बैंक हड़ताल के मध्य ही बीमा और पेंशन में प्रत्यक्ष विदेशी विनिवेश ४९ प्रतिशत फाइनल! ममता के मौखिक विरोध से सरकार को कोई फर्क नहीं पड़ता, क्योंकि किसी भी हाल में वह सरकार गिराने की स्थिति में नहीं हैं।
एक्सकैलिबर स्टीवेंस विश्वास
ममता के मौखिक विरोध से सरकार को कोई फर्क नहीं पड़ता, क्योंकि किसी भी हाल में वह सरकार गिराने की स्थिति में नहीं हैं। बनर्जी ने कहा कि विदेशी निवेश से आम आदमी का हित प्रभावित होगा। उन्होंने कहा कि हमने चुनाव घोषापत्र में जो वादे किए हैं, उसपर कायम रहेंगे।आर्थिक सुधारों के खिलाफ दो दिन की हड़ताल का सरकारी नीति निर्धारण पर कोई असर नहीं हुआ। बल्कि सहयोगा दल तृणमूल कांग्रेस के प्रबल विरोध के बीच बैंक हड़ताल के मध्य ही बीमा और पेंशन में प्रत्यक्ष विदेशी विनिवेश ४९ प्रतिशत फाइनल करके चिदंबरम ने उद्योग जगत को संकेत दे दिया है कि दूसरे चऱण के सुधारों से सरकार पीछे हटने वाली नहीं है। न ही इस हड़ताल से बैंकिंग सुधार लटकने की उम्मीद है, क्योंकि राजनीतिक दलों ने बैंकिंग सेक्टर के कर्मचारियों के आंदोलन के प्रति अपनी बेरुखी दिखा दी है।बहरहाल ममता बनर्जी का तेवर वएफडीआई मामले में अभी ढीला नहीं पड़ा है। भाजपा भी मल्टी ब्रांड रिटेल में एफडीआई के विरोध के बहाने अपने परंपरागत वोटबैंक को मजबूत करने में लगी है। सरकार ने बीमा क्षेत में विदेशी निवेश सीमा मौजूदा 26 प्रतिशत से बढ़ाकर 49 प्रतिशत करने का प्रस्ताव किया है। सरकार पेंशन कोष नियामकीय एवं विकास प्राधिकरण विधेयक, 2011 को भी संसद में पारित कराने की संभावना तलाश रही है ताकि पेंशन क्षेत्र में निजी क्षेत्र और विदेशी निवेश का मार्ग प्रशस्त हो सके।वित्त मंत्री पी चिदंबरम ने आर्थिक सुधारों की दिशा में अहम फैसले लेने शुरू कर दिए हैं।पी चिदंबरम ने इंश्योरेंस और पेंशन सेक्टर में 49 फीसदी एफडीआई को मंजूरी दे दी है। वित्त मंत्री ने इंश्योरेंस और पेंशन बिल पर अपनी मुहर लगा दी है।अब इंश्योरेंस और पेंशन बिल को कैबिनेट से मंजूरी मिलनी बाकी है। हालांकि, इस मामलों पर राजनीति गरमाने की संभावना है। इन बिल पर कैबिनेट अब तक फैसला टालता आया है।
सरकार की प्रमुख सहयोगी तृणमूल कांग्रेस ने खुदरा, बीमा और विमानन जैसे प्रमुख क्षेत्रों में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) की अनुमति दिए जाने का आज सख्त विरोध किया। उसका तर्क है कि यह देश के लोगों के लिए नुकसानदेह होगा। तृणमूल कांग्रेस प्रमुख ममता बनर्जी ने कहा, 'हम खुदरा क्षेत्र और इन सभी (बीमा) और पेंशन क्षेत्रों में एफडीआई के पक्ष में नहीं हैं। हम विमानन क्षेत्र में भी एफडीआई के पक्ष में नहीं हैं। हम हमेशा से आम लोगों के पक्ष में रहे हैं।'बनर्जी ने कहा, 'हमने अपने चुनावी घोषणा पत्र में इस मुद्दे को रखा था कि हम इस पर कायम रहेंगे। दुनिया के अन्य देश भी कह रहे हैं कि अगर वे खुदरा बाजार में एफडीआई की अनुमति देते हैं तो छोटे दुकानदार मर जाएंगे। इसलिए हम इसके पक्ष में नहीं हैं। सरकार कैबिनेट से मंजूरी लेने के बाद भी बहु-ब्रांड खुदरा क्षेत्र में एफडीआई के निर्णय को लागू नहीं कर पाई।