BAMCEF UNIFICATION CONFERENCE 7

Published on 10 Mar 2013 ALL INDIA BAMCEF UNIFICATION CONFERENCE HELD AT Dr.B. R. AMBEDKAR BHAVAN,DADAR,MUMBAI ON 2ND AND 3RD MARCH 2013. Mr.PALASH BISWAS (JOURNALIST -KOLKATA) DELIVERING HER SPEECH. http://www.youtube.com/watch?v=oLL-n6MrcoM http://youtu.be/oLL-n6MrcoM

Welcome

Website counter
website hit counter
website hit counters

Thursday, September 8, 2011

Fwd: [NAAGVANSH] भूमि अधिग्रहण बिल से उद्योग जगत नाखुश



---------- Forwarded message ----------
From: Vilas Kharat <notification+kr4marbae4mn@facebookmail.com>
Date: 2011/9/7
Subject: [NAAGVANSH] भूमि अधिग्रहण बिल से उद्योग जगत नाखुश
To: NAAGVANSH <186337191406627@groups.facebook.com>


Vilas Kharat posted in NAAGVANSH.
भूमि अधिग्रहण बिल से उद्योग जगत नाखुश नई...
Vilas Kharat 10:36pm Sep 7
भूमि अधिग्रहण बिल से उद्योग जगत नाखुश
नई दिल्ली।
Story Update : Wednesday, September 07, 2011 12:54 AM
au

नई भूमि अधिग्रहण एवं पुनर्स्थापना बिल पर उद्योग जगत के साथ-साथ डेवलपरों की संस्था ने नाखुशी जताते हुए कहा है कि इससे न सिर्फ देश की विकास की दर कुंद पड़ेगी, बल्कि मकान की कीमतों में भी बढ़ोतरी होगी। उनका मानना है कि इस बिल में किसानों और भूस्वामियों का अधिक ख्याल रखा गया है।

रीयल्टी सेक्टर का विकास होगा बाधित
डेवलपरों के संगठन क्रेडाई का कहना है कि सख्त नीतियां बनाए जाने से रीयल्टी सेक्टर का विकास बाधित होगा। भूमि अधिग्रहण और पुनर्वास की बाध्यकारी नीतियों से अनियोजित बस्तियों और झुग्गियों की संख्या तेजी से बढ़ेगी, जिसका देश की अर्थव्यवस्था पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा। कैबिनेट द्वारा भूमि अधिग्रहण एवं पुनर्वास व पुनर्स्थापना बिल को मंजूरी मिलने के बाद इस पर प्रतिक्रिया देते हुए संगठन ने कहा कि शहरीकरण को नियंत्रित कर पाना मुश्किल है। ऐसे में यदि नियोजित तरीके से आवासीय परियोजनाओं के लिए सुविधाएं उपलब्ध नहीं कराई गईं, तो तेजी से बढ़ती जनसंख्या झुग्गियों में रहने को विवश होगी। आने वाले दिनों में मकानों की कीमतें तेजी से बढ़ेंगी और यह सामान्य खरीदार के बजट से बाहर हो जाएंगे।

बढ़ेगी बस्तियों और झुग्गियों की संख्या
संगठन का कहना है कि निजी परियोजनाओं के लिए 50 एकड़ से अधिक की भूमि अधिग्रहीत करने पर पुनर्वास एवं पुनर्स्थापना को जरूरी करने से नियोजित आवासीय परियोजनाओं के लिए भूमि की आपूर्ति काफी हद तक प्रतिबंधित हो जाएगी। परिणामस्वरूप अनियोजित बस्तियों और झुग्गियों की संख्या में वृद्धि होगी। आने वाले दिनों में किसानों पर भी इसका प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा। अनियोजित तरीके से आवासीय विकास होने से किसान अपनी जमीन की वास्तविक कीमत नहीं लगा पाएंगे।

