From: भाषा,शिक्षा और रोज़गार <eduployment@gmail.com>
Date: 2011/6/15
Subject: भाषा,शिक्षा और रोज़गार
To: palashbiswaskl@gmail.com
भाषा,शिक्षा और रोज़गार |
- यूपीःअनुदानित कॉलेजों के शिक्षकों की वेतन आहरण व्यवस्था बदली
- महाराष्ट्र के प्रबंधन कॉलेज लखनऊ में
- डीयू की पहली कट-ऑफ जारी
- दिल्लीःमैनेजमेंट कोटे की फीस तय करेंगे निजी स्कूल
- जेएनयूःबॉयोटेक्नोलजी एंट्रेंस का रिजल्ट घोषित
- डीयूःकेट वॉक में फिसले कई टॉपर्स
- पंजाब विविःअगले सत्र से विभाग अपने स्तर पर लेंगे परीक्षा
- करियर इन ब्यूटी एंड बैलेंस
- उत्तराखंडःसमूह ग में भर्ती के लिए प्रदेश की बोलियों के ज्ञान की अनिवार्यता समाप्त
- यूपीःअब झोले में नहीं चलेंगे संस्कृत महाविद्यालय
- नवोदय में आरटीई की अनदेखी, होगी प्रवेश परीक्षा
- यूपीःनौकरी बदलने पर भी मिलेगी पुरानी पेंशन
- करियर काउंसलर के तौर पर करिअर
- यूपी बोर्ड के ६७ हजार अंकपत्रों में गड़बड़ियां
- डीयू का कॉलेज ऑफ वोकेशनल स्टडीज
- शिमलाःकम मानदेय से अंश कालीन जलवाहकों में रोष
- डीयू में दाखिले की असमंजसःकोर्स चुनें या कॉलेज
- सेंट स्टीफंस : दाखिले के आवेदन में 1 हजार की गिरावट
- उच्च शिक्षा के क्षेत्र में अधिकांश राज्य सरकारें जागरूक नहीं
- डीयूःसेकेंड कट ऑफ के बाद ईसीए में दाखिला
- ओपन स्कूल : 10वीं में भी छात्राओं ने बाजी मारी
- डीयूःकेट एंट्रेंस में अंशिका अव्वल
- गढ़वाल विवि शीघ्र कराएगा बीएड प्रवेश परीक्षा
- यूपीःशुरू होगा फार्मेसी में डिग्री पाठ्यक्रम
- पटना विवि व मगध विवि में नामांकन फॉर्म की बिक्री शुरू
यूपीःअनुदानित कॉलेजों के शिक्षकों की वेतन आहरण व्यवस्था बदली Posted: 14 Jun 2011 10:58 AM PDT अब प्रदेश के सभी जिलों में अशासकीय सहायताप्राप्त महाविद्यालयों के शिक्षकों व शिक्षणेत्तर कर्मचारियों के वेतन आहरण और वितरण की जिम्मेदारी क्षेत्रीय उच्च शिक्षा अधिकारियों को होगी। इस संबंध में शासनादेश जारी कर दिया गया है। अनुदानित कॉलेजों के शिक्षकों और कर्मचारियों को वेतन देने के लिए शासन अनुदान देता है। अभी तक प्रदेश के सिर्फ आठ जिलों में अनुदानित कॉलेजों के शिक्षकों और कर्मचारियों के वेतन आहरण और वितरण की जिम्मेदारी क्षेत्रीय उच्च शिक्षा अधिकारियों के हवाले थी। क्षेत्रीय उच्च शिक्षा अधिकारियों को यह जिम्मेदारी सिर्फ उन्हीं आठ जिलों में दी गई थी जहां उनके कार्यालय हैं। प्रदेश के बाकी जिलों में यह काम जिला विद्यालय निरीक्षक (डीआइओएस) करते थे। जिला विद्यालय निरीक्षकों से वेतन मंजूर कराने में कॉलेजों के प्राचार्यो को दिक्कतें आती थीं। जिला विद्यालय निरीक्षक चूंकि माध्यमिक शिक्षा विभाग के अधीन होते हैं, इसलिए उच्च शिक्षा विभाग का सीधे तौर पर उन पर वश नहीं था। इन दिक्कतों को दूर करते हुए शासन ने नई व्यवस्था लागू कर दी है। नई व्यवस्था के तहत अब बाकी जिलों में भी अनुदानित कॉलेजों के शिक्षकों व कर्मचारियों के वेतन आहरण और वितरण का अधिकार क्षेत्रीय उच्च शिक्षा अधिकारियों को दे दिया गया है। प्रत्येक क्षेत्रीय उच्च शिक्षा अधिकारी अपने परिक्षेत्र में आने वाले जिलों में यह दायित्व निभाएगा(दैनिक जागरण,लखनऊ,14.6.11)। |
महाराष्ट्र के प्रबंधन कॉलेज लखनऊ में Posted: 14 Jun 2011 10:56 AM PDT मुंबई व पुणे सहित महाराष्ट्र के 27 प्रबंधन संस्थानों ने लखनऊ के विद्यार्थियों को दाखिला देने की तैयारी की है। इन संस्थानों के समूह कंसर्टियम ऑफ मैनेजमेंट एजुकेशन (सीओएमई) की ओर से अभ्यर्थियों का चयन 17 से 19 जून तक महानगर में गोल मार्केट स्थित रिट्ज बैंक्वेट हॉल में होगा। सीओएमई की अध्यक्ष डॉ. अपूर्वा पालकर ने बताया कि इन संस्थानों के लिए आवेदन करने वाले अभ्यर्थियों का चयन सेंट्रलाइज्ड एडमिशन प्रॉसेस (सीएपी) के जरिए होगा। इसमें अभ्यर्थियों को ग्रुप डिस्कशन और पर्सनल इंटरव्यू में शामिल होना होगा। सोओएमई के सदस्य संस्थानों में बीती दो जून से ऑनलाइन आवेदन की प्रक्रिया शुरू हो चुकी है। इसमें अभ्यर्थी कैट, मैट, जैट, एटीएमए, जेएमईटी, एमएचसीईटी या राज्य स्तरीय सीईटी स्कोर के अनुसार आवेदन कर सकते हैं। डॉ. पाल्कर ने बताया कि सीओएमई के सदस्य संस्थानों के नाम, पाठ्यक्रम, फीस, प्रवेश प्रक्रिया और अन्य बातों की जानकारी सीओएमई एसोसिएशन डॉट ओआरजी की वेबसाइट से भी प्राप्त की जा सकती है(दैनिक जागरण,लखनऊ,14.6.11)। |
Posted: 14 Jun 2011 09:54 AM PDT |