वहीं अंतरराष्ट्रीय आभूषण प्रदर्शनी का उद्घाटन करने के बाद संवाददाताओं से बातचीत में वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री आनंद शर्मा ने कहा कि किसी भी राज्य पर बहु ब्रांड खुदरा क्षेत्र में एफडीआई के लिए दबाव नहीं डाला जाएगा। शर्मा ने कहा कि कुछ राज्य इसके पक्ष में नहीं हैं, लेकिन धीरे-धीरे उन्हें भी इसका फायदा दिखने लगेगा।शर्मा ने कहा कि कुछ राज्य इसके पक्ष में नहीं हैं, लेकिन धीरे-धीरे उन्हें भी इसका फायदा दिखने लगेगा। उन्होंने कहा कि इस क्षेत्र को विदेशी निवेश के लिए खोलने से किसानों, उपभोक्ताओं तथा छोटे उद्यमियों को फायदा होगा, क्योंकि एकीकृत ढांचे से ग्रामीण अर्थव्यवस्था लाभ में रहेगी।
सरकार ने मनोरंजन कंपनी वॉल्ट डिज्नी के भारत में अपना परिचालन बढ़ाने के लिये 1,000 करोड़ रुपये प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) प्रस्ताव को गुरुवार को मंजूरी दे दी।इसके अलावा विदेशी निवेश संवर्धन बोर्ड (एफआईपीबी) ने करीब 260 करोड़ रुपये के नौ अन्य एफडीआई प्रस्तावों को मंजूरी दी। वित्त मंत्रालय ने गुरुवार को एक बयान में कहा कि एफआईपीबी की सिफारिशों के आधार पर सरकार ने लगभग 1,259.92 करोड़ रुपये एफडीआई के 10 प्रस्तावों को मंजूरी दी।बयान के अनुसार एफआईपीबी ने एफडीआई के 16 प्रस्तावों पर निर्णय टाल दिया। इसमें महिंद्रा एंड महिंद्रा का रक्षा क्षेत्र में संयुक्त उद्यम स्थापित करने तथा यूनिटेक वायरलेस (तमिलनाडु) का एकीकृत पहुंच सेवा का प्रस्ताव शामिल है। इसके अलावा, एफआईपीबी जिन अन्य प्रस्तावों पर निर्णय टाला, उसमें आधा औषधि तथा स्वास्थ्य क्षेत्र से जुड़ा है।
सरकार ने आवास वित्त कंपनियों को सस्ते मकान बनाने की परियोजनाओं के वित्त पोषण के लिये बाह्य वाणिज्यिक उधारी (ईसीबी) के जरिये कोष जुटाने की मंजूरी दे दी है।ईसीबी पर उच्च स्तरीय समिति की बुधवार को हुई बैठक में यह निर्णय किया गया। वित्त मंत्रालय के बयान के अनुसार एनएचबी (राष्ट्रीय आवास बैंक) तथा एचएफसी जैसी इकाइयों को सस्ता मकान बनाने की परियोजनाओं के वित्त पोषण के लिये ईसीबी के जरिये कोष जुटाने की मंजूरी दी गयी है।इसके अलावा विदेशी संस्थागत निवेशकों को कुल 45 अरब डालर की कारपोरेट सीमा के भीतर 5 अरब डालर निवेश की मंजूरी दी गयी है। साथ ही लघु उद्योग विकास बैंक को सूक्ष्म, छोटे एवं मझोले उद्यमों को कर्ज देने के लिये ईसीबी के लिये कर्ज लेने वाला उपयुक्त इकाई करार दिया गया है।
