From: भाषा,शिक्षा और रोज़गार <eduployment@gmail.com>
Date: 2011/8/20
Subject: भाषा,शिक्षा और रोज़गार
To: palashbiswaskl@gmail.com
भाषा,शिक्षा और रोज़गार |
- अनुसूचित जातियों के प्रति अपने दायित्व से मुंह मोड़ती कम्पनियां
- बिहारः2100 डॉक्टर, 4000 नर्सें होंगी बहाल
- उदयपुरःविद्यार्थी एक भी नहीं और शिक्षक दो
- सुखाड़िया विश्वविद्यालयः..तो नामांकन होगा निरस्त
- राजस्थान माध्यमिक शिक्षा बोर्डःपूरक परीक्षा के लिए कंट्रोल रूम आज से
- रेलवे भर्ती बोर्ड,इलाहाबाद: जांच के नाम बहाने
- यूपीःबीएड की तीसरी काउंसिलिंग आज से
- इंदौरःएमसीआई के रुख ने बढ़ाई एमजीएम मेडिकल कॉलेज की धड़कन
- देहरादूनःडीएवी में परीक्षा परिणाम घोषित न होने पर छात्र भड़के
- सेना के जवानों को मिलेगा ज्यादा राशन
- राजस्थान में पांच लाख बच्चे स्कूल से दूर
- डॉक्टरों को लगी प्राइवेट प्रैक्टिस की लत
- झारखंड में अपराधियों के खौफ से 35 स्कूलों में लटके ताले
- उत्तराखंडःस्कूलों में जल्द होंगी शिक्षक नियुक्तियां
- ओबीसी छात्रों को दस फीसदी कम अंकों पर मिलेगा प्रवेश,लाखों ओबीसी छात्रों को होगा फायदा
- यूपी बोर्ड की पूरक परीक्षा का परिणाम घोषित
- हरियाणा में पिछड़ों के आरक्षण में विसंगति
- मध्यप्रदेशःसुप्रीम कोर्ट ने अठारह हजार संविदा शिक्षकों की नियुक्ति को वैध ठहराया
- असिस्टेंट लोको पायलट परीक्षा
- सांख्यिकी में करिअर
- डिजाइनिंग में करिअर
अनुसूचित जातियों के प्रति अपने दायित्व से मुंह मोड़ती कम्पनियां Posted: 19 Aug 2011 06:30 AM PDT जातिभेद का रोग किस तरह ब्रिटेन में आयात हुआ है इस बारे में हाल की खबरें खुलासा करती हैं। इस सिलसिले में विजय एवं अमरदीप बेगराज नामक भारतीय मूल के एक जोड़े ने अपने ब्रिटिश नियोक्ता की फर्म हीर मानक के खिलाफ अदालत का भी दरवाजा खटखटाया है। उनके मुतातिबक दलित पृष्ठभूमि से आने वाले विजय एवं जाट पृष्ठभूमि की अमरदीप की शादी उनके नियोक्ताओं को पसंद नहीं थी और इसी आधार पर उन्हें भेदभाव झेलना पड़ा। याद रहे कि ब्रिटेन में भारतीय समुदाय में जातिभेद की घटनाओं को लेकर पिछले दिनों एक रिपोर्ट का भी प्रकाशन हुआ था, लेकिन यह पहली बार है जबकि किसी ने इस सिलसिले में मुकदमा दर्ज कराया है। साफ है कि भारतीय मूल का कारपोरेट सेक्टर फिर वह चाहे ब्रिटेन में बसा हो या यहां पर स्थित हो उसके असमावेशी सोच के बारे में यह कोई पहली मिसाल नहीं है। अभी ताजा उदाहरण यह है कि सरकार के तमाम निर्देशों के बावजूद तथा इस काम के लिए सरकार की तरफ से तमाम छूटें हासिल करने के बावजूद निजी क्षेत्र से जुड़े बैंक अनुसूचित तबके के लोगों के कल्याण के प्रति अत्यंत निष्कि्रय दिखते हैं। यह भी मालूम हुआ है कि एचडीएफसी, आइसीआइसीआइ और एक्सिस बैंक जैसे निजी क्षेत्र के अग्रणी बैंकों द्वारा वित्तीय वर्ष 2010-11 में अनुसूचित तबके के छात्रों को अनुक्रम से महज 1.58 करोड रुपये, 57 लाख रुपये और 37 लाख रुपये के कर्ज दिए गए हैं। निजी क्षेत्र के बैंकों के संदर्भ में सार्वजनिक क्षेत्र के छोटे बैंक चाहे इंडियन बैंक हो, आंध्र बैंक अथवा सिंडिकेट बैंक ने अनुसूचित जाति एवं जनजाति तबके से आने वाले छात्रों को काफी कर्ज उपलब्ध कराया है। पिछले दिनों राज्यसभा में प्रश्नों का जवाब देते हुए वित्त मंत्रालय की तरफ से बताया गया किर् इंडियन बैंक द्वारा इस सिलसिले में 484.56 करोड रुपये, आंध्र बैंक द्वारा 146.08 करोड रुपये और सिंडिकेट बैंक द्वारा 109.47 करोड रुपये दिए जाचुके हैं। देश का सबसे बड़ा कर्जदाता स्टेट बैंक ऑफ इंडिया अनुसूचित तबके को कर्जा देने के मामले में उतना आगे नहीं है। उसकी तरफ से वित्त वर्ष 2010-2011 के अंत में 238 करोड़ रुपये कर्ज दिया गया है। ध्यान रहे कि इंडियन बैंक एसोसिएशन जो सार्वजनिक एवं निजी क्षेत्र के बैंकों एवं विदेशी बैंकों का प्रतिनिधि संगठन है उसकी तरफ से बहुत पहले वित्तीय समावेशन को लेकर मॉडल एजूकेशन लोन स्कीम के नाम से एक गजट जारी किया गया है। इसके अंतर्गत भारत के नागरिक जिन्होंने प्रोफेशनल एवं तकनीकी शिक्षा के पाठयक्रमों में प्रवेश परीक्षा या मेरिट आधारित चयन प्रक्रिया के जरिये प्रवेश हासिल किया है, वे शैक्षिक कर्जा पाने के हकदार हैं। निजी बैंकों के ऐसे विशिष्ट रुख को कैसे समझा जा सकता है? क्या यह मान लिया जाए कि निजी बैंक ही नहीं हिंदुस्तान के कारपोरेट क्षेत्र के दरवाजे भी मुख्यत: भद्र जातियों तक ही सीमित हैं? इसी साल के पूर्वार्द्ध में भारतीय उद्योगपतियों के सबसे बड़े संगठन कहे जाने वाले कॉनफेडरेशन ऑफ इंडियन इंडस्ट्रीज यानी सीआइआइ द्वारा इस सिलसिले में किए गए सर्वेक्षण के आंकड़े प्रकाशित हुए थे। सीआइआइ के सदस्य उद्योगों में लगभग 35 लाख लोग कार्यरत हैं। प्रस्तुत सर्वेक्षण के तहत 22 राज्यों एवं केंद्र शासित प्रदेशों में फैले उसके सदस्यों का एक सैंपल सर्वे किया, जिसके तहत 8,250 कर्मचारियों अथवा कामगारों से जानकारी हासिल की गई। सर्वेक्षण में कुछ विचलित करने वाले तथ्य सामने आए हैं। मसलन भारत के सबसे औद्योगिक कहे जाने वाले राज्यों में निजी क्षेत्र में अनुसूचित जाति एवं जनजातियों का अनुपात, राज्य की आबादी में उनके अनुपात को कहीं से भी प्रतिबिंबित नहीं करता। उदाहरण के लिए वर्ष 2008-2009 के वार्षिक उद्योग सर्वेक्षण में औद्योगिकरण एवं रोजगार के मामले में महाराष्ट्र दूसरे नंबर पर है, जबकि वहां इन तबकों का रोजगार में अनुपात महज पांच फीसदी है जो राज्य में उनकी आबादी के 19.1 प्रतिशत से काफी कम है। अगर हम महाराष्ट्र के सीआइआइ से जुड़े उद्योगों में कार्यरत आबादी को देखें तो अकेले महाराष्ट्र में लगभग 20.72 लाख लोग कार्यरत हैं। महाराष्ट्र जैसी स्थिति गुजरात की है जो वार्षिक उद्योग सर्वेक्षण के मुताबिक चौथे नंबर पर है मगर वहां निजी क्षेत्र में अनुसूचित जाति एवं जनजातियों का प्रतिशत महज नौ फीसदी है जो आबादी में उनके 21.9 प्रतिशत से काफी कम है। अकेले तमिलनाडु में इन वंचित तबकों का निजी क्षेत्र में अनुपात आबादी में उनके हिस्से के लगभग समानुपातिक है। वहां इनकी आबादी का प्रतिशत 20 फीसदी है जबकि उद्योगों में उनकी उपस्थिति का प्रतिशत 17.9 फीसदी है। दक्षिण के अन्य राज्यों में भी इसी किस्म की स्थिति है। यहां सवाल यही उठता है कि जिन आग्रहों के चलते निजी क्षेत्र के कर्णधार अपने यहां उत्पीडि़तों-वंचितों के लिए सकारात्मक कार्रवाई की नीतियां चलाने के प्रति इतना अनिच्छुक दिखते हैं उन्हें कहां तक उचित माना जा सकता है। विडंबना यही कही जाएगी कि कारपोरेट क्षेत्र का असमावेशी रुख सिर्फ सामाजिक तौर पर बहिष्कृत रहे तबकों तक सीमित नहीं है। वह विकलांगों के प्रति भी उतनी ही असहिष्णु है। आंकड़े बताते हैं कि विकलांगता को लेकर समूचा कारपोरेट जगत विफल ही कहा जा सकता है। विकलांगों के रोजगारों को लेकर निजी क्षेत्र की बात करें तो यह बात स्पष्ट होती है कि निजी क्षेत्रों में उनके रोजगार अवसर नाममात्र के होते हैं। जहां बड़ी निजी फर्मो में यह आंकड़ा 0.3 फीसदी दिखता है तो बहुराष्ट्रीय कंपनियों में महज 0.05 फीसदी तक ही पहुंचता है। विश्व बैंक की रिपोर्ट पीपुल विथ डिसएबिलिटीज इन इंडिया में यह आंकड़े प्रकाशित हुए हैं। दो साल पहले विकलांगों के प्रति उसके इस बेहद असंवेदशील रुख की खबर सुर्खियों में रही थी। वर्ष 2008-09 के अपने वित्त बजट के छमाही आकलन के बाद सरकार ने यह पाया था कि विकलांगों के कल्याण के नाम पर उसने जिस योजना का बहुत प्रचार किया और उसके लिए अठारह सौ करोड़ रुपये की अनुदान राशि निजी कारपोरेट समूहों को दी वह बिल्कुल अछूती ही रह गई। इन दिनों देश में निजी बैंकों को यहां कारोबार करने के लिए लाइसेंस देने के लिए चर्चा चल रही है। एंट्री ऑफ न्यू बैंकर्स इन द प्राइवेट सेक्टर नाम से रिजर्व बैंक की तरफ से इस सिलसिले में चर्चा के लिए परिपत्र भी जारी किया गया है, लेकिन इस बारे में सरकार को सावधानी बरतनी चाहिए कि कहीं यह केवल सक्षम और समर्थ लोगों तक के लिए सीमित न रह जाएं। इसके लिए भारत के प्रबुद्ध समुदाय को जागरूक होने की जरूरत है। उसे इस बात पर जोर देना चाहिए कि बाजार में मुनाफे के लिए पहुंचने के लिए लालायित इन निजी बैंकों से यह गारंटी सुनिश्चित की जाए कि वह अपने सामाजिक कर्तव्यों और जिम्मेदारियों के प्रति भी सचेत रहें वरना उनके लाइसेंस समाप्त किए जा सकते हैं(सुभाष गताडे,दैनिक जागरण,19.8.11)। |