दिल्लीःमैनेजमेंट कोटे की फीस तय करेंगे निजी स्कूल Posted: 14 Jun 2011 09:20 AM PDT लगभग तीन साल की कोशिशों के बाद पीपीपी (सार्वजनिक व निजी भागीदारी) मॉडल स्कूलों के खुलने की उम्मीद बनती दिख रही है। सरकार ने उसका मसौदा तैयार कर लिया है। निजी क्षेत्र को न सिर्फ जमीन का इंतजाम खुद करना होगा, बल्कि स्कूल भवनों के निर्माण व संसाधनों आदि का सारा खर्च भी उठाना होगा। उन्हें छूट यह होगी कि मैनेजमेंट कोटे की सीटों की फीस वह खुद की तय करेंगे। जबकि स्कूल के लिए जमीन खरीदने में राज्य सरकारें उनकी मदद करेंगी। सूत्रों के मुताबिक मानव संसाधन विकास मंत्रालय ने शैक्षिक रूप से पिछड़े ब्लाकों को छोड़ बाकी ब्लाकों में खुलने वाले पीपीपी मॉडल के 2500 स्कूलों के लिए सारी तैयारियां कर ली हैं। राज्य सरकारों ने भी उसके मसौदे को मंजूरी दे दी है। लिहाजा अब उसे जल्द ही कैबिनेट के पास भेजा जाना है। मसौदे के तहत इन स्कूलों के लिए सरकार व निजी क्षेत्र के बीच दस साल के लिए करार होगा। जमीन खरीदने, भवन बनाने और संसाधनों को जुटाने और उस पर खर्च की पूरी जिम्मेदारी निजी क्षेत्र की होगी। ये स्कूल सोसाइटी या ट्रस्ट के जरिए खोले जा सकेंगे। इन स्कूलों के दाखिले में राज्य सरकार के नियमों के तहत सरकारी कोटा लागू होगा, जिसमें हर श्रेणी में 33 प्रतिशत लड़कियों को मौका मिलेगा। हर कक्षा में 140 छात्र और हर स्कूल में अधिकतम 980 छात्र सरकार प्रायोजित होंगे। उन पर आने वाले फीस व अन्य खर्च का भुगतान सरकार केंद्रीय विद्यालयों में एक छात्र पर आने वाले खर्च के लिहाज से करेगी। जबकि बाकी छात्रों व मैनेजमेंट कोटे की सीटों के मामले में फीस तय करने का अधिकार निजी क्षेत्र को होगा। राज्य सरकारें निजी क्षेत्र को जमीन खरीदने में मदद करेंगी। साथ ही उनसे अपने कोटे के छात्रों को ड्रेस व किताब-कापी उपलब्ध कराने की अपेक्षा की गयी है। दस साल का करार पूरा होने से पहले आपसी सहमति से आगे के लिए नया करार हो सकेगा(दैनिक जागरण,दिल्ली,14.6.11)। |
जेएनयूःबॉयोटेक्नोलजी एंट्रेंस का रिजल्ट घोषित Posted: 14 Jun 2011 08:45 AM PDT जेएनयू ने कंबाइंड एंट्रेंस एग्जामिनेशन फॉर बॉयोटेक्नोलजी का रिजल्ट घोषित कर दिया है। यह एग्जाम एमएससी बॉयोटेक्नो लजी, एमएससी (एग्री) बॉयोटेक्नोलजी, एमटेक बॉयोटेक्नोलजी कोर्स में एडमिशन के लिए होता है। यूनिवसिर्टी की वेबसाइट www.jnu.ac.in पर एंट्रेंस टेस्ट का रिजल्ट देखा जा सकता है। एंट्रेंस टेस्ट क्लियर करने वाले कैंडिडेट को स्पीड पोस्ट के जरिए भी सूचित किया जा रहा है(नवभारत टाइम्स,दिल्ली,14.6.11)। |
डीयूःकेट वॉक में फिसले कई टॉपर्स Posted: 14 Jun 2011 08:30 AM PDT डीयू में बीए ऑनर्स (इंग्लिश) में एडमिशन के लिए हुए कंबाइंड एप्टिट्यूड टेस्ट फॉर इंग्लिश (केट) में इस बार जनरल कैटिगरी में 6060 स्टूडेंट्स क्वालीफाई हुए हैं और ओबीसी कैटिगरी में 654 स्टूडेंट्स क्वालीफाइंग लिस्ट में शामिल हैं। इंग्लिश डिपार्टमेंट के हेड प्रो. सुमन्यु सत्पथी का कहना है कि पेपर टफ होने की वजह से हाई स्कोरर कम हुए हैं, लेकिन स्टूडेंट्स की परफॉर्मेंस में कोई कमी नहीं है। पिछले साल टॉप करने वाले स्टूडेंट्स ने 92 प्लस स्कोर किया था, वहीं इस बार एक ही स्टूडेंट ने 90 प्लस स्कोर किया है। 88-89 तक केट स्कोर पाने वाले स्टूडेंट्स की संख्या छह है। इसी तरह से 86 प्लस केट स्कोर पाने वाले भी छह स्टूडेंट्स हैं। 82-83 तक केट स्कोर पाने वाले स्टूडेंट्स की संख्या 18 है। खास बात यह रही कि कई स्टूडेंट्स ऐसे थे, जिनका सीबीएसई का स्कोर 95 प्लस था लेकिन केट का स्कोर 69-70 तक ही रह गया। सीबीएसई के बोर्ड एग्जाम में हाई स्कोर पाने वाले कई स्टूडेंट्स केट एग्जाम में नहीं चल पाए और उनका केट स्कोर 70 से भी कम रहा है। 12वीं में बेस्ट ऑफ फोर 96 पर्सेंट पाने वाले एक स्टूडेंट का केट स्कोर 69.40 ही है। इसी तरह से 95.25, 94.75, 96.50 स्कोर करने वाले कई स्टूडेंट्स का केट स्कोर 69-70 पर्सेंट के बीच रहा। 12वीं के एग्जाम के बेस पर जहां ये स्टूडेंट्स डीयू के किसी भी टॉप कॉलेज में आसानी से इंग्लिश ऑनर्स में एडमिशन ले सकते थे, वहीं केट स्कोर के बेस पर अब इन स्टूडेंट्स का हिंदू, एलएसआर, किरोड़ीमल जैसे कैंपस कॉलेजों में एडमिशन भी मुश्किल होगा। ऐसे में अब ये स्टूडेंट्स उन पॉपुलर कॉलेजों की तरफ रुख करेंगे, जहां पर केट के बेस पर एडमिशन नहीं हो रहे हैं। इंग्लिश डिपार्टमेंट के हेड प्रो. सत्पथी का कहना है कि बहुत सारे ऐसे स्टूडेंट्स हैं, जिन्होंने 12वीं में हाई स्कोर नहीं किया लेकिन केट में अच्छा प्रदर्शन करने के कारण अब वे कैंपस कॉलेज में भी एडमिशन पा सकते हैं वहीं 12वीं में हाई स्कोर करने वाले कई स्टूडेंट्स की उम्मीद टूटी भी है। केट का पेपर 100 नंबर का था और इसकी वेटेज 70 पर्सेंट है। 