मनी कंट्रोल के मुताबिक सरकार ने ब्रॉडकास्ट सेक्टर में एफडीआई की सीमा बढ़ाने के लिए सुरक्षा संबंधी मंजूरी पर अपना रुख नरम कर लिया है। ऐसे में माना जा रहा है कि अब सिर्फ 10 फीसदी से ज्यादा हिस्से वाले विदेशी शेयरधारकों को ही सुरक्षा संबंधी मंजूरी लेनी होगी। भारत के ब्रॉडकास्ट सेक्टर में निवेश करने वाली कंपनियों को सुरक्षा संबंधी मंजूरी लेना जरूरी होगा। गृह मंत्रालय की तरफ से सुरक्षा संबंधी मसले पर सवाल खड़े करने के बाद ही सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय ने ये प्रस्ताव रखा है।दरअसल गृह मंत्रालय ने सभी विदेशी हिस्सेदारों के लिए सुरक्षा संबंधी मंजूरी लेने की शर्त का प्रस्ताव रखा था। जल्द ही कैबिनेट ब्रॉडकास्ट सेक्टर के लिए नई एफडीआई की शर्तों पर विचार करने वाली है। डीआईपीपी का ब्रॉडकास्ट सेक्टर में एफडीआई की सीमा 49 फीसदी से बढ़ाकर 74 फीसदी करने का प्रस्ताव है।इस खबर के आने के बाद रिलायंस ब्रॉडकास्ट में 3.25 फीसदी की तेजी आई है। वहीं एनडीटीवी और टीवी टुडे में 2.5 फीसदी तक की उछाल आई है। टीवी18 ब्रॉडकास्ट में भी 0.5 फीसदी से ज्यादा की मजबूती आई है।
इस पर तुर्रा यह कि जर्मनी की विमानन कंपनी लुफ्थांसा के निदेशक (दक्षिण एशिया) एलेक्स हिलगर्स ने विमानन क्षेत्र में प्रस्तावित प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) के लिए तय की गई सीमा पर चिंता जताई है। उनका कहना है कि एफडीआई की सीमा 49 फीसदी रखने से विदेशी कंपनियों को देसी विमानन कंपनियों में बहुलांश हिस्सेदारी नहीं मिल पाएगी।हिलगर्स ने भारत में निवेश करने के बाद संभावित सरकारी हस्तक्षेप के स्तर को लेकर भी आशंका जताई है। बिजनेस स्टैंडर्ड को दिए गए साक्षात्कार में हिलगर्स ने जून 2012 में पेइचिंग में हुई इंटरनैशनल एयर ट्रांसपोर्ट एसोसिएशन (आईएटीए) की बैठक में वैश्विक विमानन कंपनियों द्वारा जताई गई चिंता के बारे में बात की।
अर्थ व्यवस्था पटरी पर लाने के लिए जिन मौलिक समस्याओं को सुलझाना जरूरी है, उनसे बेपरवाह वित्तीय प्रबंधन खुल्लमखुल्ला विदेशी पूंजी के खेल में जुटा हुआ है। सुस्त होती आर्थिक रफ्तार को तेज करने के लिए सरकार अब महंगाई के सामने विकास को तवज्जो देने पर विचार कर रही है।करीब चार साल बाद वित्त मंत्रालय में लौटे चिदंबरम की पहली वरीयता देश की अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाना है। इसकी शुरुआत वह उद्योगों व निवेशकों में भरोसा जगाने और राजकोषीय संतुलन बिठाने के काम से करना चाहते हैं। देश के सार्वजनिक और निजी क्षेत्र के 10 लाख से अधिक बैंक कर्मचारियों और अधिकारियों के अपनी मांगों के समर्थन में आज दूसरे दिन भी हड़ताल पर रहने से बैकिंग गतिविधियां ठप रहीं जिससे तकरीबन 30 हजार करोड़ रुपए का नुकसान होने का अनुमान है। बैंकिग क्षेत्र में सुधार और निजी क्षेत्र से सेवाओं की आउटसोर्सिंग के विरोध में बैंक कर्मचारियों की यूनियनों ने 22 और 23 अगस्त को दो दिनों की हड़ताल का आह्वान किया था।