बिहारः2100 डॉक्टर, 4000 नर्सें होंगी बहाल Posted: 19 Aug 2011 05:30 AM PDT स्वास्थ्य की समुचित सुविधा को ध्यान में रख कर राज्य सरकार बड़े पैमाने पर चिकित्सकों व नसरे की नियुक्ति करने जा रही है। साथ ही पहले से बहाल नसरे की बेहतरी के लिए प्रशिक्षण दिलाने की भी व्यवस्था की जायेगी। यह जानकारी स्वास्थ्य विभाग के प्रधान सचिव अमरजीत सिन्हा ने दी। श्री सिन्हा ने सूचना भवन के संवाद कक्ष में संवाददाताओं को बताया कि 1500 से अधिक नये चिकित्सकों की नियमित नियुक्ति हेतु अधियाचना बिहार लोक सेवा आयोग को भेजी गई है। वहीं स्वास्थ्य सेवा विशेषज्ञ उप संवर्ग हेतु 2132 चिकित्सकों की नियुक्ति के लिए बिहार लोक सेवा आयोग को अधियाचना भेजी गई है। इसके सहयोग से राज्य के 72 अस्पतालों में सर्जरी की सुविधा पूरी तरह से उपलब्ध कराने की कोशिश भी हो रही है। उन्होंने बताया कि वर्तमान में यह प्रक्रिया पूर्ण होने पर है तथा नियुक्ति के लिए 44 मूच्र्छकों (एनेस्थेसिस्ट) की पहली सूची विभाग को प्राप्त हो गई है। शीघ्र ही शिशु रोग, सर्जरी तथा महिला रोग विशेषज्ञ भी इस प्रक्रिया से चयनित होकर योगदान देंगे। इसके साथ ही चिकित्सा क्षेत्रों में सह प्राध्यापक, सह सहायक प्राध्यापक के पदों को नियमित रूप से अथवा अनुबंध के आधार पर भरने की भी तैयारी विभाग द्वारा की जा रही है। प्रधान सचिव ने कहा कि राज्य सरकार 20 हजार उप केन्द्रों पर दो एएनएम की आवश्यकता को ध्यान में रख कर विचार कर रही है। इस लिहाज से लगभग 40 हजार नसरे की जरूरत पड़ेगी। राज्य सरकार शीघ्र ही इनका नियोजन करने जा रही है। वैसे स्वास्थ्य मिशन के सहयोग से राज्य में 80 हजार आशा, 7258 एएनएम 1474 ग्रेड स्टाफ नर्स को अनुबंध पर नियुक्त किया गया है। नसरे की कमी का कारण राज्य में बीएससी नर्सिग की व्यवस्था का नहीं होना है। इधर राज्य सरकार कुर्जी अस्पताल व आईजीआईएमएस में शीघ्र ही इसकी पढ़ाई शुरू करने जा रही है। श्री सिन्हा ने कहा कि वैसे सरकार मार्च 2012 तक 9 एएनएम व 4 जीएनएम नर्सिग स्कूल भी खोलने जा रही है। एएनएम स्कूल के लिए 5 करोड़ तथा जीएनएम स्कूल के लिए 10 करोड़ रुपये खर्च होंगे। उन्होंने कहा कि इधर शिकायत मिल रही थी कि जो नर्स बहाल हैं उन्हें भी ठीक से काम करना नहीं आता है। इस शिकायत को दूर करने के लिए राज्य सरकार पहली बार नर्स टेस्टिंग स्किल लैब के जरिये उन्हें पुन: प्रशिक्षित करने जा रही है। इसके साथ ही राज्य सरकार छह मेडिकल कॉलेजों में भी नर्सिग कॉलेज की व्यवस्था करने जा रही है। उन्होंने कहा कि इस संबंध में भारत सरकार से मांग की गई है कि बिहार में नर्सिग व पारा मेडिकल संस्थानों की स्थापना में विशेष प्राथमिकता दी जाए। उन्होंने कहा कि राज्य में बारह नये चिकित्सा महाविद्यालय खोलने की जरूरत है जबकि मात्र तीन महाविद्यालय ही खोले जा सके हैं। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार की मंशा है कि पंचवर्षीय योजना के तहत ही मुजफ्फरपुर मेडिकल कॉलेज को एम्स की तर्ज पर उत्क्रमित किया जाये। इसके लिए एम्स के संबंधित पदाधिकारी से बात भी हुई है। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार तमाम संसाधनों को पूरा करने के बाद इसी वर्ष पावापुरी, मधेपुरा व बेतिया मेडिकल कॉलेज का एमसीआई द्वारा निरीक्षण कराना चाहती है। इस मौके पर स्वास्थ्य विभाग के सचिव संजय कुमार ने कहा कि राज्य सरकार ने केन्द्र से पोलियो की समाप्ति के लिए एक अतिरिक्त चक्र चलाने का आग्रह किया है। यह चक्र 28 अगस्त से चलाया जाएगा। उन्होंने कहा कि यहां वैसे पल्स पोलियो के छह चक्र चलाये गये हैं। इस चक्र के दौरान 95.5 प्रतिशत से भी अधिक बच्चे को प्रतिरक्षित किया जा चुका है(राष्ट्रीय सहारा,पटना,19.8.11)। |
उदयपुरःविद्यार्थी एक भी नहीं और शिक्षक दो Posted: 19 Aug 2011 05:23 AM PDT क्षेत्र में प्राथमिक शिक्षा के हाल बेहाल हैं। छात्र तथा शिक्षकों का अनुपात गड़बड़ाने से स्थिति यह है कि अध्यापक के अभाव में जावड़ क्षेत्र का भमरिया कुआं प्राथमिक स्कूल पंद्रह दिन से बंद पड़ा है, तो साकरोदा नोडल केंद्र के ऊंखलियों का खेड़ा प्राथमिक स्कूल में विद्यार्थियों का नामांकन तो शून्य है, इसके बावजूद विभाग ने यहां दो अध्यापक लगा रखे हैं। मुख्यालय से 15 किमी दूर ऊंखलियों का खेड़ा प्राथमिक स्कूल में इस शैक्षणिक सत्र में अभी तक एक भी बच्चे का नामांकन नहीं हुआ है, जबकि विभाग ने यहां दो अध्यापकों को लगा रखा है। पिछले साल इस स्कूल में 18 बच्चों का नामांकन था, लेकिन इस साल स्कूल में एक भी बच्चे का नामांकन नहीं हो पाया है। आज ही बीईओ की बैठक थी, मुझे इस संबंध में किसी ने सूचना नहीं दी है। शून्य नामांकन वाले स्कूल में सूचना के बावजूद अध्यापक लगाए रखना गलत है। ऐसे स्कूलों को अनार्थिक की श्रेणी में लेकर बंद करने के प्रावधान है। दोनों स्कूलों की स्थिति के बारे में अभी बीईओ से बात करता हूं।"" प्रभुलाल मेघवाल, एडीशनल डीईओ, प्रारंभिक उदयपुर(दैनिक भास्कर,मावली,19.8.11) |
सुखाड़िया विश्वविद्यालयः..तो नामांकन होगा निरस्त Posted: 19 Aug 2011 05:21 AM PDT सुखाड़िया विश्वविद्यालय मुख्य चुनाव अधिकारी प्रो. विजयलक्ष्मी चौहान ने छात्रसंघ चुनाव में प्रत्याशियों को आचार संहिता का उल्लंघन करने पर नामांकन निरस्त करने की चेतावनी दी है। चुनाव से दो दिन पूर्व प्रत्याशियों से रूबरू संवाद में मुख्य चुनाव अधिकारी ने प्रत्याशियों को लिंगदोह कमेटी की सिफारिशों की जानकारी दी। छात्र कल्याण अधिष्ठाता कार्यालय में सुबह 11 बजे आयोजित संवाद कार्यक्रम में केन्द्रीय छात्रसंघ अध्यक्ष से लेकर संयुक्त सचिव पद तक के प्रत्याशी मौजूद थे। मुख्य चुनाव अधिकारी प्रो. विजयलक्ष्मी चौहान ने सभी प्रत्याशियों को आचार संहिता की पालना करने की हिदायत दी। इस दौरान प्रत्याशियों के एजेंट को बैज दिए गए। प्रत्याशियों ने जानी चुनावी प्रक्रिया संवाद कार्यक्रम में प्रत्याशियों ने चुनाव प्रक्रिया संबंधित कई प्रश्न पूछे। जिस पर मुख्य चुनाव अधिकारी द्वारा उनके प्रश्नों के जवाब देकर उनकी जिज्ञासा को शांत किया गया। प्रत्याशियों को पुराने मत-पत्र के माध्यम से वैध व अवैध मतदान की जानकारी दी गई। नहीं ले जा सकेंगे मोबाइल चुनाव व मतगणना के दौरान मोबाइल लाने पर पाबंदी रहेगी। इस संबंध में शिक्षकों, कर्मचारियों, प्रत्याशियों व छात्रों को हिदायत दी गई है। अपराह्न् 3 बजे मतगणना समिति सदस्यों की भी मीटिंग ली गई तथा उन्हें मतगणना के तरीकों के बारे में अवगत कराया गया। छात्रों को आचार संहिता संबंधी आवश्यक जानकारी भी दी गई(दैनिक भास्कर,उदयपुर,19.8.11)। |
राजस्थान माध्यमिक शिक्षा बोर्डःपूरक परीक्षा के लिए कंट्रोल रूम आज से Posted: 19 Aug 2011 05:19 AM PDT राजस्थान माध्यमिक शिक्षा बोर्ड की 25 अगस्त से होने वाली पूरक परीक्षाओं के लिए बोर्ड में शुक्रवार से कंट्रोल रूम शुरू होगा। बोर्ड शुक्रवार से प्रदेश के विभिन्न जिलों में परीक्षा सामग्री रवाना करेगा। बोर्ड सचिव मिरजूराम शर्मा के मुताबिक पूरक परीक्षाओं के संचालन के लिए शुरू होने वाला कंट्रोल रूम 30 अगस्त तक कार्य करेगा। यहां पर सुबह 6 बजे से रात 12 बजे तक सूचना दी जा सकती है। उन्होंने बताया कि कंट्रोल रूम में दर्ज शिकायत का नंबर अवश्य प्राप्त करें, ताकि भविष्य में इसी शिकायत नंबर के आधार पर जानकारी प्राप्त की जा सके। शिकायत के साथ अपना टेलीफोन या मोबाइल नंबर अवश्य नोट कराएं। कंट्रोल रूम के नंबर : 0145-2628499, 2631310, 2631314, 2622877 एवं फैक्स नंबर-2627394 परीक्षा सामग्री आज से रवाना होगी : पूरक परीक्षाओं की परीक्षा सामग्री भी शुक्रवार से प्रदेश के विभिन्न जिलों में रवाना की जाएगी। बोर्ड कर्मचारियों के दल ये सामग्री लेकर रवाना होंगे। बोर्ड ने प्रदेश में 32 उत्तर पुस्तिका संग्रहण केंद्र बनाए हैं। परीक्षा में 1 लाख 14 हजार से अधिक परीक्षार्थी प्रविष्ट होंगे(दैनिक भास्कर,जोधपुर,19.8.11)। |