क्रेडाई का कहना है कि किसानों को व्यावसायिक परियोजनाओं में हिस्सेदार बनाकर उनके हित और अधिक सुरक्षित किए जा सकते हैं। यह एक बेहतरीन विकल्प साबित होगा। इसमें भू-स्वामी मुआवजा नकद या परियोजना में शेयर या कुछ नकद और कुछ हिस्सेदारी के रूप में ले सकता है। हालांकि इसमें भू-स्वामी के पास परियोजना के 49 फीसदी से अधिक शेयर नहीं होने चाहिए। इससे डेवलपर अपनी जरूरत के मुताबिक परियोजना का विकास करने के लिए स्वतंत्र हो सकेंगे। यह किसानों और भू-स्वामियों के लिए एक बेहतर और सतत लाभकारी विकल्प साबित होगा। बजाय इसके कि किसानों को लंबी अवधि तक सालाना मुआवजा दिया जाए या विकसित भूमि का 20 फीसदी हिस्सा वापस किया जाए।

व्यवस्‍था को बताया एकपक्षीय
इसी तरह, सरकार ने विकसित भूमि का 20 फीसदी हिस्सा राजीव आवास योजना के तहत आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग के लिए आरक्षित करने की घोषणा की है। यह पूरी तरह एकपक्षीय व्यवस्था है। यह भले ही गरीबों के लिए लाभकारी हो, लेकिन रीयल एस्टेट सेक्टर के लिए काफी नुकसानदायक साबित होगा। यह सोने का अंडा देने वाली मुर्गी की हत्या करने जैसा होगा। क्योंकि देश की जीडीपी में रीयल एस्टेट सेक्टर की भागीदारी 11 फीसदी से अधिक है। देश में रीयल्टी रोजगार मुहैया कराने वाला दूसरा सबसे बड़ा सेक्टर है।

भूस्वामी और खरीदार में संतुलन जरूरी : एसोचैम
कैबिनेट द्वारा मंजूर किए गए नए भूमि अधिग्रहण बिल को लागू करने से पहले उस पर व्यापक चर्चा की जरूरत है। उद्योग संगठन एसोचैम का मानना है कि आर्थिक विकास के लिए यह बिल पर्याप्त माहौल बनाने में समक्ष नहीं है। नए बिल में किसानों को मुआवजा मांगने का पूरा अधिकार है, जो कि ग्रामीण क्षेत्रों में बाजार भाव का चार गुना और शहरी क्षेत्र में दोगुना है। लेकिन यह भूस्वामी और भूमि अधिग्रहण करने वाले के बीच संतुलन बनाने में विफल है।

एसोचैम के महासचिव डीएस रावत का कहना है कि यह बिल काफी हद तक किसानों और भू-स्वामियों के पक्ष में है। यह दोनों पक्षों के लिए समान रूप से हितकारी नहीं है। किसानों के हितों की रक्षा की गई है, लेकिन मध्यम वर्ग के लिए सस्ते मकान की आवश्यकताओं का कोई ख्याल नहीं रखा गया है। उन्होंने कहा कि किसानों को अधिक मुआवजा दिए जाने की व्यवस्था से जमीन की कीमतें 60 से 80 फीसदी तक बढ़ जाएंगी।

'नए भूमि अधिग्रहण एवं पुनर्वास व पुनर्स्थापना बिल पर डेवलपरों की मिलीजुली राय है। हालांकि पुराने पड़ चुके भूमि अधिग्रहण अधिनियम की जगह नया बिल लाना स्वागत योग्य है। इससे अधिग्रहण जरूरी होने पर किसानों को उचित मुआवजा मिल सकेगा, लेकिन डेवलपरों के लिए पुनर्वास एवं पुनर्स्थापना के प्रावधान गंभीर चिंता का विषय है। भूमि की अर्थव्यवस्था बाजार के मुताबिक संचालित होती है। ऐसे में सरकार को इसमें हस्तक्षेप नहीं करना चाहिए। इसके अलावा, बहु फसलीय भूमि पर आवासीय परियोजनाओं को प्रतिबंधित कर देना काफी आदर्शवादी और अव्यावहारिक है।'
-पंकज बजाज, प्रेसिडेंट, क्रेडाई एनसीआर

View Post on Facebook · Edit Email Settings · Reply to this email to add a comment.



--
Palash Biswas
Pl Read:
http://nandigramunited-banga.blogspot.com/

No comments:

Related Posts Plugin for WordPress, Blogger...