12वीं के मार्क्स की वेटेज 30 पर्सेंट है। केट में टॉपर ने एंट्रेंस टेस्ट में 88 मार्क्स लिए। बोर्ड में बेस्ट फोर में उसके 96.75 पर्सेंट मार्क्स हैं और इन दोनों को मिलाकर केट स्कोर 90.63 बनता है। ओबीसी कैटिगरी में टॉपर का केट स्कोर 78.68 है। किरोड़ीमल कॉलेज, राजधानी कॉलेज, विवेकानंद कॉलेज, दिल्ली कॉलेज ऑफ आर्ट्स एंड कॉमर्स, हिंदू कॉलेज, आईपी कॉलेज, कमला नेहरू कॉलेज, महाराजा अग्रसेन कॉलेज, भारती कॉलेज, सत्यवती कॉलेज (ईवनिंग), शिवाजी कॉलेज, श्यामलाल कॉलेज, स्वामी श्रद्धानंद कॉलेज, जाकिर हुसैन कॉलेज (मॉर्निंग और ईवनिंग), लेडी श्रीराम कॉलेज, मिरांडा हाउस, एसपीएम कॉलेज, शहीद भगत सिंह कॉलेज और देशबंधु कॉलेज, जानकी देवी मेमोरियल कॉलेज में एडमिशन केट के जरिये होगा(नवभारत टाइम्स,दिल्ली,14.6.11)। |
पंजाब विविःअगले सत्र से विभाग अपने स्तर पर लेंगे परीक्षा Posted: 14 Jun 2011 08:10 AM PDT पंजाब विश्वविद्यालय के सभी विभागों में अगले सत्र से विभागीय स्तर पर ही परीक्षा आयोजित की जायेगी। विभाग अपने स्तर पर पेपर सेट करेगा और पेपर चैकिंग के बाद अवार्ड लिस्ट तैयार कर परीक्षा शाखा को भेज देगा। हालांकि पीयू से संबद्ध कालेजों में यह नई व्यवस्था अभी शुरू नहीं हो पायेगी क्योंकि कालेज ऐसा करने को अभी तैयार नहीं हैं। यह बात एक विशेष भेंट में परीक्षा नियंत्रक व रजिस्ट्रार प्रो. ए.के भंडारी ने कही। प्रो. भंडारी ने कहा कि पंजाब विश्वविद्यालय परिसर के भीतर साइंस के विभिन्न विभागों में आनर्स पाठ्यक्रमों में पहले से यह व्यवस्था लागू है। वहां पर सभी विभागों में पेपर सेटिंग से लेकर चैकिंग तक का सारा काम विभागीय स्तर पर ही होता है। जल्द ही यह व्यवस्था आट्र्स, भाषा और अन्य विभागों में भी लागू कर दी जायेगी। नये सत्र से जो प्रोफेसर जिस विषय को पढ़ा रहा होगा वो ही पेपर चैक करेगा। उन्होंने यह जरूर माना कि कालेज इस तरह की व्यवस्था लागू करने को फिलहाल राजी नहीं है। डा. भंडारी का कहना है कि पीयू लगातार परीक्षा सुधारों पर जोर दे रही है। मगर हमारे समक्ष सबसे बड़ी समस्या प्रश्न-पत्र समय पर न मिलना बनी हुई है। उन्होंने कहा कि हर साल ढाई लाख छात्रों के लिए प्रशासन को 12 हजार से अधिक पेपर सेट कराने होते हैं। पेपर सेट कराने के लिए चार माह पहले प्रक्रिया शुरू कर देते हैं। पेपर सेटर से पहले हामी लेनी होती है फिर गोपनीय दस्तावेज भेजे जाते हैं मगर कई पेपर सेंटर इस प्रक्रिया में बेजा देरी करते हैं। कई बार तो एक दिन पहले पेपर मिलता है जिससे परीक्षा केंद्रों पर इसे वक्त पर पहुंचाना काफी चुनौतीपूर्ण व जोखिमभरा काम हो जाता है। परीक्षा नियंत्रक का कहना है कि पोस्टल सिस्टम की वजह से रोल नंबर भेजने अथवा कोई त्रुटि पूर्ण कराने में काफी वक्त लग जाता है लिहाजा पीयू ने इस सत्र से रोल नंबर व किसी प्रकार की कमी-पेशी दूर कराने के लिए आनलाइन सेवाएं देने की सोची है। उन्होंने कहा कि बोर्ड आफ स्टडीज की मूल्यांकन प्रक्रिया बहुत स्लो है जिससे कई बार सारे प्रोसेस में काफी देर हो जाती है। उन्होंने यह जरूर माना कि कट लिस्ट तैयार करते समय, कौन छात्र किस परीक्षा केंद्र पर बैठेगा, उसका विषय क्या है, इस पर काफी माथापच्ची करनी पड़ती है और गलतियां रह जाने की गुंजाइश होती है। इन सब दिक्कतों से छुटकारा दिलाने के लिए पीयू सारी व्यवस्था आनलाइन करने जा रहा है। प्रो. भंडारी ने माना कि हर प्रोफेसर के लिए 250 कापियां जांचना अनिवार्य किया जाना भी कोई ज्यादा फायदेमंद नहीं रहा क्योंकि टीचर्स इन्हें जांचने के लिए तैयार ही नहीं, किसी से जबदरस्ती तो की नहीं जा सकती(डा. जोगिन्द्र सिंह,दैनिक ट्रिब्यून,चंडीगढ़,14.6.11)। |
Posted: 14 Jun 2011 07:30 AM PDT खूबसूरत दिखने की चाह में अब लोग ज्यादा से ज्यादा पैसे खर्च करने से पीछे नहीं हटते। यही वजह है कि ब्यूटी एंड बैलेंस का कारोबार तेजी से बढ़ रहा है बदलती लाइफ स्टाइल में अब हर कोई फिट एंड फाइन दिखने की चाह रखता है। खूबसूरत दिखने की चाह में अब लोग अधिक पैसे खर्च करने में पीछे नहीं हटते। यही वजह है कि ब्यूटी एंड बैलेंस प्रोडक्ट्स की मांग में तेजी से वृद्धि हुई है। मार्केट रिपोर्ट के अनुसार ब्यूटी एंड बैलेंस का कारोबार लगभग 11 हजार करोड़ का हो गया है। यदि आप भी इस क्षेत्र में अपना करियर बनाना चाहते हैं तो आपके लिए बेहतर विकल्प साबित हो सकता है- कम्युनिकेशन स्किल ब्यूटी बिजनेस में आगे बढ़ने के लिए कम्यु निकेशन स्किल और सॉफ्ट लैंग्वेज बहुत जरूरी है क्योंकि काम के सिलसिले में आपकी कई प्रकार के लोगों से मुलाकात होगी। साथ ही, आपको ब्यूटी ट्रेंड के प्रति रुचि और जानकारी