रेलवे भर्ती बोर्ड,इलाहाबाद: जांच के नाम बहाने Posted: 19 Aug 2011 05:18 AM PDT रेलवे भर्ती बोर्ड, इलाहाबाद की ओर से सहायक लोको पायलट की भर्ती के लिए आवेदन करने वाले युवक अस्पतालों के चक्कर काटने को मजबूर हैं। फॉर्म पर सरकारी आई स्पेशलिस्ट से जांच करवाकर मुहर सहित साइन करवाने की मजबूरी इनकी परेशानी का कारण बन चुकी है। मथुरादास माथुर (एमडीएम) अस्पताल में तो डॉक्टर सील होने से ही इनकार कर रहे हैं। जागरूक पाठक से सूचना मिली कि रेलवे भर्ती बोर्ड, इलाहाबाद ने लोको पायलट सहित विभिन्न तकनीकी पदों पर भर्ती के लिए आवेदन मांगे गए हैं। कुल 16595 पदों पर भर्ती की जानी है और 12 नवंबर आखिरी तारीख है। आवेदन पर नेत्र रोग विशेषज्ञ से विजिबिलिटी जांच के बाद सील और साइन जरूरी हैं। इसके लिए आवेदक इधर-उधर भटकते फिर रहे हैं। टीम गुरुवार को एमडीएम अस्पताल पहुंची। यहां भगत की कोठी निवासी रवींद्र भाटी, रामप्रसाद चौधरी, त्रिलोकराम चंदेल, हनुमान, महेंद्र, धीरज सक्सेना आदि भर्ती फॉर्म पर नेत्र रोग विशेषज्ञ की सील लगवाने के लिए भटक रहे थे। इन्होंने टीम को बताया कि सरकारी अस्पताल के आई स्पेशलिस्ट एक से दूसरे अस्पताल भेज रहे हैं। बुधवार को भी हम एमडीएम अस्पताल आए थे। यहां डॉक्टर कहने लगे कि पावटा सेटेलाइट अस्पताल में आई स्पेशलिस्ट बैठते हैं। वहीं आंखों की जांच के बाद हस्ताक्षर व सील लगाई जाएगी। गुरुवार को जब अभ्यर्थी पावटा सेटेलाइट अस्पताल पहुंचे तो वहां डॉ. अजीत जाखड़ ने एमडीएम अस्पताल जाने की सलाह दी। दुबारा एमडीएम अस्पताल के नेत्र विभाग में आए। यहां डॉ. गजेश भार्गव और डॉ. सरिता गौड़ ने फिर इनकार कर दिया। अभ्यर्थियों ने डॉक्टरों से पूछा भी कि आखिर आंखों की जांच की पुष्टि कौन करेगा? तब डॉक्टरों ने आंखों की जांच की और फॉर्म पर साइन कर लिए लेकिन इसके बाद मामला मुहर पर अटक गया। इन्हें कहा गया कि इंक्वायरी काउंटर से अस्पताल आचार्य व सह आचार्य की सील लगवा लें। आई स्पेशलिस्ट की सील ही नहीं आवेदकों के साथ टीम एमडीएम अस्पताल के आई डिपार्टमेंट में पहुंची। टीम ने डॉ. गजेश भार्गव और डॉ. सरिता गौड़ को परिचय देकर फॉर्म पर सील नहीं लगाने के बारे में पूछा। डॉक्टरों का कहना था कि हम तो यहां आने वाले सभी युवकों की आंखों की जांच करके हस्ताक्षर कर रहे हैं। हमारे पास अपनी सील नहीं है। अस्पताल प्रशासन ने ही आई स्पेशलिस्ट को सील नहीं दे रखी है। डॉ. भार्गव का कहना था कि सहायक लोको पायलट के आवेदन पर सील लगवाने के लिए काफी लोग आ रहे हैं। इसलिए हमने अस्पताल प्रशासन को सील बनवाने के लिए पत्र भी लिखा है। सील आते ही सभी आवेदनों पर हम सील लगाने लगेंगे। टीम ने अस्पताल अधीक्षक को दिए पत्र की कॉपी मांगी तो कहने लगे कि वह तो अभी नहीं है। कहने लगे सील गुम हो गई आई स्पेशलिस्ट से बातचीत के दौरान टीम की नजर पास ही पड़े एक रजिस्टर पर पड़ी। रजिस्टर के कवर पर नेत्र रोग विशेषज्ञ, मथुरादास माथुर अस्पताल, जोधपुर की मुहरें लगी हुई थीं। टीम ने ये सीलें दिखाते हुए विशेषज्ञों से पूछा तो वे सकपका गए। डॉ. भार्गव सफाई देने लगे कि ये पुरानी वाली सील हैं, जो अब गुम हो गई हैं। सील मेरे घर की है टीम की मौजूदगी में युवकों ने डॉ. भार्गव को बताया कि इंक्वायरी पर बैठे कर्मचारी ने तो कहा कि सील लगवानी है तो डॉक्टर के घर जाओ। वहां डेढ़ सौ रुपए दोगे तो सील लग जाएगी। डॉ. भार्गव ने ऐसी किसी बात से इनकार करते हुए बताया कि वैसे वह सील तो मेरे घर की ही है। इसके बाद टीम इंक्वायरी की तरफ गई लेकिन वह कर्मचारी नहीं मिला। टीम अस्पताल अधीक्षक डॉ. अरविंद माथुर के चैंबर में गई। पता चला कि वे जयपुर गए हुए हैं। इसके बाद टीम पावटा सेटेलाइट अस्पताल गई। वहां नेत्र विशेषज्ञ डॉ. अजीत जाखड़ भी नहीं मिले(विकास आर्य,दैनिक भास्कर,जोधपुर,19.8.11)। |
यूपीःबीएड की तीसरी काउंसिलिंग आज से Posted: 19 Aug 2011 03:18 AM PDT संयुक्त प्रवेश परीक्षा बीएड-2011 की प्रवेश काउंसिलिंग का तीसरा चरण शुक्रवार से शुरू हो रहा है। प्रदेश के 9 शहरों में 10 काउंसिलिंग केंद्र बनाए गए हैं। लखनऊ के मुख्य केंद्र व्यवस्थापक प्रो.पवन अग्रवाल ने बताया कि राजधानी में लविवि के छात्रसंघ भवन पर काउंसिलिंग होगी। दो चरणों की प्रवेश प्रक्रिया के बाद भी बड़ी संख्या में बीएड सीटें अभी रिक्त पड़ी हैं। इन सीटों पर शनिवार से प्रवेश प्रक्रिया शुरू होगी। 19 और 20 अगस्त को विज्ञान और कृषि विषयों की सीटें भरी जाएंगी जबकि 21 और 23 को कला और वाणिज्य की काउंसिलिंग होगी। 22 अगस्त को अवकाश रहेगा लेकिन कंफर्मेशन रसीद वितरण जारी रहेगा। जो अभ्यर्थी पिछली दो काउंसिलिंग में शामिल नहीं हो सके थे वे भी इसमें शामिल हो सकते हैं(दैनिक जागरण,लखनऊ,19.8.11)। |
इंदौरःएमसीआई के रुख ने बढ़ाई एमजीएम मेडिकल कॉलेज की धड़कन Posted: 19 Aug 2011 03:15 AM PDT एमबीबीएस की मान्यता मिलने के बाद राहत की सांस ले रहे एमजीएम मेडिकल कॉलेज की चिंता फिर बढ़ गई है, क्योंकि मेडिकल कॉलेजों की मान्यता को लेकर मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया (एमसीआई) सख्त हो गई है। दोबारा उन कॉलेजों की फाइल खोली जा रही है, जिन्हें पिछले साल मान्यता दी गई थी। गुरुवार सुबह टेलीफोन और दोपहर में फैक्स के जरिए कॉलेज प्रशासन को सूचना मिली कि एमसीआई की टीम शुक्रवार को दो दिनी दौरे पर आ रही है। तुरंत ही विभागाध्यक्षों से फॉर्मेट में जानकारी मांगी गई। हालांकि आधिकारिक सूत्रों के अनुसार एमसीआई का दौरा टल गया है। निरीक्षण की सूचना फोन पर मिलते ही इस बारे में भोपाल में आला अधिकारियों को बताया गया। डॉक्टर यह सोचकर हैरान थे कि एमबीबीएस की मान्यता के लिए एमसीआई की टीम ने मार्च 2010 में ही निरीक्षण किया था। फिर सालभर में टीम दोबारा क्यों आ रही है? बहरहाल, तैयारी के लिए विभागाध्यक्षों की बैठक बुलाई गई। कॉलेज प्रशासन को भी डॉक्टरों के खाली पदों की याद आ गई। महीनों से अटकी डीपीसी करने की भी सूझी। बैठक में डॉक्टरों से फॉर्मेट में इंफ्रास्ट्रक्चर, स्टाफ व अन्य जानकारी मांगी गई। हालांकि डॉक्टरों ने बैठक में ही कहा कि एक दिन में इतनी जानकारी जुटाना संभव नहीं है। उधर, दोपहर में कॉलेज प्रशासन ने दिल्ली फैक्स कर निरीक्षण की तैयारी के लिए समय मांगा। कॉलेज के आधिकारिक सूत्रों के अनुसार एमजीएम मेडिकल कॉलेज को भी समय देते हुए शुक्रवार का दौरा स्थगित किया जा रहा है। उधर, एमवाय अस्पताल के अधीक्षक डॉ. सलिल भार्गव ने बताया निरीक्षण के दिन के बारे में नहीं कहा जा सकता लेकिन एमसीआई के दौरे को लेकर अस्पताल में तैयारी की जा रही है। इसलिए आ रही है टीम बताया जा रहा है कि निजी कॉलेजों की मान्यता को लेकर तत्कालीन एमसीआई अध्यक्ष केतन देसाई को पद से हटाया गया था। तब शिकायतें मिलने पर कई कॉलेजों की फाइल दोबारा खोली गई थी। नई गवर्निग बॉडी का कहना है कि संसद में यह मुद्दा उठा। इसलिए सरकारी मेडिकल कॉलेजों की दोबारा जांच हो रही है। डीपीसी के लिए लिखी चिट्ठी एमसीआई के निरीक्षण का खतरा टल तो गया है, लेकिन कॉलेज के अधिकारी सतर्क हो गए हैं। कॉलेज प्रशासन ने तत्काल प्रमुख सचिव को विभागीय पदोन्नति करने संबंधी पत्र लिखा है। उन्होंने कहा है कि रेडियोलॉजी, फोरेंसिक, सर्जरी सहित कई विभाग हैं जहां नए नियमों के तहत डीपीसी की जा सकती है। खाली पदों के लिए वॉक इन इंटरव्यू की अनुमति भी मांगी है(दैनिक भास्कर,इन्दौर,19.8.11)। |