हड़ताल के दूसरे दिन गुरुवार को चेक क्लियरिंग और मनी ट्रांसफर सहित दूसरे ट्रांज़ैक्शन में दिक्कत हुई। लोगों को एटीएम का सहारा भी नहीं मिल सका। ज्यादातर एटीएम में कैश खत्म होने से भारी समस्याओं का सामना करना पड़ा। सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों और कुछ पुराने निजी बैंकों में हड़ताल के चलते करोड़ो रुपये के कारोबार का नुकसान होने का अंदाजा है।सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों के साथ, पुरानी पीढ़ी के निजी और विदेशी बैंकों कर्मचारी इस हड़ताल में शामिल हुए।निजी क्षेत्र में एचडीएफसी और आईसीआईसीआई बैंक में दोनों दिन सामान्य कामकाज हुआ, लेकिन हड़ताल की वजह से चेक क्लियरिंग और फंड ट्रांसफर नहीं हो पाया। सूत्रों के मुताबिक 2 दिन की हड़ताल के चलते करीब 50 से 60 हजार करोड़ रुपये के कारोबार का नुकसान हुआ है।सार्वजनिक एवं निजी क्षेत्र के बैंक कर्मचारियों और अधिकारियों की 9 यूनियनों के संयुक्त मंच 'यूनाइटेड फोरम ऑफ बैंक यूनियन्स' के बैनर तले आयोजित इस हड़ताल में करीब 10 लाख बैंक कर्मचारियों ने भाग लिया। हड़ताल से नकदी लेन-देन, फंड ट्रांसफर, चेक क्लियरिंग और विदेशी करंसी का लेन-देन प्रभावित रहा।नई पीढ़ी के निजी क्षेत्र के एचडीएफसी और आईसीआईसीआई सहित कई बैंकों में कामकाज आम दिनों की तरह सामान्य रहा। हालांकि, हड़ताल से फंड ट्रांसफर और क्लीयरिंग सर्विसेज पर गहरा असर हुआ। सरकारी बैंकों में नकद लेनदेन, चेक क्लीयरेंस, विदेशी मुद्रा विनिमय सहित सभी सामान्य बैंकिंग कामकाज प्रभावित रहे। बुधवार को हड़ताल के पहले दिन सामान्य रूप से संचालित हो रहे एटीएम दूसरे दिन जवाब दे गए।ग्लोबल स्तर पर तेजी और घरेलू स्तर पर मुनाफावसूली का दौर चलने के बीच घरेलू शेयर बाजार भारी उतार-चढ़ाव से गुजरते हुए सपाट बंद हुए। बीएसई का सेंसेक्स महज तीन अंक की बढ़त के साथ 17,850.22 अंक पर और एनएसई का निफ्टी ढाई अंक बढ़कर 5,415.35 अंक पर रहा।विदेशी बाजारों में आई तेजी के बल पर घरेलू सराफा बाजार में सोना जोरदार बढ़त लेकर 31,035 की रिकॉर्ड ऊंचाई पर पहुंच गया। ऑल इंडिया बैंक एंप्लाइज असोसिएशन (एआईबीईए) के महासचिव सी.एच. वेंकटचलम ने कहा, 'देशभर में हड़ताल पूरी तरह सफल रही। बैंकिंग सेवाएं प्रभावित हुई हैं।' उन्होंने कहा कि कैश ट्रांसफर, चेक क्लियरिंग, विदेशी करेंसी लेनदेन सहित सामान्य बैंकिंग कामकाज प्रभावित हुए।उन्होंने कहा कि ग्राहकों को एटीएम पर अधिक निर्भर रहना पड़ा जिसकी वजह से बैंक मैनेजमेंट ने मशीनों में नकदी जमा करने की व्यवस्था पहले ही कर दी थी। एआईबीईए का दावा है कि देशभर में करीब 10 लाख कर्मचारी और अधिकारी इस हड़ताल में हिस्सा ले रहे हैं। बुधवार को हड़ताल के पहले दिन 24 सरकारी बैंकों और 12 निजी बैंकों के कर्मचारियों ने हड़ताल में हिस्सा लिया।
ममता ने बुधवार को प्रधानमंत्री के घर हुई संप्रग समन्वय समिति की बैठक में भी प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआइ) का विरोध किया। हालांकि, उम्मीद थी कि एयरलाइंस में एफडीआइ के मुद्दे पर ममता मान जाएंगी, लेकिन उन्होंने इस मुद्दे पर अभी और चर्चा की जरूरत बताकर उसे लटका दिया। रिटेल व बैंकिंग में एफडीआइ के मुद्दे पर तो ममता बात करने के लिए भी तैयार नहीं हैं।