होनी चाहिए। फैशन की दुनिया में रोज स्टाइल और ट्रेंड बदलते रहते हैं। इसलिए आपको नई तकनीक, हेयर स्टाइल, मेकअप और कॉस्मेटिक प्रोडक्ट्स के बारे में अपडेट रहना होगा। करियर ऑप्शंस कोर्स करने के बाद आपके पास कई ऑप्शंस मौजूद होते हैं जिसमें से किसी एक का चुनाव कर करियर बनाया जा सकता है। सैलून ऑनर, सैलून चेन मैनेजमेंट, कॉस्मेटोलॉजिस्ट, ब्यूटी केयर, ब्यूटी मैगजीन राइटर, डिस्ट्रीब्यूटर, रिसर्च केमिस्ट, ब्यूटी प्रोडक्ट, डिजाइनर, ब्यूटी बिजनेस कंसल्टेंट आदि बन सकते हैं। सैलरी यदि आप गुड क्वालिटी का काम करते हैं तो इस फील्ड में आगे बढ़ने से आपको कोई रोक नहीं सकता। कम्पीटीशन में खुद को बनाए रखने के लिए पब्लिसिटी जरूरी है। इसमें शुरुआती सैलरी 15 से 30 हजार तक प्रति महीना हो सकती है। वैसे इस फील्ड में दो तरह से शुरुआत की जा सकती है। आप या तो खुद का बिजनेस कर सकते हैं या किसी एक्सपर्ट के असिस्टेंट भी बन सकते हैं। प्रोफेशनल नॉलेज- इस फील्ड को केवल मात्र कमाई के नाम पर या आकषर्ण की वजह से ना चुने। यदि आप सजाने-संवारने के शौकीन हैं, तभी इस करियर का चुनाव करें। इस क्षेत्र में प्रोफेशनल नॉलेज का होना बहुत जरूरी होता है। इसके लिए समुचित प्रशिक्षण बहुत आवश्यक है। डिप्लोमा कोर्स के बाद एडवांस लेवल पर किसी एक क्षेत्र में स्पेशलाइजेशन भी कर सकते हैं। कोर्सेज एडवांस्ड डिप्लोमा इन कॉस्मेटोलॉजी डिप्लोमा इन ब्यूटी कल्चर सर्टीफिकेट कोर्स इन स्किन केयर संस्थान एल.टी.ए. ऑफ ब्यूटी, मुंबई, महाराष्ट्र जी.एफ.एफ.आई., न्यू दिल्ली अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी, अलीगढ़, उत्तरप्रदेश वी.एल.सी.सी. इंस्टीट्यूट, नई दिल्ली गर्वमेंट गल्र्स पॉलीटेक्निक, गोरखपुर, उत्तरप्रदेश(अनिता घोष,राष्ट्रीय सहारा,पटना,14.6.11) |
उत्तराखंडःसमूह ग में भर्ती के लिए प्रदेश की बोलियों के ज्ञान की अनिवार्यता समाप्त Posted: 14 Jun 2011 07:10 AM PDT समूह 'ग' सम्मिलित भर्ती परीक्षा 2011 की सीधी भर्ती परीक्षा के लिए अब प्रदेश की बोलियों का ज्ञान होना जरूरी नहीं है। उत्तराखंड प्राविधिक शिक्षा परिषद रुड़की ने इस अनिवार्यता को समाप्त कर दिया है। हालांकि, अभ्यर्थियों के लिए राज्य की परंपराओं और रीतियों की जानकारी होना जरूरी है। उत्तराखंड प्राविधिक शिक्षा परिषद द्वारा समूह 'ग' अभ्यर्थियों के लिए उत्तराखंड की परंपराओं एवं बोलियों का ज्ञान तथा प्रदेश में विद्यमान परिस्थितियों में नियुक्ति के लिए उपयुक्त होने की अनिवार्यता रखी गई थी। यानी वे ही अभ्यर्थी परीक्षा दे सकते थे, जिन्हें बोलियों का ज्ञान हो। परिषद के इस फैसले को लेकर विभिन्न संगठन लंबे समय से आंदोलनरत थे। इसे देखते हुए उत्तराखंड प्राविधिक शिक्षा परिषद ने बोली के ज्ञान की अनिवार्यता समाप्त कर दी है। हालांकि, अभ्यर्थियों के लिए राज्य की परंपराओं एवं रीतियों का ज्ञान होना अब भी अनिवार्य है। इस संबंध में उत्तराखंड प्राविधिक शिक्षा परिषद के उप सचिव मुकेश पांडे ने बोली की अनिवार्यता समाप्त करने की पुष्टि की। उन्होंने बताया कि यह संशोधन शासन के पूर्व निर्देश के अनुसार किया गया है(अमर उजाला,देहरादून,14.6.11)। |
यूपीःअब झोले में नहीं चलेंगे संस्कृत महाविद्यालय Posted: 14 Jun 2011 06:50 AM PDT पूर्वांचल के विभिन्न जिलों में झोलों और पेड़ों के नीचे चलने वाले संस्कृत महाविद्यालयों के दिन बअ पूरे हो चले हैं। संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय से संबद्ध पूर्वांचल के संस्कृत महाविद्यालयों की हकीकत जानने के लिए विवि की ओर से १६ जिलों में भेजा गया निरीक्षण मंडल ऐसे महाविद्यालयों के बारे में जानकारियां जुटा रहा है। यह पहला मौका है जब विश्वविद्यालय की ओर से संबद्ध महाविद्यालयों का इतने बड़े पैमाने पर निरीक्षण कराया जा रहा है। निरीक्षण मंडल परीक्षा की तैयारियों के बहाने महाविद्यालयों का लेखाजोखा भी जुटाता जा रहा है। निरीक्षण मंडल द्वारा जुटाई गई जानकारी के आधार पर ही पूर्वांचल के संस्कृत महाविद्यालयों का भविष्य तय होगा। निरीक्षण मंडल प्रत्येक महाविद्यालय से जुड़ी महत्वपूर्ण सूचनाएं संकलित कर रहा है। महाविद्यालय की मौजूदा स्थिति का आकलन करने के लिए कुल दस बिंदुओं पर तथ्य जुटाए जा रहे हैं। महाविद्यालय के प्राचार्य का नाम, पता, फोन नंबर से लेकर भूमि-भवन की मौजूदा स्थिति, संसाधनों की उपलब्धता, छात्रों-शिक्षकों की संख्या, परीक्षा का रिकार्ड, बीते वर्षों में सफल छात्रों का प्रतिशत आदि जानकारियां इसमें शामिल है। पूर्वांचल के १६ जिलों में भेजे गए निरीक्षण मंडल के सदस्य १४ जून की शाम तक अपनी रिपोर्ट कुलपति को सौंप देंगे। जिन जिलों में निरीक्षण मंडल गया है उनमें प्रमुख रूप से बलिया, आजमगढ़, गोरखपुर, इलाहाबाद, कौशांबी, जौनपुर, संतरविदास नगर, मिर्जापुर, चंदौली, गाजीपुर, गोरखपुर हैं(अमर उजाला, वाराणसी,14.6.11)। |