देहरादूनःडीएवी में परीक्षा परिणाम घोषित न होने पर छात्र भड़के Posted: 19 Aug 2011 01:59 AM PDT डीएवी (पीजी) कालेज के करीब 3200 छात्रों के परीक्षा परिणाम घोषित न करने का मामला एक बार फिर गरमा गया है। लंबे इतंजार के बाद एक बार फिर छात्रों ने पछले वर्ष के परीक्षा परिणाम घोषित करने की मांग को लेकर बृहस्पतिवार को प्रदर्शन करते हुए राजधानी स्थित विविद्यालय के उप कार्यालय में पहुंचे। जहां से उन्होंने कुलसचिव यूएस रावत से फोन पर वार्ता की। कुलसचिव द्वारा छात्र नेताओं को ही इस मामले के लिए दोषी ठहराने से छात्र नेता भड़क गए और उन्होंने कार्यालय में तोड़फोड़ शुरू कर दी। उन्होंने परीक्षा परिणाम घोषित न करने के निर्णय के खिलाफ नारेबाजी कर विविद्यालय को जमकर खरीखोटी सुनाई। उन्होंने कहा कि कुलसचिव ने उनसे अपशब्द कहते हुए अभद्रता की है। छात्र नेता वीरेन्द्र गुसाइर्ं ने कहा कि कैंप कार्यालय अनिश्चितकाल के लिए बंद रहेगा। उन्होंने कहा कि विवि को अगर परिणाम घोषित नहीं करना था तो फिर छात्रों के फार्म क्यों जमा किए गए। छात्र नेताओं ने कहा कि विविद्यालय छात्रों के भविष्य के साथ खिलवाड़ कर रहा है जिसे कतई बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। कालेज प्रशासन के इस रवैये से प्रभावित छात्रों में बेहद हताशा है। उन्हें दूर दूर तक उम्मीद की कोई किरण नहीं दिखाई दे रही। छात्र नेताओं ने कहा कि वह इस मामले को राज्यपाल के पास ले जाएंगे। जरूरत पड़ी तो वह हाईकोर्ट का दरवाजा भी खटखटाएंगे। उन्होंने विविद्यालय पर दबाव बनाने के लिए प्रभावित छात्रों से आगे आने का आह्वान भी किया। प्रदर्शनकारियों में छात्र नेता वीरेन्द्र गुसाई, कपिल भाटिया, तिलकराज गुप्ता, विवेक रावत, कुलदीप नेगी, ऋषभ, वीरेन्द्र पुंडीर रिसव जैन, डंपी गुसाईं, नीलम पाण्डे आदि प्रमुख रूप से शामिल थे। वहीं भ्रष्ट्राचार मिटाओ उत्तराखंड बचाओ अभियान से जुड़े छात्रों ने भी डीएवी के छात्रों के परीक्षा परिणामों को शीघ्र घोषित करने को लेकर विवि कैंप पहुंचकर नारेबाजी की व छात्र नेताओं को अपना पूर्ण समर्थन दिया(राष्ट्रीय सहारा,देहरादून,19.8.11) |
सेना के जवानों को मिलेगा ज्यादा राशन Posted: 19 Aug 2011 12:12 AM PDT सैनिकों की कठोर तथा शारीरिक रूप से तनावों से भरी जिंदगी को देखते हुए रक्षा मंत्रालय ने जवानों को अधिक पौष्टिक आहार देने और उनके राशन की मात्रा बढ़ाने का फैसला किया है। इसके तहत बढ़िया किस्म का राशन उपलब्ध कराने और आहार में नए उत्पादों को शामिल करने के निरंतर प्रयासों के तहत कई कदम उठाए गए हैं। राशन में सुधार और नई सामग्रियों को जोड़ने के बारे में सरकार ने जो नई मंजूरी दी है उसके तहत जूनियर कमीशंड अधिकारी तथा अन्य रैंकों के लिए अंडों और फलों के ताजा जूस की मात्रा में वृद्धि की गई है। अगस्त, २०१० से ९००० फुट की ऊंचाई पर तैनात ऐसे अधिकारियों और जवानों को प्रतिदिन दो अंडे और फलों के जूस की मात्रा ११० ग्राम से बढ़ाकर २३० ग्राम कर दी गई है। इसी प्रकार मांस उत्पादों की गुणवत्ता और मात्रा में भी सुधार किया गया है। इसके तहत ब्रायलर ड्रैस्ड चिकन की मात्रा ११० ग्राम से बढ़ाकर १८० ग्राम प्रतिदिन कर दी गई है। ड्रैस्ड मांस के विकल्प के रूप में प्रशीतित मांस, चिकन (ब्रायलर) मंजूर किया गया है। जवानों की पसंद के अनुसार बकरे, भेड़ के मांस की किसी भी मात्रा को मंजूरी दी गई है। आहार में विविधता के लिए अधिक समय तक ताजा बनाए रखने वाले रिटार्ट पाउच में "रेडी टु ईट" चिकन (ब्रायलर) शुरू किए गए हैं। १२,०० फुट की ऊंचाई पर तैनात जवानों के लिए विशेष राशन मंजूर किया गया है। पहले, विशेष राशन सियाचिन ग्लेशियर पर तैनात जवानों के लिए ही होता था। सुखाई गई डिहाइड्रेटेड सब्जियों की जगह अधिक समय तक ताजा रखने वाले रिटार्ट पाउचों में खाने के लिए तैयार सब्जियों की शुरुआत की गई है। अभी तक दूरदराज के और ऊंचाई वाले इलाकों में ताजा सब्जियों के बदले सुखाई गई सब्जियों की अनुमति होती थी। सुखाई गई सब्जियां अधिक समय तक ताजी नहीं रहतीं। सरकार से अधिक समय तक ताजा रखने वाले रिटार्ट पाउचों में खाने के लिए तैयार सब्जियों की मंजूरी ली गई है। बख्तरबंद यूनिटों तथा बख्तरबंद युद्धक वाहनों वाली अन्य यूनिटों में तैनात अन्य रैंकों को पहले प्रति व्यक्ति प्रतिदिन सोडे की चार बोतलों की मंजूदरी होती थी। सोडा बनाने की तकनीक पुरानी पड़ चुकी है और बाजार में तकनीकी प्रगति के अनुरूप नहीं थी। इसलिए इस यूनिट को ३०० एमएल कार्बोनेटिड साफ्ट ड्रिंक्स प्रतिदिन देने का फैसला किया गया है। इसके विकल्प में नींबू आधारित साफ्ट ड्रिंक्स २५० मिली लीटर प्रतिदिन या फलों का रस, लस्सी, नारियल पानी २५० मिली लीटर प्रतिदिन दिया जाएगा(नई दुनिया,दिल्ली,19.8.11)। |
राजस्थान में पांच लाख बच्चे स्कूल से दूर Posted: 19 Aug 2011 12:11 AM PDT राजस्थान में शिक्षा से वंचित बच्चों को स्कूलों से जो़ड़ने के शिक्षा विभाग के प्रयास नकारा साबित हो रहे हैं। राजस्थान सरकार की ओर से हाल ही में शिक्षकों को घर-घर भेजकर चाइल्ड ट्रैकिंग सर्वे कराया गया था, जिसमें १२ लाख बच्चे स्कूल से वंचित पाए गए थे। इसके बाद सरकार ने प्रवेशोत्सव के दौरान शिक्षकों को घर-घर भेजकर इन बच्चों को स्कूल में लाने के प्रयास किए, जिसका भी सकारात्मक परिणाम नहीं निकल पाया है। शिक्षा विभाग के आंक़ड़ों के अनुसार राजस्थान में अभी भी ३५ फीसदी बच्चे स्कूल से नहीं जु़ड़ पाए हैं। १५ अगस्त तक राज्य में स्कूल नहीं जाने वाले बच्चों की संख्या करीब पांच लाख बताई जा रही है। उदयपुर संभाग में सबसे ज्यादा ४५ हजार बच्चे स्कूलों से वंचित पाए गए हैं जबकि भरतपुर और जोधपुर संभाग में करीब २५-२५ हजार बच्चें स्कूल से नहीं जु़ड़ पाए हैं। राजधानी जयपुर में भी २३ हजार बच्चे स्कूल नहीं जा रहे हैं। राजस्थान में जुलाई से सितंबर माह के बीच चलाए गए चाइल्ड ट्रेकिंग सर्वे में १२ लाख बच्चे स्कूलों से वंचित पाए गए। इसके बाद सरकार ने एक मई से १५ मई तक, एक जुलाई से ३१ जुलाई तक स्कूलों में प्रवेशोत्सव मनाकर शिक्षिकों की टोलियां बच्चों को स्कूल से जो़ड़ने के लिए घर-घर भेजी गई। इसमें भी कामयाबी नहीं मिली तो प्रवेशोत्सव की अवधि १५ अगस्त तक ब़ढ़ा दी गई। राज्यभर में बच्चों को स्कूल से जो़ड़ने के लिए करीब एक लाख शिक्षिकों को घर-घर भेजा गया, लेकिन इस कवायद के बाद भी प्रदेश में करीब पांच लाख बच्चे स्कूलों से नहीं जु़ड़ पाए। शिक्षा विभाग के प्रवेशोत्सव में प्रदेश में १०० विकलांग और मंदबुद्घि बच्चों को भी स्कूलों में प्रवेश नहीं मिल पाया। जोधपुर, भरतपुर और बीकानेर संभाग में एक भी विकलांग बच्चे को प्रवेशोत्सव के दौरान स्कूलों में प्रवेश नहीं मिल पाया। प्रवेशोत्सव के दौरान स्कूल से जु़ड़ने वाले बच्चों में बालिकाओं की संख्या ज्यादा है। मसलन, जोधपुर संभाग में २५ हजार १६ ल़ड़कों को स्कूलों से जो़ड़ा गया है, जबकि ल़ड़कियों की संख्या सा़ढ़े २५ हजार है। शिक्षा विभाग के अधिकारियों का कहना है कि प्रदेश में शिक्षा से वंचित सभी बच्चों को स्कूलों से जो़ड़ा जाएगा, इसके लिए प्रवेशोत्सव की अवधि और ब़ढ़ाई जा सकती है(नई दुनिया,दिल्ली संस्करण,19.8.11 में जयपुर की रिपोर्ट)। |
डॉक्टरों को लगी प्राइवेट प्रैक्टिस की लत Posted: 19 Aug 2011 12:09 AM PDT ग्रामीण क्षेत्रों में चिकित्सा सेवा की बदतर हालत को स्वीकार करते हुए सरकार ने गुरुवार को बेहद लाचारगी के साथ कहा कि तमाम रियायतों की पेशकश किए जाने के बावजूद डाक्टर गांव में जाने को तैयार नहीं हैं। स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री गुलाम नबी आजाद ने गुरुवार को लोकसभा में भारतीय आयुर्विज्ञान परिषद संशोधन विधेयक 2011 पर हुई चर्चा का जवाब देते हुए कहा, दुर्भाग्य से डॉक्टरों को प्राइवेट प्रैक्टिस की लत लग गई है। यह एक बीमारी सी हो गई है। डॉक्टर गांवों में जाने के लिए तैयार नहीं हैं क्योंकि गांव में पैसा मिलता नहीं है। पैसा शहरों में मिलता है। इन लोगों को कोई भी रियायत दे दीजिए, लेकिन ये (डॉक्टर) गांव में जाने को तैयार नहीं हैं। उन्होंने कहा कि डॉक्टरों को गांवों में चिकित्सा सेवाएं उपलब्ध कराने की दिशा में प्रेरित करने के लिए कई योजनाएं बनाईं लेकिन उस पर भी कोई गांव जाने को तैयार नहीं है। आजाद ने कहा कि एमबीबीएस करने वाले छात्रों को ग्रामीण क्षेत्र में सेवा करने पर एमडी में दस फीसदी की छूट दिए जाने तक का भी प्रस्ताव रखा लेकिन डेढ़ साल बीत चुका है खुदा का एक भी बंदा इसके लिए तैयार नहीं हुआ। लोग पैसा देकर दाखिला लेने को तैयार हैं लेकिन एक साल गांव में सेवा करके यह लाभ पाने को नहीं। उन्होंने कहा, गांव तो छोडि़ए, केंद्रीय चिकित्सा संस्थानों में पढ़ाई पूरी करने वाले डॉक्टर अपने राज्यों तक में जाने को तैयार नहंी हैं। आजाद ने एमसीआइ के स्थान पर विधेयक के जरिये स्थापित की जाने वाली नई इकाई के पदाधिकारियों के बारे में सवाल उठाए जाने पर भ्रम की स्थिति स्पष्ट करते हुए सभी पदाधिकारियों की शैक्षणिक योग्यता का ब्योरा दिया और सदस्यों से अपील की बिना तथ्यों की पड़ताल किए आरोप लगाने की प्रवृति से बचा जाना चाहिए। नई इकाई के अधिकतर पदाधिकारी पद्मश्री, पद्मभूषण और पद्मविभूषण जैसी उपाधियों से सम्मानित हैं। आजाद ने दावा किया कि पिछले 65 साल में हर साल 5-6 मेडिकल कालेज खोलने का चलन रहा है लेकिन पहली बार उन्होंने पिछले तीन साल में 40 नए मेडिकल कालेज खोले। इसी प्रकार पिछले तीन साल में कालेजों में एमडी की सीटों को आठ हजार बढ़ाकर 32 से 41 हजार किया गया। अगले पांच साल में उन्होंने इन सीटों को 15 हजार और बढ़ाने का लक्ष्य है। उन्होंने कहा कि मेडिकल कालेजों में फैकल्टी की कमी एक गंभीर समस्या है और उससे निपटने के लिए सेवानिवृत्ति आयु सीमा को 65 वर्ष कर दिया गया है। जिन राज्यों उत्तर प्रदेश, बिहार और मध्य प्रदेश में जहां फैकल्टी की भारी कमी है वहां राज्य सरकारों ने आयु सीमा को नहीं बढ़ाया है(दैनिक जागरण,दिल्ली,19.8.11)। |