सूत्रों के मुताबिक, सियासी विपदा के समय कुनबे को एकजुट रखने की मुहिम के तहत कांग्रेस फिलहाल ममता के साथ संबंधों को मजबूत करने पर ज्यादा जोर दे रही है। इसी का नतीजा है कि ममता गुरुवार को भी दिल्ली में रुक रही हैं और केंद्र व पश्चिम बंगाल के तमाम मुद्दों पर कांग्रेस के बड़े नेताओं और मंत्रियों से उनकी बातचीत जारी है। संप्रग समन्वय समिति की बैठक में ममता ने शामिल होकर संप्रग की एकजुटता का संदेश देने की कोशिश कर रही सरकार को राहत तो दी है, लेकिन अभी आर्थिक मुद्दों पर उनके तेवर ढीले नहीं हैं।
समन्वय समिति की बैठक में एफडीआइ का मुद्दा पहले से केंद्र में था। नागरिक उड्डयन मंत्री चौधरी अजित सिंह ने ममता से इस मुद्दे पर पहले ही बात की थी। रिटेल और बैंकिंग में एफडीआइ पर तो नहीं, लेकिन एयरलाइंस में एफडीआइ पर ममता सकारात्मक थीं। इससे सरकार को काफी उम्मीदें थी, लेकिन ममता ने बैठक में साफ कह दिया, 'अभी इस मुद्दे पर और चर्चा की जरूरत है।' सरकार के सूत्र इसे भी सकारात्मक संकेत मान रहे हैं कि ममता इस बारे में चर्चा करने को राजी हो गई हैं। दिल्ली में उनका रुकना भी पश्चिम बंगाल को पैकेज और केंद्र की आर्थिक योजनाओं को रफ्तार देने के मामले में बातचीत की कोशिशों के रूप में ही देखा जा रहा है।
आर्थिक मसलों पर भले ही संप्रग समन्वय समिति की बैठक में कोई नतीजा नहीं निकला हो, लेकिन सियासी मोर्चे पर उसने एकजुटता साबित कर दी। प्रधानमंत्री के इस्तीफे की विपक्ष की मांग को बैठक में मौजूद एनसीपी सुप्रीमो शरद पवार, ममता बनर्जी, डीएमके से टीआर बालू, एनसी से फारुख अब्दुल्ला ने सिरे से खारिज करते हुए सदन में बहस की बात दोहराई। लोकसभा में सदन के नेता सुशील कुमार शिंदे गुरुवार को फिर यही बात दोहराएंगे। बैठक के बाद वित्त मंत्री पी. चिदंबरम ने कहा कि पूरा संप्रग चर्चा के लिए तैयार है और इस मुद्दे पर एकजुट है।
इसी बीच रिजर्व बैंक ने सरकार से सब्सिडी व्यय में कटौती करने को कहा है। वित्तवर्ष 2011-12 की सालाना रिपोर्ट में रिजर्व बैंक ने कहा कि वित्तीय सहायता उपलब्ध कराने के लिए राजकोषीय और मौद्रिक स्तर पर सीमित गुंजाइश है। व्यय घटाने के लिए नीतिगत पहले करने की जरूरत है। राजस्व पर दबाव कम करने के लिए सब्सिडी में कटौती करनी होगी। इसके साथ ही सरकार सार्वजनिक पूंजी व्यय के लिए संसाधनों का इस्तेमाल करे।अर्थव्यवस्था पर अपनी सालाना रिपोर्ट में आरबीआई ने कहा है कि महंगाई सबसे बड़ा सिरदर्द है। आरबीआई के मुताबिक मौजूदा कारोबारी साल में महंगाई दर 7 फीसदी के करीब रहेगी। इसके अलावा कमजोर रुपये की वजह से भी महंगाई बढ़ेगी। दुनिया भर में पड़े सूखे की वजह से अनाजों की कीमतों में बढ़ोतरी होगी। डीजल, कोयला और बिजली की बढ़ती कीमतें भी महंगाई बढ़ाएंगी।आरबीआई का अनुमान है कि वित्त वर्ष 2013 में जीडीपी दर 6.5 फीसदी रहेगी। आरबीआई का कहना है कि पेट्रोलियम सब्सिडी कम करना बहुत जरूरी हो गया है। वित्त वर्ष 2013 में ऑयल सब्सिडी जीडीपी के 0.4 फीसदी के बराबर रहेगी। वहीं कोयले की कमी और राज्य विद्युत बोर्ड के नुकसान की वजह से पावर प्रोजेक्ट अटके हैं। आरबीआई के मुताबिक कोयले की कमी तुरंत दूर करनी होगी।