नवोदय में आरटीई की अनदेखी, होगी प्रवेश परीक्षा Posted: 14 Jun 2011 06:30 AM PDT मानव संसाधन विकास मंत्रालय ने अपने ही बनाए कानून को दरकिनार करते हुए सत्र २०११-१२ में कक्षा छह में दाखिले के लिए नवोदय विद्यालयों को प्रवेश परीक्षा कराने की अनुमति दे दी है। मंत्रालय प्रवेश परीक्षा कराने पर पिछले तीन महीने से उधेड़बुन में जुटा था। अब मंत्रालय द्वारा संचालित देश के सभी ५९३ स्कूलों में १० जुलाई को प्रवेश परीक्षा कराई जाएगी। निःशुल्क और अनिवार्य शिक्षा (आरटीई एक्ट-२००९) के तहत यह प्रावधान किया गया कि कक्षा एक से आठवीं तक के बच्चों से न तो कोई शुल्क लिया जाएगा न ही कोई टेस्ट होगा। इसका उल्लंघन करने पर २५ हजार रुपये के अर्थदंड का प्रावधान है। यदि विद्यालय ऐसा आगे भी करते हैं तो यह अर्थदंड ५० हजार रुपये अधिरोपित किया जाएगा। इसके लिए बाकायदा राष्ट्रीय बाल संरक्षण आयोग नई दिल्ली के सदस्य सचिव लव वर्मा ने राज्यों के शिक्षा प्रमुखों को २२ जून-२०१० को पत्र भेजकर एक्ट का कड़ाई से पालन करने का निर्देश भी दिया था। बावजूद इसके मंत्रालय अपने ही विद्यालयों में इसे लागू नहीं कर पाया। गौरतलब है कि दाखिले के लिए देश के लगभग २५ लाख बच्चों ने आवेदन किया है। नवोदय विद्यालय गजोखर के प्रधानाचार्य आरबी सिंह ने बताया कि मंत्रालय ने प्रवेश परीक्षा की तिथि १० जुलाई तय की है। बच्चों के प्रवेशपत्र सहायक बेसिक शिक्षा अधिकारियों को २० जून से उपलब्ध कराए जाएंगे। वहां से प्रवेश पत्र सीधे संबंधित विद्यालयों पर भेज दिया जाएगा(अमर उजाला,वाराणसी,14.6.11)। |
यूपीःनौकरी बदलने पर भी मिलेगी पुरानी पेंशन Posted: 14 Jun 2011 06:10 AM PDT नई पेंशन नीति का विरोध कर रहे कर्मचारियों के एक वर्ग के लिए राहत वाली खबर है। ऐसे कर्मचारी, जिन्होंने नई पेंशन नीति लागू होने के बाद एक विभाग छोड़कर किसी दूसरे केंद्रीय विभाग में नौकरी ज्वाइन कर ली, उन्हें पुरानी पेंशन नीति का ही लाभ दिया जाएगा। इस बाबत वित्त मंत्रालय के कंट्रोलर जनरल ऑफ एकाउंट्स ने स्पष्टीकरण जारी कर दिया है। नई पेंशन नीति पहली जनवरी २००४ से लागू की गई है। इस नीति के लागू होने के बाद जिन कर्मचारियों की केंद्रीय विभागों में नियुक्तियां हुई हैं, उन्हें नई नीति के तहत पेंशन दी जाएगी। हालांकि कर्मचारी इसका विरोध कर रहे हैं। उन्हें पुरानी नीति सेंट्रल सिविल सर्विसेज (पेंशन) रूल्स-१९७२ के तहत ही पेंशन चाहिए। इनमें से बहुत से कर्मचारी ऐसे हैं, जो नई नीति के लागू होने के पहले से केंद्रीय विभागों में तैनात हैं और नई नीति लागू होने के बाद पुरानी नौकरी छोड़कर किसी दूसरे विभाग में चले गए। इन कर्मचारियों को पुरानी पेंशन दी जाए या नई पेंशन नीति के तहत उनकी नियुक्ति मानी जाए, इस बात को लेकर विभागों में असमंजस की स्थिति थी। विभागों ने वित्त मंत्रालय से स्थिति स्पष्ट करने का अनुरोध किया था, जिसके बाद यह निर्देश दिया गया कि ऐसे कर्मचारियों को सेंट्रल सिविल सर्विसेज (पेंशन) रूल्स-१९७२ का लाभ ही दिया जाए। विभागों में यह असमंजस भी था कि नई पेंशन नीति के तहत नियुक्त कर्मचारियों को उपार्जित अवकाश के नगदीकरण का लाभ मिलेगा या नहीं। इस पर कंट्रोलर जनरल ऑफ एकाउंट्स ने कहा है कि यह मामला नई पेंशन नीति से नहीं बल्कि सीसीएस (लीव) रूल्स से संबंधित है, सो कर्मचारियों को इसका लाभ दिया जाएगा(अमर उजाला,इलाहाबाद,14.6.11)। |
Posted: 14 Jun 2011 05:30 AM PDT जैसे-जैसे छात्र अपने करियर को लेकर जागरूक हो रहे हैं, वैसे-वैसे उनमें इस बात को लेकर भी काफी भ्रम की स्थिति पैदा हो रही है कि आखिर उनके लिए करियर की सही राह कौन-सी है, किस क्षेत्र में वे बेहतर कर सकते हैं आदि। करियर काउंसलर अपनी स्किल तथा अनुभव के आधार पर छात्रों की इसी दुविधा का निवारण करता है। करियर काउंसलर लोगों की रुचि, प्रतिभा, नजरिया और स्किल्स परख कर उन्हें सलाह देते हैं कि वे किस क्षेत्र में करियर बनाएं। शुरुआती स्तर पर करियर काउंसलर का काम किसी छात्र को यह बताना होता है कि उसकी रुचि और एटिटय़ूड के हिसाब से कैसे-कैसे कोर्स हैं। किन यूनिवर्सिटी या कॉलेज से वह कोर्स किया जा सकता है। वांछित योग्यताएं क्या होनी चाहिए, फीस वगैरह कितनी देनी होगी आदि। करियर काउंसलर इंटरमीडिएट लेवल के छात्रों के कुछ विशेष टेस्ट लेते हैं, जिसके नतीजों के आधार पर छात्रों को अपनी पसंद और प्रतिभा जानने-समझने का मौका मिलता है। रूटीन .