झारखंड में अपराधियों के खौफ से 35 स्कूलों में लटके ताले Posted: 19 Aug 2011 12:08 AM PDT लोहरदगा स्थित पेशरार प्रखंड के हेसाग और तुइमू पंचायत के गांवों के 35 विद्यालयों में तीन दिनों से ताले लटक रहे हैं। अपराधियों ने इन विद्यालयों के शिक्षकों से रंगदारी मांगी है और नहीं देने पर परिणाम भुगतने की चेतावनी दी है। खौफ से शिक्षक विद्यालय नहीं जा रहे। पहाड़ी क्षेत्र में पढ़ाई-लिखाई ठप है। दहशतजदा शिक्षकों ने डीसी व एसपी से मुलाकात कर सुरक्षा और स्थानांतरण की मांग करते हुए ज्ञापन भी सौंपा है। डीसी ने जिला शिक्षा अधीक्षक से मामले की विस्तृत रिपोर्ट तलब किया है। बताया गया है कि शिक्षकों से एक माह से रंगदारी मांगी जा रही थी। सुरक्षा को ध्यान में रखकर सभी शिक्षकों ने समूह में विद्यालय जाने का निर्णय लिया था। इस बीच 12 अगस्त को शाहीघाट के समीप अपराधियों ने शिक्षकों को रोक प्रति शिक्षक पांच लाख रुपये लेवी देने या परिणाम भुगतने की धमकी दी। प्राथमिक विद्यालय बालाडीह के प्रधानाध्यापक रामचन्द्र उरांव ने विरोध किया तो उन्हें जान से मारने की धमकी दी गई। साथ ही पुलिस को सूचना देने पर शिक्षकों की हत्या की धमकी दी गई। 12 अगस्त को तीन अपराधियों ने प्रोजेक्ट उच्च विद्यालय मुंगो पहुंचकर विद्यालय के प्रधानाध्यापक सालेश्वर मुंडा का अपहरण कर लिया। तीन घंटे बाद उन्हें छोड़ा गया। यही हाल उत्क्रमित मध्य विद्यालय बिड़नी के प्रभारी प्रधानाध्यापक राजीव रंजन के साथ भी हुआ। पूरे मामले पर ग्रामीणों ने बैठक कर शिक्षकों को सुरक्षा देने की बात कही। ग्रामीणों ने शिक्षकों से अनुरोध किया कि बच्चों के भविष्य को देखते हुए शिक्षक विद्यालय आएं। एसपी जितेन्द्र कुमार सिंह ने कहा कि शिक्षकों ने उन्हें घटना से अवगत कराया है। सेन्हा थाना प्रभारी को अपराधियों को चिह्नित कर गिरफ्तारी का निर्देश दिया गया है। क्षेत्र में व्यापक छापामारी अभियान भी चलाया जा रहा है(गफ्फार अंसारी,दैनिक जागरण,लोहरदगा,19.8.11)। |
उत्तराखंडःस्कूलों में जल्द होंगी शिक्षक नियुक्तियां Posted: 19 Aug 2011 12:07 AM PDT प्रदेश में इसी महीने प्रदेश के अध्यापक विहीन स्कूलों में अध्यापकों की तैनाती कर दी जाएगी। इसी के साथ पिछले दिनों चयनित 12 अध्यापकों को भी जल्द नियुक्ति दे दी जाएगी। मौजूदा समय में प्रदेश के 260 स्कूलों में अध्यापक ही नहीं हैं जबकि 156 स्कूलों के भवन ही नहीं है । इसके अलावा तीन हजार से ज्यादा स्कूल एक अध्यापक के भरोसे हैं। प्रदेश में पिथौरागढ़ में 27, चंपावत में 16, बागेर में 49, अल्मोड़ा में 59, ऊधमसिंहनगर में 27, रुद्रप्रयाग में 5, उत्तरकाशी में 8 व टिहरी में 22 व देहरादून जिले में 34 स्कूल शिक्षक विहीन हैं। बता दें कि इस साल 30 जनवरी को उत्तराखंड अधीनस्थ शैक्षिक (प्रशिक्षित स्नातक श्रेणी) सेवा नियमावली के तहत सहायक अध्यापकों और अध्यापकों के विभिन्न पदों पर सीधी भर्ती के लिए प्रदेश में विभिन्न केंद्रों में परीक्षा आयोजित की गई थी। इस परीक्षा में कुल विज्ञापित 1962 पदों (सीधी भर्ती 70 फीसद व विभागीय भर्ती 5 फीसद) के लिए कुल 51 हजार 44 आवेदन प्राप्त हुए थे, जबकि 49 हजार 82 अभ्यर्थी लिखित परीक्षा में शामिल हुए। परीक्षा में विषयवार प्रश्नपत्रों की आंसर की दो मार्च को ही परिषद की वेबसाइट पर प्रदर्शित कर दी गई थी। जिस पर अभ्यर्थियों से 16 मार्च तक आपत्तियां आमंत्रित की गई थीं। जबकि इसी एक जून को उत्तराखंड प्रावधिक शिक्षा परिषद ने एलटी परीक्षा-2010 के नतीजे घोषित किए थे। जारी नतीजों की मेरिट सूची के आधार पर अभ्यर्थी के शैक्षिक व अन्य डिग्रियों की मान्यता संबंधी परीक्षण विद्यालयी शिक्षा विभाग द्वारा किया जा रहा था। यह भी कहा गया था कि यदि किसी अभ्यर्थी के लिखित परीक्षा में प्राप्त अंक शैक्षिक व प्रशिक्षण एवं पाठय़ सहगामी क्रियाकलापों में प्राप्त अंको का योग वेबसाइट में प्रदर्शित कटऑफ से ज्यादा है तो वे अपने प्रत्यावेदन उनके संवर्ग विषय एवं आरक्षणवार समस्त दस्तावेजी प्रमाणों के साथ निदेशक विद्यालयी शिक्षा ननूरखेड़ा देहरादून के समक्ष परीक्षा घोषित होने के 15 दिन के भीतर पेश कर सकते हैं। प्रत्यावेदन देने की अंतिम तिथि 18 जून शाम पांच बजे रखी गई थी। शिक्षा मंत्री खजान दास का कहना है कि सभी आपत्तियां निस्तारित कर दी गई हैं और इसी माह एलटी अध्यापकों को नियुक्ति दे दी जाएगी(राष्ट्रीय सहारा,दिल्ली,19.8.11)। |
ओबीसी छात्रों को दस फीसदी कम अंकों पर मिलेगा प्रवेश,लाखों ओबीसी छात्रों को होगा फायदा Posted: 19 Aug 2011 12:04 AM PDT सुप्रीम कोर्ट ने अहम फैसले में स्पष्ट किया है कि केंद्रीय विश्वविद्यालयों में ओबीसी छात्रों को सामान्य वर्ग के लिए निर्धारित न्यूनतम पात्रता अंकों से अधिकतम दस फीसदी अंकों की ही छूट मिलेगी। यह फैसला सभी केंद्रीय विवि में लागू होगा। फैसले से साफ हो गया कि ओबीसी छात्रों को प्रवेश सामान्य वर्ग के अंतिम छात्र के कट आफ अंक से दस फीसदी कम अंक पर नहीं, बल्कि सामान्य वर्ग के लिए तय न्यूनतम पात्रता अंक से दस फीसदी कम अंकों पर दिया जाएगा। विवाद यही था कि ओबीसी को प्रवेश में दी जाने वाली दस फीसदी अंकों की छूट सामान्य वर्ग के अंतिम कट आफ अंक से मानी जाए या न्यूनतम पात्रता अंक से? पीठ ने साफ किया कि संविधानपीठ के फैसले में प्रयोग कट आफ मार्क्स शब्द का मतलब सामान्य वर्ग के लिए तय न्यूनतम पात्रता अंकों से है। कोर्ट ने उदाहरण दिया कि अगर सामान्य वर्ग के लिए प्रवेश के न्यूनतम पात्रता अंक 50 हैं तो ओबीसी के लिए यह मानक 45 अंक हो सकता है। संस्थान 50 से 45 के बीच कोई भी अंक तय कर सकते हैं। इस फैसले का असर 2011-2012 सत्र के उन मामलों में नहीं पड़ेगा जहां सामान्य वर्ग के अंतिम छात्र के कट आफ अंक से दस फीसदी कम पर ओबीसी छात्रो को प्रवेश दिया जा चुका है और इस वर्ग की बाकी बची सीटें सामान्य वर्ग को आवंटित हो चुकी हैं, लेकिन जहां अभी ओबीसी की सीटें बची हैं उन पर ओबीसी को ही प्रवेश दिया जाएगा(दैनिक जागरण,दिल्ली,19.8.11)। नई दुनिया में भाषा सिंह की रिपोर्टः सुप्रीम कोर्ट के फैसले से देशभर में ओबीसी छात्रों को राहत मिलेगी। इस फैसले का तत्काल असर दिल्ली विश्वविद्यालय पर पड़ सकता है, जहां अभी दाखिले की प्रक्रिया बंद नहीं हुई है। दिल्ली विश्वविद्यालय में सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले का सीधा असर ओबीसी कोटे की रिक्त पड़ी करीब २५ फीसदी सीटों यानी अनुमान के मुताबिक करीब ४००० सीटों पर सीधा असर पड़ेगा और उन पर दाखिला न्यूनतम योग्यता के तय पैमाने पर होगा। कटऑफ और न्यूनतम योग्यता के सवाल पर भ्रम की स्थिति होने से पिछले कई सालों से ओबीसी कोटे की हजारों सीटें रिक्त रह जा रही थीं। बाद में इन सीटों को सामान्य छात्रों के लिए खोल दिया जा रहा था। पिछले साल दिल्ली विश्वविद्यालय की करीब ५००० ओबीसी कोटे की सीटें खाली रह गई थीं। बाद में इन्हें सामान्य वर्ग के छात्रों के लिए खोल दिया गया था। यही हाल जेएनयू में हुआ था। दो सालों में वहां करीब ओबीसी कोटे की ५०० सीटें खाली रहीं और उनमें सामान्य वर्ग के छात्रों को दाखिला दिया गया। चूंकि सामान्य वर्ग के छात्रों का कट-ऑफ बहुत ऊंचा जाता है, इसलिए ओबीसी सीटें खाली रह जाती थी। इस धांधली के खिलाफ सबसे पहले आवाज जेएनयू से उठी थी। संगठन ऑल इंडिया स्टूडेंट्स यूनियन (आइसा) ने इसे मुद्दा बनाया था। आइसा इसे एक बड़ी जीत के रूप में देख रहा है। उसका मानना है कि इसे हजारों ओबीसी छात्रों को अगले शैक्षणिक सत्र में दाखिला मिल पाएगा। इस मुद्दे पर आइसा को दिल्ली हाईकोर्ट का पिछले साल सितंबर में बिल्कुल यही फैसला मिल चुका था और हाईकोर्ट के इस फैसले पर गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट ने भी मुहर लगा दी। अब यह फैसला देश भर में लागू हो जाएगा। कोर्ट ने कहा है कि जहां दाखिले हो चुके हैं वहां अगले शैक्षणिक सत्र से और जहां चल रहे हैं वहां इसी सत्र से यह आदेश लागू किया जाएगा। आइसा नेता संदीप सिंह ने बताया कि इस फैसले से देश भर में ओबीसी आरक्षण के नाम पर चल रही धांधली रुक सकेगी। सीटें ओबीसी आरक्षण के नाम पर बढ़ी थीं, पैसा उस मद में आ रहा है और लाभ उन छात्रों को मिल ही नहीं पा रहा था। कोर्ट ने कहा है कि दाखिले के समय ओबीसी छात्रों को सामान्य छात्रों के लिए निर्धारित न्यूनतम पात्रता अंक पर १० फीसदी की छूट मिलेगी, कट ऑफ अंकों की तुलना में नहीं। |
