BAMCEF UNIFICATION CONFERENCE 7

Published on 10 Mar 2013 ALL INDIA BAMCEF UNIFICATION CONFERENCE HELD AT Dr.B. R. AMBEDKAR BHAVAN,DADAR,MUMBAI ON 2ND AND 3RD MARCH 2013. Mr.PALASH BISWAS (JOURNALIST -KOLKATA) DELIVERING HER SPEECH. http://www.youtube.com/watch?v=oLL-n6MrcoM http://youtu.be/oLL-n6MrcoM

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Tuesday, May 20, 2014

किस किस को निकालोगे कामरेड,बंगाल केसरिया हुआ जाये!

किस किस को निकालोगे कामरेड,बंगाल केसरिया हुआ जाये!

एक्सकैलिबर स्टीवेंस विश्वास



बहुसंख्य ओबीसी वोट बैंक के केसरियाकरण से भारत जीतने का करिश्मा कर दिखाने के बाद जिस बंगाल में सत्ताव्रग से ओबीसी को नत्थी करके बहुजन राजनीति का बाजा बजाकर वर्ण वर्चस्वी सत्ता बहाल है भारत विभाजन के बाद से लेकर अबतक,वहां भी सत्ता पर कब्जा करने की संघ परिवार की अब सर्वोच्च प्राथमिकता है।


बाबा रामदेव के प्रत्याशी गायक बाबुल सुप्रिय संसद पहुंच ही चुके हैं तो संघाधिपति मोहन भागवत का शिविर बंगाल के रायगंज में कांग्रेस की दीपादासमुंशी को हराकर माकपा के मोहम्मद सलीमके जरिए हासिल लाल इलाके में लग चुका है।


अब बंगाल में संघ केसरिया कुनबा पलक पांवड़े बिछाकर अमित साङ के इंतजार में हैं।

मोदी के खिलाफ जिहाद का ऐलान करने वाली अग्निकन्या ममता बनर्जी के विधानसभा क्षेत्र भवानीपुर में बढ़त के साथ कोलकाता के दोनो लोकसभा सीटों में एक चौथाई वोट हासिल करके दूसरे नंबर पर रह गयी भाजपा ने बंगाल में अब वामदलों और कांग्रेस दोनों को पीछे धकेल कर सही मायने में विपक्ष का रुतबा हासिल कर लिया है।


कोलकाता के चौदह वार्ड और राज्य के दर्जनों विधानसभा इलाके केसरिया रंग से सराबोर है।


कोलकाता नगर निगम का चुनाव सामने है।संघ परिवार बंगाल की सत्ता हासिल करने के लिए अब सुहागरात को ही बिल्ली वध पर तुल गया है।नजर 2016 के विधानसभा चुनावों पर है।


लोकसभा के पराजित तमाम भाजपा प्रत्याशियों को संगठन की जड़ें मजबूत करने के लिए मोर्चाबंद कर दिया गया है।


दीदी के कब्जे से मतुआ वोटबैंक में भी बड़ी सेंध लगाने में कामयबी हासिल की है नमो लहर ने तो अकेले बांकुड़ा में ही ग्यारह प्रतिशत वाम वोट भाजपा उम्मीदवार को स्थानांतरित हो जाने से नौ बार के सांसद वासुदेव आचार्य को हार का मुंह देखना पड़ा।


बंगालभर में औसतन सात फीसद वाम वोट केसरिया हो गया है।जबकि नमो लहर के खिलाफ मौजूदा माकपा नेतृत्व ने कोई प्रतिरोध इसी उम्मीद से नहीं किया किया कि केसरिया वोटों की वजह से उन्हें वापसी का रास्ता केकवाक लग रहा था,जो जमींदोज बारुदी सुरंगों से अटा निकला और तमाम शूरवीर कामरेड खेत रह गये।


इसके विपरीत तृणमूल के दो फीसद वोट ही भाजपा हिस्से में गया क्योंकि दीदी ने तुरंत नमो के खिलाफ मोर्चा लगाने में देरी नहीं की।


अब भी वाम कब्जे के आसनसोल में जहां साठ फीसद मतदाता हिंदीभाषी हैं और आदतन केसरिया हैं,जो अब तक माकपा को जिताते रहे हैं,नमो लहर में उनकी घर वापसी हो गयी,पूर्व नक्सली व तृणमूली ट्रेड यूनियन नेता दोला सेन को जिता न पाने के अपराध में वहां से मंत्री मलयघटक का इस्तीफा ले चुकी हैं दीदी,निकायों के तृणमूलियों पर भी कार्रवाई हो रही है।


अब देखना है कि कोलकाता में केसरिया लहर के कारण किस किस पर कहर बरपता है।


दूसरी ओर,जिस मांग को लेकर किसान सभा के सर्वभारतीय नेता और पूर्व मंत्री रज्जाक मोल्ला को माकपा नेतृत्व ने बाहर का दरवाजा दिखा दिया,अब वह मांग वायरस हो कर सुनामी बनने लगी है।