सुबह 8 बजे: सारे दिन के अपॉइंटमेंट चेक करना .9 बजे: छात्रों से बात करना .10 बजे: छात्रों के लिए पर्सनेलिटी टेस्ट की रूपरेखा तैयार करना .11 बजे: छात्रों के काउंसलिंग सेशन के लिए अपॉइंटमेंट तय करना .12 बजे के बाद: काउंसलिंग सेशन की शुरुआत करना .4 बजे के बाद: रिसर्च और जानकारी इकट्ठा करना .5 बजे: पूरे दिन के कामों को चेक करना सैलरी शुरुआती स्तर पर एक करियर काउंसलर 12 से 15 हजार रुपए प्रति माह तक कमा सकता है। जैसे-जैसे उसके काम का अनुभव बढ़ता है, उसकी सेलरी भी बढ़ती जाती है। बाद में वह 35 हजार रुपए तक कमाने लगता है। इसके बाद तो काम के दायरे के आधार पर सेलरी निर्भर करती है। अगर आप अपना करियर काउंसलिंग सेंटर खोलते हैं तो पैसे कमाने की कोई तय सीमा नहीं होती। स्किल .कम्युनिकेशन स्किल अच्छी होनी चाहिए। .कमांडिंग पर्सनेलिटी होनी चाहिए। .शिक्षा के क्षेत्र की सम्पूर्ण जानकारी होनी चाहिए। .एनालिटिकल एप्रोच होनी चाहिए, ताकि छात्रों के मनोविज्ञान को पढ़ कर उन्हें बेस्ट विकल्प सुझा सकें। क्वालिफिकेशन इंटरमीडियट की शिक्षा पूरी करने के बाद मनोविज्ञान में स्नातक करना चाहिए। इसके बाद गाइडेंस और काउंसलिंग में पीजी डिप्लोमा करना चाहिए। बहुत सारे लोग मनोविज्ञान की पढ़ाई किए बिना इस क्षेत्र में करियर बनाते हैं, मगर उन्हें इतनी अच्छी सफलता नहीं मिलती, जितनी इस विषय के जानकारों को मिलती है। इसके अलावा ऐसे लोग भी इस क्षेत्र में आ सकते हैं, जिनमें दूसरों से बात करने और उनकी जरूरतों को समझने की कला हो। याद रखें .ये चुनौतियों से भरा करियर है। .आप में स्किल्स की जितनी विविधता होगी, करियर के ऑप्शन आपके सामने उतने ज्यादा खुलेंगे। .इस पेशे में खुद को अपडेट रखना बहुत जरूरी है। (हिंदुस्तान,दिल्ली,14.6.11) |
यूपी बोर्ड के ६७ हजार अंकपत्रों में गड़बड़ियां Posted: 14 Jun 2011 05:10 AM PDT यूपी बोर्ड के हाईस्कूल, इंटर के जिन छात्रों ने अब तक नेट से अपने अंकपत्र की प्रति न निकाली हो, एक बार प्रिंट निकालकर उसकी जांच जरूर कर लें। पास हैं या हर विषय में अच्छे नंबर हैं, केवल यह जान लेना जरूरी नहीं है। संभव है कि इंटर में मैथ्स की परीक्षा दी हो लेकिन, अंकपत्र पर बायोलॉजी के नंबर चढ़े हों, या फिर अंग्रेजी के स्थान पर कंप्यूटर के अंक चढ़ गए हों। हाईस्कूल वालों की मार्कशीट में सभी विषयों में पास होने के बाद भी फेल लिखा हो तो ताज्जुब नहीं। कई विद्यार्थियों की मार्कशीट पर नाम ही गलत है। वे अपनी मार्कशीट कहीं दाखिल नहीं कर सकते। बोर्ड से मार्कशीट मिलने में अभी वक्त है। अंकपत्र जब मिलेंगे, उस समय गड़बड़ियां पकड़ में आएंगी तो जाहिर है उसके बाद ठीक कराने में वक्त लगेगा। मार्कशीट को लेकर प्रदेश भर के स्कूलों, डीआईओएस दफ्तर और चारों क्षेत्रीय कार्यालय में सोमवार शाम तक तक ६७ हजार शिकायतें एकत्र की गई हैं। इनमें ५० हजार से अधिक शिकायतें विषय की दिक्कत को लेकर हैं। शेष में नाम, पिता के नाम और नंबर को लेकर गड़बड़ी है। अधिकारियों का कहना है कि ज्यादातर गड़बड़ियां एवार्ड ब्लैंक को लेकर हैं। एवार्ड ब्लैंक में गलत विषय दर्ज होने के कारण ही अंकपत्र पर सब्जेक्ट बदला। बोर्ड के कंप्यूटर सेक्शन से जुड़े कर्मचारियों का कहना है कि डाटा फीड करते समय कुछ मामलों में इस तरह की गड़बड़ियां संभावित हैं, लेकिन उन्हें एक बार चेक जरूर किया जाता है। मूल्यांकन केंद्र से गलत डाटा मिलने पर सभी की रीचेक करना, सुधारना संभव नहीं होता। क्षेत्रीय कार्यालयों में कई ऐसे मामले पहुंचे हैं जिसमें परीक्षा में शामिल होने केबाद भी विद्यार्थी को अनुपस्थित दिखा दिया गया है। अधिकारियों के मुताबिक अब तक कानपुर, इलाहाबाद, वाराणसी, गोरखपुर, लखनऊ, आगरा, झांसी मंडलों से जुड़े कई जिलों में अंकपत्रों की गड़बड़ियां अधिक मिली हैं। माध्यमिक शिक्षा निदेशक संजय मोहन का कहना है कि ऐसी गड़बड़ियों को दूर करने के लिए सभी क्षेत्रीय कार्यालयों में ग्रीवांस सेल का गठन किया गया है। कोई बड़ी तकनीकी खामी न हो तो सामान्य सभी शिकायतें वहां दूर हो जाएंगी(अमर उजाला,इलाहाबाद,14.6.11)। |