यूपी बोर्ड की पूरक परीक्षा का परिणाम घोषित Posted: 19 Aug 2011 12:00 AM PDT उत्तर प्रदेश माध्यमिक शिक्षा परिषद की इस वर्ष की हाईस्कूल पूरक (कम्पार्टमेन्ट) और इम्प्रूवमेन्ट परीक्षा का परिणाम घोषित कर दिया गया। प्रदेश के शिक्षा निदेशक .माध्यमिक. एवं परिषद के सभापति संजय मोहन ने आज परीक्षाफल घोषित करते हुए बताया कि इन परिक्षाओं के लिए कुल 61058 परीक्षार्थी पंजीकृत थे जिसमें 57203 परीक्षार्थी परीक्षा में सम्मिलित हुए। इनमे से 36645 उत्तीर्ण हुए। उन्होंने बताया कि इन परीक्षाओं का सम्पूर्ण उत्तीर्ण प्रतिशत 64.06 रहा। कम्पार्टमेन्ट परीक्षा के लिए कुल 48392 परीक्षार्थी पंजीकृत हुए जिसमें से 46226 परीक्षा में सम्मिलित हुए1 इनमे 31203 परीक्षार्थी उत्तीर्ण हुए। उन्होंने बताया कि इम्प्रूवमेन्ट परीक्षा के लिए कुल 13666 परीक्षार्थी पंजीकृत थे जिसमें से 10977 परीक्षार्थी परीक्षा में सम्मिलित हुए और 5442 परीक्षार्थी उत्तीर्ण घोषित हुए। मोहन ने बताया कि इन परीक्षाओं का सम्पादन 30 जुलाई को प्रदेश के विभिन्न जिलों में निर्धारित कुल 137 परीक्षा केन्द्रों पर किया गया था(दैनिक भास्कर,इलाहाबाद,19.8.11)। |
हरियाणा में पिछड़ों के आरक्षण में विसंगति Posted: 18 Aug 2011 11:58 PM PDT राज्यसभा सांसद डा. रामप्रकाश ने केंद्र सरकार से पिछड़े व अन्य पिछड़ों वर्गो के लिए अलग-अलग आरक्षण सुनिश्चित किए जाने की मांग की है। गुरुवार को उन्होंने राज्यसभा में विशेष उल्लेख के जरिए पिछड़ों व अन्य पिछड़ों को मिलने वाले आरक्षण के मुद्दे को उठाते हुए कहा कि पिछड़े व अन्य पिछड़े वर्गो को उसी तरह अलग-अलग माना जाना चाहिए जिस तरह अनुसूचित जाति व जनजातियों के लिए अलग आरक्षण की व्यवस्था है। रामप्रकाश ने जनगणना के आधार पर केंद्रीय व प्रांतीय नौकरियों एवं दाखिलों में इन वर्गो के लिए अलग प्रतिशत के आधार पर आरक्षण देने की वकालत की। डा. रामप्रकाश का कहना था कि पिछड़ों व अन्य पिछड़ों की सामाजिक,आर्थिक और राजनीतिक पृष्ठभूमि में जमीनी स्तर पर बहुत बड़ा अंतर है। उन्होंने कहा कि इसके लिए और विचार की जरूरत हो तो पिछड़ा एवं अन्य पिछड़ा वर्ग आयोग को मामले पर समयबद्ध ढंग से विचार करना चाहिए। हरियाणा का उदाहरण देते हुए उन्होंने कहा कि प्रदेश में 17 फीसदी आबादी को पिछड़ा व अति पिछड़ा वर्ग कहा गया है। मंडल आयोग के बाद इनमें नई जातियां जोड़कर उन्हें अन्य पिछड़े वर्ग की संज्ञा दे दी गई जबकि ये दोनों वर्ग अलग-अलग होने के कारण उन्हें अलग आरक्षण चाहिए। उन्होंने कहा कि कुछ प्रांतों में इन्हें बीसी-ए व बीसी-बी के रूप में विभाजित किया गया लेकिन पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय ने इसे आरक्षण के भीतर आरक्षण मानकर अलग आरक्षण को रद्द कर दिया(दैनिक भास्कर,दिल्ली,19.8.11)। |
मध्यप्रदेशःसुप्रीम कोर्ट ने अठारह हजार संविदा शिक्षकों की नियुक्ति को वैध ठहराया Posted: 18 Aug 2011 11:57 PM PDT सुप्रीम कोर्ट ने अपने एक अहम फैसले में वर्ष 2001 और 2003 में संविदा पदों पर भर्ती हुए शिक्षकों को बड़ी राहत दी है। कोर्ट द्वारा नियुक्तियों को वैध ठहराने से 9 साल से करीब 18 हजार संविदा शिक्षकों की नौकरी पर लटक रही तलवार हट गई है। वर्ष 2002 में जबलपुर हाईकोर्ट ने इन पदों पर नियुक्तियों को अवैध बताकर नए सिरे से भर्ती करने का आदेश दिया था। सुप्रीम कोर्ट ने अंतिम फैसला सुनाते हुए कहा कि शासन ने स्वयं शपथ-पत्र देकर कहा है कि संविदा वर्ग एक, दो व तीन को नियमित कर अध्यापक बना दिया गया है। ऐसे में इन्हें अब नौकरी से हटाना उचित नहीं होगा(दैनिक भास्कर,भोपाल,19.8.11)। |
Posted: 18 Aug 2011 07:30 PM PDT रेलवे ने असिस्टेंट लोको पायलट के लिए 16595 रिक्त पदों के लिए आवेदन आमंत्रित किए हैं। इच्छुक आवेदक इसके लिए आवेदन कर रेलवे में जॉब पाने के अपने सपने को सच कर सकते हैं। जॉब से संबंधित अधिक जानकारी के लिए आप हिन्दुस्तान जॉब्स के इस सप्ताह के अंक को देख सकते हैं। परीक्षा की तैयारी कैसे करें, यहां इस बारे में बताया जा रहा है। इन बातों का रखें ध्यान निगेटिव मार्किंग के कारण प्रश्नों का उत्तर ध्यान से दें शुरू से ही स्पीड मेंटेन करने की कोशिश करें कोई प्रश्न नहीं आता तो दूसरे प्रश्न को हल करें परीक्षा से पूर्व दिमाग पूरी तरह से कूल रखें पिछले कुछ साल के पेपरों को हल करें रेगुलर प्रैक्टिस को अमल में लाएं आवेदन की अंतिम तिथि- 12 सितम्बर 2011 परीक्षा की तिथि व स्थान- बाद में घोषणा होगी भारतीय रेल हमेशा से देश के युवाओं को बड़ी संख्या में जॉब उपलब्ध करवाने वाली रही है। समय-समय पर इसकी विभिन्न शाखाओं से संबंधित रिक्तियों के लिए आवेदन आमंत्रित किए जाते हैं, पर इस बार जितनी रिक्तियों के लिए आवेदन आमंत्रित किए गए हैं, वे देश के अनेक बेरोजगार युवाओं के रोजगार प्राप्त करने के सपनों को साकार करने में सक्षम हैं। रेलवे ने असिस्टेंट लोको पायलट के 16,595 पदों की भर्ती के लिए आवेदन मांगे हैं। हादसों को रोकने व रेलवे की व्यवस्था को सुचारु रूप से चलाने के लिए रेल मंत्रालय ने विभिन्न पदों पर इस बंपर भर्ती प्रक्रिया को शुरू किया है। इन पदों के लिए निकाली गई इन रिक्तियों का नोटिफिकेशन जारी हो चुका है। रेलवे अपने 21 भर्ती बोर्डो के जरिए इन पदों को भरने का कार्य करेगा। योग्यता असिस्टेंट लोको पायलट के लिए वही छात्र योग्य माने जाएंगे, जिन्होंने मैट्रिक अथवा उसके समकक्ष कोई योग्यता हासिल की हो। इसके अलावा संबंधित विभिन्न ट्रेडों में आईटीआई डिग्री या एआईसीटीई से मान्यताप्राप्त डिप्लोमा सर्टिफिकेट अनिवार्य है। शैक्षिक योग्यता के साथ-साथ छात्रों के लिए आयु-सीमा का भी बंधन रखा गया है। इसके तहत उनकी आयु 18-30 वर्ष के बीच होनी चाहिए। आरक्षित श्रेणी के छात्रों को नियमानुसार छूट का भी प्रावधान है। परीक्षा तीन चरणों में असिस्टेंट लोको पायलट बनने का सपना तभी पूरा हो पाता है, जब उम्मीदवार बोर्ड द्वारा आयोजित तीनों चरणों को पार कर ले। ये तीन चरण निम्न हैं- रिटन टेस्ट एप्टीटय़ूड टेस्ट डॉक्यूमेंट की जांच ऑब्जेक्टिव प्रश्न और निगेटिव मार्किंग इस परीक्षा में कुल 120 प्रश्न पूछे जाते हैं तथा उनके लिए डेढ़ घंटे का समय निर्धारित होता है। प्रश्नों का स्वरूप ऑब्जेक्टिव होता है तथा उनके माध्यम हिन्दी और अंग्रेजी सहित कई क्षेत्रीय भाषाओं में भी होंगे। इस परीक्षा में निगेटिव मार्किंग का प्रावधान किया गया है यानी तीन गलत उत्तर देने पर एक सही उत्तर के अंक काट लिए जाएंगे। रिटन टेस्ट में सफल होने के बाद ही एप्टीटय़ूड टेस्ट में बैठने का मौका मिलता है। प्रश्न जनरल अवेयरनेस, अर्थमेटिक्स, जनरल इंटेलीजेंस और रीजनिंग, जनरल साइंस और संबंधित टेक्निकल योग्यता से जुड़े पूछे जाते हैं। इनका लेवल दसवीं का ही होता है। एनसीईआरटी की किताबें सहायक सामान्य अध्ययन एवं अन्य विषयों के अध्ययन के लिए एनसीईआरटी की किताबें सबसे उपयुक्त मानी जाती हैं। इनके प्रश्नों में मुख्य रूप से इतिहास, राजव्यवस्था, भूगोल, अर्थव्यवस्था सहित करेंट अफेयर्स आदि शामिल