माकपाई छात्र संगठन एसएफआई और युवा संगठन डीवाईएफ के अलावा पार्टी के बड़े नेता कांति गांगुली और सुजन चक्रवर्ती के फेसबुक वाल पर पोस्टरों की महामारी है तो पार्टी दफ्तरों पर भी पोस्टरबाजी होने लगी है माकपा के महासचिव प्रकाश कारत,सीताराम येचुरी,वृंदा कारत से लेकर बुद्धदेव भट्टाचार्य,वाम मोर्चा चेयरमैन विमानबोस के खिलाफ।


इस लोकसभा चुनावों के नतीजों के मुताबिक त्रिपुरा के लोकसभा क्षेत्रों में माणिक सरकारी की अगुवाई में माकपा प्रत्याशियों को साठ फीसद से ज्यादा वोट मिले हैं तो केरल में भी वाम लकतांत्रिक मोर्चे की सीटें दोगुणी हो गयी है जबकि बंगाल में मामूली वोटों के अंतर से ही वामपक्ष को दो सीटे कुल मिल पायी है।


रायगंज में मतदान तीसरे चरण में या बाद होता तो मोदी की घुसपैठिया विरोधी वक्तृता से हुए ध्रूवीकरण में सलीम की जीत भी मुश्किल थी।


जिस बंगाल में सत्ता बचाये रखने के खातिर कामरेडों ने दिल्ली की सत्ता के साथ और देश भर के अस्मितावाहक क्षत्रपों से लगातार समझौते किये और जनवादी राजनीति की संस्कृति को समझौतावादी संसोधनवादी बना दिया,उसी बंगाल में लाल के सीधे केसरिया हो जाने से कामरेडों की सेहत पर असर हो न हो,उन्हें शर्म आये, न आये लेकिन अबतक पार्टी और विचारधारा के लिए जान तक कुर्बान करने वाले कैडरों में गुस्सा है।


इस पर तुर्रा यह कि भाकपा और माकपा दोनों की राष्ट्रीयदल हैसियत भी दांव पर।


किस किस को निकालोगे कामरेड?



माकपाइयों की पोपुलर मांग है कि तुरंत कामरेड प्रकाश कारत को महासचिव पद से हटाकर उनकी जगह माणिक सरकार को यह जिम्मेदारी दी जाये।


सुजन चक्रवर्ती को राज्य माकपा सचिव,सूर्यकांत मिश्र को वाममोर्चा चेयरमैन और सलीम को भावी मुख्य मंत्री का चेहरा बनाने की जोरदार मुहिम शुरु हो गयी है।





দেবাঞ্জন মিত্র

May 16 at 8:34pm

ভোটের ফলাফল দেখে আর ভোট পর্বের প্রথম থেকে শেষ অবধি দেখে যা মনে হয়েছে বলছি -একটু মিলিয়ে দেখে নিন আপনার ভাবনার সঙ্গে মেলে কি না ?

দেওয়াল লিখতে দেয় নি । বি,জে,পি ও কিন্তু তেমন দেওয়াল পায় নি । দলের ভিতরে দল এখনো বিরাজমান । চায়ের দোকান অফিস আদালতে তা প্রকাশ পেয়েছে । আক্রান্ত কর্মীরা পাশে পায় নি নেতাদের ফলে ভয় ঘিরে ধরেছিল তাদের । বহু নেতা জানেন না নির্বাচন কমিশন কে কিভাবে সন্ত্রাস জানাতে হয় । ব্যাক্তিগত স্বার্থ, পছন্দ অপছন্দ ভোটের কাজের ক্ষেত্রে প্রাধান্য পেয়েছে ।ভুল মেনে নেওয়ার পরিবর্তে যেমন খুশী বুঝিয়ে শান্ত রাখার চেস্টা অব্যাহত। বিজেপি ঝড় না মেনে নেওয়া । মমতা বিরোধীতা যত ছিল বিজেপির ভয়ঙ্কর রুপের কথা ততটা না বলা । হিন্দীভাষী মানুষের ভোট চিত্র পরিবর্তন উপলব্ধি না করা । এলাকায় গ্রহনযোগ্য নয় এমন মানুষকে নিয়ে প্রার্থীর প্রচার । প্রার্থীর চেয়ে আমি কি করেছি তার প্রচার বেশী করা ।আমি পার্টি সদস্য তাই আমি সব জানি বুঝি খারাপ কাজ করি কেউ কিছু বলতে পারবে না এমন মনোভাব দেখিয়ে পার্টির কাছের মানুষগুলিকে দূরে সরিয়ে দেওয়া ।মানুষের সঙ্গে একাত্ম না হয়ে নিজেদের আলাদা সারিতে রাখা । নতুন প্রজন্মের কর্মীদের মতামতকে অগ্রাধিকার না দেওয়া । চিরাচরিত ধারায় প্রচার করা ।প্রতিটি বিষয়ে আমি প্রমান নিজে তাই এই কথাগুলো লিখলাম ।

২০১৫ এবং ২০১৬ তে আবার দুটো লড়াই । এই ত্রুটি যাদের আছে নেতৃত্ব অনুগ্রহ করে তাদের একটু অন্য কাজ দিয়ে সরিয়ে রেখে নতুন প্রজন্মকে দায়িত্ব দিন । আশা করি আমরা এগোতে পারবো । সমাজতন্ত্রের বিকল্প হতে পারে না ।



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