डीयू का कॉलेज ऑफ वोकेशनल स्टडीज Posted: 14 Jun 2011 04:50 AM PDT दक्षिणी दिल्ली के शेख सराय स्थित कॉलेज ऑफ वोकेशनल स्टडीज डीयू के पुराने कॉलेजों में से एक है। यह कॉलेज पेशेवर कोर्सेस के लिए जाना जाता है। 1972 में शुरु हुए इस कॉलेज में वोकेशनल और लैंग्वेज कोर्सेस की सबसे ज्यादा मांग है। सुविधाएं: यहां छात्रों के लिए आधुनिक लाइब्रेरी और कंप्यूटर लैब है। खेल को प्रोत्साहन देने के लिए खेल संबंधी सभी तरह की सुविधाएं उपलब्ध है। कॉलेज में एनसीसी, एनएसएस और सांस्कृतिक सोसायटी भी है। म्युजिक को बढ़ावा देने के लिए कॉलेज का अलग से म्युजिक बैंड है। पेशेवर कोर्स करने वालों के लिए प्लेसमेंट की सुविधा है। कोर्स: बीए, बीए(ऑनर्स)इकोनोमिक्स, बीए(ऑनर्स) इंग्लिश, बीए(ऑनर्स)इतिहास, बीए(ऑनर्स) वोकेशनल स्टडीज, बीए(बिजनेस इकोनोमिक्स),बी.कॉम(ऑनर्स), बी.एससी(कंप्यूटर साइंस) सीटों की संख्या: 848 फोन: 011-29258544 वेबसाइट: www.cvsdu.com( हिंदुस्तान,दिल्ली,14.6.11) |
शिमलाःकम मानदेय से अंश कालीन जलवाहकों में रोष Posted: 14 Jun 2011 04:30 AM PDT अंशकालीन जलवाहकों की कार्यकारिणी की बैठक में कम मानदेय को लेकर रोष व्यक्त किया गया। वहीं आठ साल का कार्यकाल पूरा कर चुके जलवाहकों को नियमित करने की मांग भी पुरजोर से उठाई गई। इस दौरान प्रदेश सरकार से कार्य की अवधि बढ़ाने की गुहार लगाई गई। बैठक में निर्णय लिया गया कि मांगें नहीं मानी जाती हैं तो मजबूरन आंदोलन का रुख अख्तियार करना पड़ेगा। बैठक जिला प्रधान गुलट राम चौहान की अध्यक्षता में बुटेल धर्मशाला शिमला में हुई। संघ के महासचिव लच्छी राम सरवान ने बताया कि बैठक में मानदेय बढ़ाने का मुद्दा उठा। अंशकालीन जलवाहकों का मानदेय न के बराबर है। इस मेहनताने से परिवार का गुजर बसर करना मुश्किल है। सरकार से समय-समय पर मानदेय बढ़ाने की मांग की जाती रही है। अभी तक गुहार सुनी नहीं गई है। आठ वर्ष का कार्यकाल पूरा करने वाले जलवाहक नियमित होने चाहिए। उन्होंने बताया कि बैठक मेें पाठशाला में पूर्ण समय तक काम करने की मांग भी सरकार से की गई। चार घंटे के बजाय सुबह दस से शाम चार बजे तक कार्य लिया जाए और इसके आधार पर मानदेय बढ़ाया जाए(अमर उजाला,शिमला,13.6.11)। |
डीयू में दाखिले की असमंजसःकोर्स चुनें या कॉलेज Posted: 14 Jun 2011 04:02 AM PDT किसी खास कॉलेज में एडमिशन के लिए अक्सर छात्र अपने कोर्स के साथ समझौता करने को तैयार हो जाते हैं, लेकिन एक्सपर्ट्स का मानना है कि कोर्स की बजाय कॉलेज से किया गया समझौता कहीं बेहतर है। कॉलेज में एडमिशन से पहले किन बातों का रखें खास खयाल, आइए जानते हैं रुचि के साथ। इस साल 12वीं के परिणामों ने छात्रों के एक बड़े वर्ग की आंखों में मनपसंद कॉलेज के सपने बुन दिए हैं। अकेले सीबीएसई परिणामों की बात की जाए तो वर्ष 2011 में 1200 से भी अधिक छात्र-छात्राओं ने 90 प्रतिशत से अधिक अंक हासिल किए। अब 90 प्रतिशत से अधिक अंक हासिल करने वालों की फेहरिस्त इतनी लंबी है तो यह बात भी साफ है कि छात्रों को मनपसंद विषयों के साथ अच्छे से अच्छे कॉलेज में एडमिशन मिलना थोड़ा मुश्किल तो जरूर होगा। ऐसे वक्त में छात्रों के लिए और भी अहम हो जाता है कि वे कॉलेज के सपनों के आगे कोर्स को कहीं भुला न दें। एक्सपर्ट्स की राय में छात्रों के लिए सीट सुनिश्चित करना कॉलेज के लिहाज से ज्यादा जरूरी है। उनके अनुसार छात्रों को अपने मनपसंद कोर्स में पहली कट ऑफ में किसी भी कॉलेज में एडमिशन मिलता हो तो उन्हें यह मौका छोड़ना नहीं चाहिए। आईपी यूनिवर्सिटी के बेसिक एंड अप्लाइड साइंसेस डिपार्टमेंट के असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ. गुलशन धमीजा का कहना है, 'छात्रों को हमेशा कोर्स की गुणवत्ता पर ध्यान देना चाहिए। मैंने अपने करियर में कई बार ऐसे स्टुडेंट्स भी देखे हैं, जो अपने दोस्तों के चलते अपना कोर्स बदल लेते हैं। इस समय आप क्या फैसला लेते हैं, इस पर आपका भविष्य निर्भर करता है। इसलिए दोस्तों के पीछे अपने कोर्स और कॉलेज को न छोड़ें।' डॉ. धमीजा का कहना है कि किसी भी कोर्स या कॉलेज में एडमिशन लेने से पहले छात्रों को अपना लक्ष्य साफ रखना चाहिए, जिससे उन्हें अपनी पढ़ाई को सही दिशा में ले जाने में आसानी होगी। अगर अब भी आप कोर्स और कॉलेज में चुनाव को लेकर असमंजस की स्थिति में हैं तो यहां कुछ ऐसी बातों के बारे में चर्चा की जा रही है, जो आपको अपना फैसला लेने के एक कदम और नजदीक ले जाएंगी। 1. दिलचस्पी और योग्यताओं का आकलन सबसे पहले किसी खास विषय में अपनी दिलचस्पी और अपनी योग्यताओं पर ध्यान दें, जिस विशेष कोर्स के लिए आप एडमिशन चाहते हैं। खुद से यह सवाल करें कि क्या आप उसे अपनी ग्रेजुएशन पूरा होने तक उसी तरह पढ़ सकते हैं? अगर इसका जवाब हां है तो बहुत बढ़िया, लेकिन अगर इसका जवाब नहीं या पता नहीं में है तो आपको अपने तय कोर्स के बारे में एक बार फिर से सोचना होगा। 