होते हैं। इसी तरह से विज्ञान के सेक्शन में भौतिकी व रसायन विज्ञान से संबंधित प्रश्न होते हैं। प्रेजेंस ऑफ माइंड की दरकार जनरल इंटेलिजेंस एवं रीजनिंग के प्रश्नों को तभी हल किया जा सकता है, जब उम्मीदवार अपने प्रेजेंस ऑफ माइंड का तत्परता से प्रयोग करेंगे। तर्कशक्ति के प्रश्नों में वर्बल और नॉन वर्बल, दोनों तरह के प्रश्न शामिल होते हैं, जिसमें मुख्य रूप से क्लाक, मैच फंडिंग, कैलेंडर आदि शामिल होते हैं। रेगुलर प्रैक्टिस के जरिए इन प्रश्नों पर पकड़ बनाई जा सकती है। फॉर्मूलों को प्रयोग में लाएं मैथ्स में पूछे गए प्रश्न दसवीं लेवल के होते हैं तथा इनमें मुख्य रूप से लाभ-हानि, ज्यामिति, समय-दूरी, त्रिकोणमिति, वर्ग, प्रतिशत शामिल होते हैं। इन प्रश्नों को हल करने के लिए फॉर्मूलों को लगातार प्रयोग में लाना आवश्यक है। इस सेक्शन को रटने की बजाए निरंतर अभ्यास से हल करने की कोशिश करें। साइंस एवं टेक्निकल एबिलिटी पर फोकस पूर्व में पूछे गए प्रश्नों को देखने पर स्पष्ट है कि इसमें साइंस एवं टेक्निकल एबिलिटी के प्रश्न भी स्कोरिंग होते हैं। कुछ प्रश्न अंग्रेजी के भी हो सकते हैं। विज्ञान में भौतिकी व रसायन के साथ-साथ रेलवे से जुड़े कुछ तकनीकी शब्दों एवं उनके पहलुओं की जानकारी हासिल करें। अधिक जानकारी के लिए बोर्ड की वेबसाइट www.indianrail.gov.in विजिट करें(संजीव कुमार सिंह,हिंदुस्तान,दिल्ली,17.8.11)। |
Posted: 18 Aug 2011 06:30 PM PDT स्टेटिस्टिक्स गणित के नियमों का विज्ञान है, जिसमें एक निश्चित जनसंख्या में से संभावित अनुपात निकाला जाता है। गणितीय भाषा में इसे तुलनात्मक अध्ययन का लेखा-जोखा भी कह सकते हैं। इस अध्ययन को एक्चूरियल साइंस यानी जीवन गणना का विज्ञान भी कहते हैं। गणित की भाषा में इसे सांख्यिकी कहा जाता है। करियर की दृष्टि से स्टेटिस्टिक्स क्षेत्र में अच्छे मौके हैं। इसके लिए मैथमेटिक्स के साथ बीएससी या एमएससी होना आवश्यक है। एमएससी के बाद मौके अधिक हैं। इसके लिए अभ्यर्थी को आईएसएस और आईईएस की परीक्षा पास करनी पड़ती है। एक स्टेटिस्टीशियन बनने के बाद अभ्यर्थी जीवन बीमा कंपनियों के अलावा बैंक, सांख्यिकी सॉफ्टवेयर कंपनियों आदि में मौके तलाश कर सकते हैं। कार्य शैली या दिनचर्या 09 बजे प्रात: - ऑफिस में डाटा कलेक्ट कर सारिणीबद्घ करके उसे लिस्टेड करने के साथ अलग-अलग समान सूचियां तैयार करना। 10 बजे प्रात: - टी ब्रेक। 11 बजे प्रात: - विभाजित किया हुआ सारा डाटा मैनेजमेंट के समक्ष प्रस्तुत करना। 12:30 दोपहर - दोपहर का भोजन। 01:30 बजे - सारे काम की रिपोर्ट तैयार करनी होती है। 04.30 बजे सायं - रिपोर्ट सीनियर स्टेटिस्टीशियन को सौंपनी होती है। 05 बजे सायं - काम से छुट्टी होती है। क्या करें? स्टेटिस्टिक्स में अनेक संस्थान बैचलर डिग्री कोर्स ऑफर करते हैं। आप दि इंस्टीटय़ूट ऑफ एक्चूरीज ऑफ इंडिया द्वारा आयोजित परीक्षा भी पास कर सकते हैं। दि यूनियन पब्लिक सर्विस कमिशन इंडियन स्टेटिस्टीकल सर्विस की भर्ती के लिए परीक्षा आयोजित करता है। इसमें केवल स्टेटिस्टिक्स में पोस्ट ग्रेजुएट और एलाइड डिसिप्लिन वाले छात्र ही आवेदन कर सकते हैं। अधिक जानकारी के लिए www.upsc.gov.in पर विजिट करें। दक्षता और संभावनाएं अच्छे स्टेटिस्टीशियन में बौद्घिक दक्षता के साथ अधिक से अधिक अध्ययन करने की लगन हो तो इस इंडस्ट्री में अपार मौके हैं। वेतन एक स्टेटिस्टीशियन को शुरुआत में प्राइवेट सेक्टर में छह से सात लाख का वार्षिक पैकेज मिल जाता है, जबकि सरकारी नौकरी मिलने पर शुरुआत में करीब 50 हजार रुपए मासिक और इन्सेन्टिव मिलता है। संस्थान इस कोर्स के लिए अभ्यर्थी निम्न यूनिवर्सिटी/संस्थान में प्रवेश ले सकते हैं- दिल्ली विश्वविद्यालय वेबसाइट- www.du.ac.in इंडियन स्टॅटिस्टिकल इंस्टीट्यूट, कोलकाता वेबसाइट- www.isical.ac.in इंडियन स्टेटिस्टिकल इंस्टीट्यूट, दिल्ली वेबसाइट- www.isid.ac.in इंडियन स्टॅटिस्टिकल इंस्टीट्यूट, बंगलौर वेबसाइट: www.isibang.ac.in (पं.प्रेम बरेलवी,हिंदुस्तान,दिल्ली,17.8.11) |
Posted: 18 Aug 2011 05:30 PM PDT पहनावे से लेकर रोजाना जिंदगी में प्रयोग होने वाली हर चीज को डिजाइनर बनाने की होड़ लगी हुई है। यही वजह है कि डिजाइनरों की मांग तेजी से बढ़ रही है, फिर चाहे वह फैशन डिजाइनर हो, टूल डिजाइनर हो, बिल्डिंग डिजाइनर हो या फिर एनिमेशन डिजाइनर। यदि आपकी उंगलियों में स्केच का हुनर है और है प्रयोग करने की क्षमता तो आप भी बन सकते हैं डिजाइनर। डिजाइनिंग एक ऐसा क्षेत्र है, जो हर रोज एक्सपेरिमेंट करने की प्रेरणा देता है। आज हम जो चीज उपयोग करते हैं, अगले ही दिन उसका नया रूप और बेहतर सुविधाओं के साथ बाजार में दिखाई देने लगता है। जो लोग इन चीजों को बदलने की रूपरेखा तैयार करते हैं, उन्हें डिजाइनर कहते हैं और उनके द्वारा किए गए काम को क्रिएटिव डिजाइनिंग। क्रिएटिव डिजाइनिंग का क्षेत्र बहुत विस्तृत है और यह चित्रकला तथा कल्पनाशीलता का परिणाम है। इसमें हमारी दैनिक आवश्यकताओं के अनुसार अनेक उपयोगी वस्तुओं का खाका यानी डिजाइन तैयार कर उन्हें निर्मित किया जाता है। आज हमारे दैनिक जीवन में जितनी भी उपयोगी वस्तुएं, मनोरंजन या ज्ञान के साधन हैं, क्रिएटिव डिजाइनिंग की भी उतनी ही शाखाएं हैं। इस तरह डिजाइनिंग कई हिस्सों में बंट चुका एक ऐसा क्षेत्र है, जिसकी जरूरत दिनोदिन बढ़ती जा रही है। आप अपनी सुविधा और रुचि के अनुसार डिजाइनिंग की किसी भी शाखा को अपना करियर बना सकते हैं। फैशन डिजाइनिंग फैशन डिजाइनिंग व्यावहारिक कला का ही एक पहलू है, जो कपड़ों, एक्सेसरीज और जीवनशैली में निखार लाने के लिए कार्य करती है। फैशन डिजाइनिंग में करियर के अच्छे अवसर हैं। एक सफल फैशन डिजाइनर डिजाइन वियर प्रोडक्शन, फैशन को-ऑर्डिनेटर, क्वालिटी कंट्रोल, कॉस्टयूम डिजाइनर, फैशन मार्केटिंग, पर्सनल स्टाइलिस्ट, फैब्रिक बायर के क्षेत्र में करियर बना सकता है। फैशन डिजाइनिंग का कोर्स करने के लिए क्रिएटिव माइंड के साथ बारहवीं पास होना जरूरी है। कुछ विश्वविद्यालय, कॉलेज और इंस्टीटय़ूट फैशन डिजाइनिंग में सर्टिफिकेट, डिप्लोमा और डिग्री कोर्सेज कराते हैं, जिनमें प्रवेश के लिए बारहवीं में अच्छी परसेंटेज के अलावा प्रवेश परीक्षा पास करनी होती है। फुटवियर डिजाइनिंग फुटवियर डिजाइनिंग में क्रिएटिव होना बहुत जरूरी है। फुटवियर इंडस्ट्री में डिजाइनिंग, मैन्युफेक्चरिंग और मार्केटिंग स्तर पर काम किया जाता है। इस क्षेत्र में कंप्यूटर की जानकारी जरूरी है। इस कोर्स में भी बारहवीं के बाद प्रवेश लिया जा सकता है। इस क्षेत्र में डिप्लोमा, सर्टिफिकेट कोर्स के अलावा ग्रेजुएट और पोस्ट ग्रेजुएट कोर्स भी करवाए जाते हैं। ये कोर्स एक साल से लेकर तीन साल तक के होते हैं। अधिकतर एडमिशन प्रवेश परीक्षा पास करने के बाद होते हैं। टूल डिजाइनिंग टूल डिजाइनिंग में मोल्ड्स और प्लास्टिक की उपयोगी चीजों के डिजाइन तैयार किए जाते हैं। इस क्षेत्र में टेक्नीशियन बनने के बाद आसानी से टूल डिजाइनर बना जा सकता है। टूल डिजाइन स्वरोजगार के रूप में अच्छा क्षेत्र है। इस क्षेत्र में काम करने के लिए पॉलिटेक्नीक कोर्स/डिप्लोमा कोर्स किया जा सकता है। पॉलिटेक्नीक कोर्स के लिए गणित और विज्ञान विषयों के साथ 60 प्रतिशत तथा एससी/एसटी के लिए 50 प्रतिशत अंकों के साथ दसवीं पास होना अनिवार्य है, जबकि सर्टिफिकेट कोर्स के लिए दसवीं में गणित और विज्ञान विषयों के साथ एससी/एसटी के लिए 40 प्रतिशत तथा अन्य के लिए 50 प्रतिशत अंक जरूरी हैं। ज्वेलरी डिजाइनिंग ज्वेलरी डिजाइनिंग जबसे परम्परागत व्यवसाय से उठ कर कोर्स में शामिल हुई है, तब से इस क्षेत्र में रोजगार की संभावनाएं बहुत बढ़ गई हैं। इस क्षेत्र में अब सुनारों के अलावा डिप्लोमा/डिग्रीधारी प्रोफेशनल्स काम कर रहे हैं। आजकल सोने-चांदी के अलावा अन्य धातुओं का भी आभूषणों में प्रयोग किया जा रहा है, इसलिए इस क्षेत्र में आने वाले युवाओं को सभी धातुओं, नगों और रत्नों और हाथी दांत की शुद्घता की परख सिखाई जाती है। इस क्षेत्र में ज्वेलरी डिजाइन, इनेमलिंग, स्टोन कटिंग, कास्टिंग टेक्नोलॉजी, जेमोलॉजी, आईडेंटीफिकेशन ऑफ स्टोन एंड जेम्स, रत्नों का चुनाव, मूल्य, काटना और