भारत की यात्रा पर आए जापान की सुजुकी मोटर कापरेरेशन (एसएमसी) के प्रमुख ओसामू सुजुकी ने गुरुवार को मारुति सुजुकी इंडिया लिमिटेड के गुडगांव स्थित संयंत्र का दौरा किया। इस दौरान उन्होंने वरिष्ठ अधिकारियों के साथ इस और मानेसर इकाई की स्थिति के बारे में व्यापक विचार-विमर्श किया।कंपनी सूत्रों ने बताया कि सुजुकी ने मानेसर की घटना पर गहरा दुख व्यक्त करते हुए कहा कि यह मामला प्रबंधन और श्रमिक संघ के बीच विवाद का नहीं था बल्कि यह अपराधिक घटना थी। उन्होंने कहा कि ऐसी घटना के लिए माफ नहीं किया जा सकता है।
सूत्रों के अनुसार सुजुकी ने घटना में शामिल लोगों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करने की जरुरत बताते हुए कहा कि यदि यह विवाद प्रबंधन और श्रमिक संघ के बीच का होता तो वह इसे आपस में मिल बैठकर सुलझा लेते।
उन्होंने कहा कि प्रबंधन और श्रमिक संघ किसी भी कंपनी के लिए पूरक के रूप में होते हैं और उनके बीच ऐसी घटना का सवाल नहीं उठता है और वह एक दूसरे की जान के दुश्मन नहीं होते।
मानेसर संयंत्र में फिर से उत्पादन शुरू करने के लिए हरियाणा सरकार से मिले समर्थन की सराहना करते हुए सुजुकी ने कहा कि राज्य सरकार ने पूरा सहयोग किया है। उन्होंने कंपनी के तेजी से आगे बढने और भारतीय बाजार में अपना वर्चस्व बनाए रखने की कामना करते हुए कहा कि मारुति के विकास से घरेलू बाजार के आटोमोबाईल बाजार को गति मिलेगी जो देश की तरक्की में मददगार होगा।
गौरतलब है कि पिछले माह 18 जुलाई को मानेसर संयंत्र में प्रबंधन और श्रमिकों के बीच विवाद ने उग्र रूप धारण कर लिया था और संयंत्र में तोड़फोड और आगजनी की घटना हुई जिसमें मानव संसाधन विकास के महाप्रबंधक अवनीश कुमार देव की मौत हो गई थी। इसके बाद कंपनी प्रबंधन ने 21 जुलाई को संयंत्र में तालाबंदी की घोषणा की दी।
तालाबंदी ठीक एक माह बाद 21 अगस्त को खोली गई और संयंत्र में अभी पूरी तरह उत्पादन शुरू नहीं किया गया है।
इस घटना में 100 से अधिक अधिकारी घायल हो गए थे। पुलिस ने हिंसक घटनाओं के सिलसिले में बड़ी संख्या में लोगों को गिरफ्तार किया है। कंपनी ने मानेसर संयंत्र के 500 स्थाई कर्मचारियों को बर्खास्त कर दिया है।
Thursday, August 23, 2012
बैंक हड़ताल के मध्य ही बीमा और पेंशन में प्रत्यक्ष विदेशी विनिवेश ४९ प्रतिशत फाइनल! ममता के मौखिक विरोध से सरकार को कोई फर्क नहीं पड़ता, क्योंकि किसी भी हाल में वह सरकार गिराने की स्थिति में नहीं हैं।
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