लिखने का आदेश नहीं दिया .

छत्तीसगढ़ के सरगुजा की लेधा नामकी आदिवासी महिला के गुप्तांगों में पुलिस अधीक्षक कल्लूरी ने मिर्चें भर दी थीं . थाने में पुलिस वालों ने महीना भर लेधा के साथ बलात्कार किया . कल्लूरी ने केस वापिस करवाने के लिए लेधा के परिवार का अपहरण कर लिया . 
लेधा अब मजदूरी कर के अपना पेट पालती है .कल्लूरी को वीरता का प्रमोशन मिल गया .

उड़ीसा की आदिवासी लड़की आरती मांझी के साथ पुलिस वालों ने सामूहिक बलात्कार किया . आरती मांझी पर सात फर्ज़ी केस बना कर जेल में डाल दिया . आरती मांझी सातों मामलों में बरी हो गयी है . 

पुलिस वालों पर कोई कार्यवाही नहीं हुई है .

छत्तीसगढ़ की कवासी हिड़मे के साथ थाने में पुलिस वालों ने इस बुरी तरह यौन शोषण किया कि उसका गर्भाशय बाहर आ गया . हिड़मे सात साल से जेल में है . हिड़मे की अभी आयु बाईस साल है . प्रतारणा के समय वह मात्र पन्द्रह साल की थी .

क्या एक देश का कानून अलग अलग समुदाय के लिए अलग अलग तरह से काम करता है ? 

अगर आप इस बात को सहन कर लेते हैं कि देश का कानून अलग अलग लोगों के लिए अलग अलग तरह से ही काम करेगा तो ऐसे पक्षपात पूर्ण कानून को इस देश के करोड़ों लोग अपना कानून कैसे मानेंगे ? 

हम चाहते हैं कि कानून का राज आये . लेकिन अगर आप अपने कानून को खुद ही लागू करने में हिचकिचाते हैं तो पूरे देश में कानून का राज कैसे लागू होगा ?

ये कानून आदिवासी इलाकों में कब लागू होगा.

संदर्भवश आज विश्व आदिवासी दिवस भी है .

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