तराशना, पियर्स कास्टिंग, सेटिंग, पॉलिशिंग, सोइंग तथा सोल्डरिंग जैसे प्रशिक्षण दिए जाते हैं। एक्सेसरीज डिजाइनिंग एक्सेसरीज डिजाइनिंग में ज्वेलरी के अलावा, घड़ियां, बेल्ट्स, बैंगल्स, ब्रेसलेट, कड़े आदि डिजाइन किए जाते हैं। यह ज्वेलरी डिजाइनिंग का ही एक रूप है, मगर इसके अलग से स्पेशल कोर्स भी कराए जाते हैं, जिसके लिए दसवीं से बारहवीं पास होना जरूरी है। बिल्डिंग डिजाइनिंग बिल्डिंग डिजाइनिंग को आर्किटेक्चर डिजाइनिंग अथवा इंजीनियरिंग भी कहते हैं। इस क्षेत्र में मकानों, दुकानों और मॉल्स के नक्शे बनाना और सीनियर लेवल पर बने हुए नक्शे पास करना और निर्मित बिल्डिंग का सर्वेक्षण उनकी सुरक्षा और सुंदरता को ध्यान में रख कर किया जाता है। इस क्षेत्र में सरकारी और प्राइवेट, दोनों सेक्टर्स में अपार संभावनाएं है। फर्नीचर डिजाइनिंग फर्नीचर डिजाइनिंग में कंप्यूटर नॉलेज के साथ लकड़ी की पहचान, उसे काटने, छीलने और शेप में ढालने का तजुर्बा भी होना चाहिए। एक फर्नीचर डिजाइनर को मार्केट की चेंजिंग, डिमांड, कलात्मक सोच और तीखी नजर वाला होना चाहिए। इस क्षेत्र में डिप्लोमा और सर्टिफिकेट, दोनों कोर्स किए जा सकते हैं। इसके लिए कुछ कोर्स दसवीं और कुछ बारहवीं के बाद किए जा सकते हैं। इंडस्ट्रियल डिजाइनिंग इंडस्ट्रियल डिजाइनिंग में ऑफिस एक्सेसरीज, इलेक्ट्रिक खिलौने, टेलीफोन, मोबाइल, टीवी, टेप रिकॉर्डर, रेडियो, कंप्यूटर, बैग, पर्स, डब्बों आदि को डिजाइन किया जाता है। इस क्षेत्र में विज्ञान के विद्यार्थियों को प्राथमिकता मिलती है। कोई भी अभ्यर्थी बारहवीं के बाद इंडस्ट्रियल डिजाइनर बन सकता है। इस क्षेत्र में सर्टिफिकेट, डिप्लोमा व डिग्री कोर्स उपलब्ध हैं। टेक्सटाइल डिजाइनिंग टेक्सटाइल डिजाइनिंग में सिल्क, खादी, जूट व हैंडलूम का काम किया जाता है। दरअसल यह फैशन डिजाइनिंग से ही संबंधित फील्ड है। फैशन के बूम में टेक्सटाइल डिजाइनरों के लिए काफी अवसर हैं। इस क्षेत्र में गारमेंट मैन्यूफेक्चरिंग इंडस्ट्रीज, रिटेलिंग बिजनेस और एक्सपोर्ट हाउसेज में मौके मिलते हैं। टीचिंग लाइन में एक टेक्सटाइल डिजाइनर को अच्छे अवसर मिलते हैं। डिजाइनर बनने से पहले इन बातों पर रखें ध्यान डिजाइनिंग का क्षेत्र बहुत विस्तृत है। अत: विषय चुनने से पहले यह सुनिश्चित कर लें कि आप डिजाइनिंग के किस क्षेत्र में रुचि रखते हैं। साथ ही आप उस क्षेत्र में कितना बेहतर कर सकते हैं। अधिकतर डिजाइनिंग के कोर्सेज में प्रवेश लेने के लिए विज्ञान और गणित विषयों की डिमांड रहती है, लेकिन ध्यान रखने की बात यह है कि आपको आर्ट का ज्ञान होना चाहिए। नई तकनीकी सोच और कल्पनाशीलता, तार्किक बुद्घि तथा कुछ नया करने की चाहत ही एक डिजाइनर को करियर की ऊंचाई तक पहुंचा सकती है। अत: एक डिजाइनर को इन सब खूबियों वाला होना चाहिए। डिजाइनिंग में प्रैक्टिकल का बहुत महत्त्व है। एक डिजाइनर को लगातार नए प्रयोगों और प्रेक्टिस तथा अध्ययन करते रहना चाहिए। एक डिजाइनर को आज की प्रतियोगिता के साथ चीजों की बिक्री के आंकड़ों और ग्राहकों की मांग व जरूरत पर हमेशा ध्यान रखना चाहिए। नए जमाने के डिजाइनिंग के प्रमुख क्षेत्र एनिमेशन डिजाइनिंग एनिमेशन डिजाइनिंग का क्षेत्र काफी विस्तृत और ग्राफिक/वेब डिजाइनिंग से कुछ हट कर है, मगर एनिमेशन डिजाइनिंग ग्राफिक डिजाइनिंग या कार्टूनिस्ट का ही विस्तृत रूप है। एनिमेशन डिजाइनरों के लिए एनिमेटिड फिल्मों, जनरल/ओवरएक्टिंग वाली फिल्मों, विज्ञापन कंपनियों में काफी मौके हैं। भारत में इसकी अपार संभावनाएं देखी जा रही हैं। इस क्षेत्र में काम करने वालों को कमर्शियल आर्ट, फाइन आर्ट, अप्लाइड आर्ट, ग्राफिक डिजाइन, विजुअल कम्युनिकेशन डिजाइन, एनिमेशन डिजाइन आदि का ज्ञान होना चाहिए। वेब डिजाइनिंग वेब डिजाइनिंग सिर्फ कंप्यूटर पर की जाती है। इस क्षेत्र में काम करने वालों को वेबसाइट, पोर्टल, कार्टून, लोगो, ग्राफिक आदि बनाने का हुनर सीखना पड़ता है। एक वेब डिजाइनर को पत्र-पत्रिकाओं, एड कंपनियों, वेबसाइट डिजाइन करने-कराने वाली कंपनियों और कंप्यूटर गेमिंग के क्षेत्र में मौके मिल सकते हैं। ग्राफिक डिजाइनिंग ग्राफिक डिजाइनिंग में मूल रूप से विजुअल से संबंधित समस्याओं को हल करना होता है। ग्राफिक डिजाइनिंग में कला और विज्ञान, दोनों के ज्ञान की जरूरत पड़ती है। इसमें टेक्स्ट और ग्राफिकल एलिमेंट का प्रयोग किया जाता है। एक ग्रफिक डिजाइनर का मुख्य काम पेज एवं अन्य प्रोग्राम को आकर्षक और सुंदर बनाने का होता है। लोगो डिजाइनिंग किसी कंपनी, विज्ञापन या किताब का लोगो बनाना अपने आप में एक कला है। वैसे तो यह कार्टून डिजाइनिंग की ही शाखा है, लेकिन लोगो डिजाइनर्स को कार्टून डिजाइनर्स से अलग काम करना पड़ता है। इंटीरियर डिजाइनिंग इंटीरियर डिजाइनिंग भी बिल्डिंग डिजाइनिंग से जुड़ी हुई एक अलग शाखा है। इस क्षेत्र में मकान, दुकान, मॉल्स और दफ्तर को सजाने का काम किया जाता है। आज बिल्डिंग डिजाइनरों की जितनी आवश्यकता है, उतनी ही इंटीरियर डिजाइनरों की भी मांग है। कहीं-कहीं बिल्डिंग डिजाइनरों को ही इंटीरियर डिजाइनिंग का काम सिखाया जाता है। वैसे भी एक बिल्डिंग डिजाइनर को इंटीरियर डिजाइनिंग की नॉलेज होना बहुत जरूरी है। फैक्ट फाइल संस्थान नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ फैशन टेक्नोलॉजी, नई दिल्ली वेबसाइड - www.nift.ac.in फुटवियर डिजाइनिंग एंड डेवलपमेंट इंस्टिटय़ूट, नोएडा वेबसाइट- www.fddiindia.com भारतीय रत्न विज्ञान संस्थान, झंडेवालान, नई दिल्ली स्कूल ऑफ प्लानिंग एंड आर्किटेक्चर, नई दिल्ली वेबसाइट- www.spa.ac.in नेशनल इंस्टिटय़ूट ऑफ डिजाइन, नई दिल्ली वेबसाइट- www.nid.edu नेशनल इंस्टीटय़ूट ऑफ डिजाइन, अहमदाबाद वेबसाइट- www.nid.edu आईआईटी, मुंबई, इंडस्ट्रियल डिजाइन सेंटर, पवई, मुंबई वेबसाइट- www.iitb.ac.in जामिया मिल्लिया इस्लामिया, नई दिल्ली वेबसाइट- www.jmi.ac.in इंडियन इंस्टीटय़ूट ऑफ टेक्नोलॉजी, नई दिल्ली संभावनाएं हर रोज रूप बदलती चीजों के इस दौर में मार्केट और लोगों की हर सुबह एक नई मांग होती है। बाजारवाद बढ़ने के साथ प्रतियोगिता के चलते हर उपयोगी चीज के नए-नए डिजाइन प्रतिदिन बाजार में उतारे जा रहे हैं। बड़ी-बड़ी कंपनियां इसमें और इजाफा कर रही हैं। ऐसे में प्रशिक्षित एजुकेटेड डिजाइनर्स की काफी मांग हो रही है। इसके लिए पूरा विश्व चीन और भारत की ओर नजरें किए हुए है, क्योंकि यहां अच्छे और सस्ते डिजाइनर उपलब्ध हैं। ग्राफिक डिजाइनर हेमंत स्नेही बताते हैं कि हालांकि डिजाइनिंग के क्षेत्र में युवाओं की काफी भीड़ बढ़ रही है, लेकिन बावजूद इसके आज डिजाइनरों की काफी मांग है। आज बाजार में अनेक छोटी-बड़ी कंपनियां, पत्र-पत्रिकाएं और विज्ञापन कंपनियां हैं, जो डिजाइनरों के ज्ञान के हिसाब से भर्ती करने में बराबर जुटी हैं। वेतन डिजाइनिंग का क्षेत्र काफी विस्तृत है, इसीलिए इस क्षेत्र में योग्यता और ज्ञान और कंपनियों के विस्तार और क्षेत्र के साथ-साथ अलग-अलग पैकेज पर डिजाइनरों को नौकरी पर रखा जाता है। फिर भी मोटे तौर पर डिजाइनिंग के कुछ क्षेत्र में शुरुआत में 6 हजार से 10 हजार तथा कुछ क्षेत्र में 8 हजार से 50 हजार तक वेतन मिल जाता है। दो-तीन साल के एक्सपीरियंस के बाद 15 हजार से एक से दो लाख रुपए प्रतिमाह मिल जाते हैं। एक डिजाइनर जब अपना काम करता है तो कमाई की कोई लिमिट नहीं रहती। जैसे-जैसे काम बढ़ता जाता है, वैसे-वैसे कमाई बढ़ती जाती है। लोन डिजाइनिंग का कोर्स करने के बाद यदि आप अपना बिजनेस स्थापित करते हैं तो किसी भी स्थानीय बैंक से लोन के लिए संपर्क कर सकते हैं। आप प्रधानमंत्री स्वरोजगार योजना के अंतर्गत लोन ले सकते हैं। बशर्ते उस क्षेत्र के लिए लोन उपलब्ध हो। इसके अलावा कुछ सरकारी संस्थान ट्रेनिंग कराने के उपरांत जारी किए गए सर्टिफिकेट पर स्वरोजगार के लिए लोन उपलब्ध कराते हैं। इच्छुक अभ्यर्थी उन संस्थानों के माध्यम से नजदीकी बैंक से लोन ले सकते हैं, जिनसे उन्होंने कोर्स किया है। वे किसी संस्थान में प्रवेश लेने के बाद या प्रवेश की स्वीकृति मिलने पर भी न ले सकते हैं(प्रेम बरेलवी,हिंदुस्तान,दिल्ली,17.8.11)। |
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