2. ऐसे कोर्स और कॉलेजों की सूची बनाएं, जो आपकी पसंद से मेल खाते हों आपने अगर एक बार कोर्स तय कर लिया है तो उसे अपने मनपसंद कॉलेज में एडमिशन के लिए बदलिए नहीं। आप ऐसे कॉलेज के नामों की सूची बनाएं, जहां आपका पसंदीदा कोर्स पढ़ाया जाता हो। साथ ही छात्रों में इस बात का भी भ्रम है कि कॉलेज का रुतबा उन्हें हाथोहाथ नौकरी दिला सकता है। लेकिन ऐसा नहीं है। कॉलेज का नाम बशर्ते कैम्पस प्लेसमेंट में आपको ज्यादा मौके दिला सकता है, लेकिन कोर्स को लेकर आपकी समझ और जानकारी ही आपको वह नौकरी दिला सकती है। 3. कॉलेज का चुनाव निम्न मानकों के आधार पर करें सुविधाएं: आज समय की मांग जहां प्रोफेशनल कोर्स हैं, वहीं इन कोर्सों की मांग है सुविधाएं। अगर आप किसी शैक्षिक कोर्स की बजाए किसी प्रोफेशनल कोर्स में एडमिशन लेना चाहते हैं तो पहले इस बारे में यह सुनिश्चित कर लीजिए कि कॉलेज में उससे संबंधित सभी सुविधाएं, जैसे लाइब्रेरी, प्ले ग्राउंड, प्रयोगशालाएं, इंटरनेट, होस्टल आदि हैं भी कि नहीं। टय़ूशन फीस: आमतौर पर नामी-गिरामी कॉलेज और ऐसे कोर्स, जिनकी मांग काफी ज्यादा है, उनकी फीस आपकी जेब पर भी काफी भारी होती है। इसीलिए जरूरी है कि आप अपने कोर्स को ध्यान में रखते हुए ऐसे कॉलेज का चुनाव करें, जो आपकी जेब पर बोझ न बने। सिर्फ अपने पसंदीदा कॉलेज में एडमिशन लेने के लिए जरूरत से ज्यादा खर्च करना बेकार जाएगा, क्योंकि यहां बात तो सिर्फ ग्रेजुएशन की डिग्री लेने की है, फिर भले ही वह किसी दूसरे कॉलेज से क्यों न ली गई हो। 4. शॉर्टलिस्टेड कॉलेज और कोर्स पर दोबारा ध्यान दें अब जब आपके हाथ में गिने-चुने विकल्प रह गए हैं तो आपके लिए कॉलेज के लिए निर्णय लेने में कोई मुश्किल नहीं होगी। पर फिर भी आप अपनी इस सूची को एक बार और देख लें। कोर्स को लेकर आपका फैसला बहुत अहम है, क्योंकि भविष्य में आपको नौकरी या काम कोर्स के बलबूते ही मिलेगा, न कि कॉलेज के नाम पर। आपकी विषय पर पकड़ और उसकी जानकारी नौकरी के लिए आपके अहम हथियार साबित होंगे। 5. एडमिशन जब पहली कट ऑफ आ जाएगी, तब हो सकता है, आपकी जो शॉर्टलिस्टिंग है, उसमें कुछ फेर-बदल भी हों। लेकिन ऐसे में भी हमेशा एक बात का ध्यान रखना जरूरी है कि आप अपने अहम मुद्दे कोर्स को न भूलें। हां, अगर आपके सामने कोई दूसरा विकल्प न बचे तो ऐसी स्थिति में आप कोर्स के लिए अपने दूसरे विकल्प को तरजीह दे सकते हैं। यह सिर्फ ऐसी स्थिति में करना बेहतर होगा, जब आपको आपकी पसंद का कोर्स न मिले। एक्सपर्ट व्यू कोर्स में दिलचस्पी है जरूरी गीतांजलि कुमार, करियर काउंसलर इस साल कॉलेज में एडमिशन ले रहे छात्रों को मैं यह कहना चाहूंगी कि वे कॉलेज से ज्यादा ध्यान कोर्स पर दें। अगर आप अपनी पसंद का कोर्स चुनेंगे, फिर चाहे वह किसी भी कॉलेज में मिले, तो आपका भविष्य जरूर सुनिश्चित होगा। हम अक्सर देखते हैं कि कुछ छात्र दोस्तों के चलते ऐसे कॉलेजों में एडमिशन ले लेते हैं, जहां उन्हें मनपसंद सब्जेक्ट्स नहीं मिलते। ऐसा नहीं करना चाहिए। कॉलेज और कोर्स में चयन करते समय, छात्रों को सबसे पहले अपनी दिलचस्पी देखनी चाहिए। ऐसा जरूरी नहीं है कि फिजिक्स-कैमिस्ट्री के सभी छात्र कंप्यूटर इंजीनियर ही बन जाएं। कंप्यूटर साइंस की पढ़ाई के लिए मैथ्स में दिलचस्पी होना भी बेहद जरूरी है। कुछ ऐसा ही कॉमर्स के छात्रों के साथ भी है। कॉमर्स का हर छात्र बीबीई या बीबीए नहीं कर सकता। 12वीं में आपके पास सब्जेक्ट्स की वैरायटी होती है, लेकिन कॉलेज में इन्हें स्पेशलाइज करते हुए चुनना पड़ता है। हर छात्र को कॉलेज या कोर्स में एडमिशन लेने से पहला अपना एक लक्ष्य निर्धारित कर लेना चाहिए। इसके लिए विषय में दिलचस्पी और उसका ज्ञान, दो महत्त्वपूर्ण बातें हैं। फिजिक्स-कैमिस्ट्री के सभी छात्र जरूरी नहीं कि साइंस के हर विषय को आसानी से पढ़ लेते हों। ऐसे में आपको ध्यान देना है कि अगर आपको कैमिस्ट्री आसान लगती है तो कैमिस्ट्री ऑनर्स में ग्रेजुएशन करें, न कि बीएससी में अपना नाम एनरोल करवाएं। छात्र अक्सर यह सोच लेते हैं कि उनकी दिलचस्पी एक खास विषय में है तो उन्हें ग्रेजुएशन भी उसी में करनी चाहिए। ऐसा जरूरी नहीं है। अगर उस विषय को लेकर उनका ज्ञान कम है तो बाद के साल में उन्हें बोरियत होने लगेगी। दिलचस्पी और ज्ञान, दोनों का होना जरूरी है। इसलिए गंभीरतापूवर्क विश्लेषण कर फिर सब्जेक्ट चुनना चाहिए। हां, अगर छात्र के अंक अच्छे हैं और एक ही कोर्स के लिए उसका नाम दो या अधिक कॉलेज में आता है तो उसे बेहतर कॉलेज के बारे में सोचना चाहिए, न कि बेहतर कॉलेज के लिए कोर्स से समझौता करना चाहिए। (रुचि,हिंदुस्तान,दिल्ली,14.6.11) |
सेंट स्टीफंस : दाखिले के आवेदन में 1 हजार की गिरावट Posted: 14 Jun 2011 01:30 AM PDT दिल्ली विविद्यालय के नामचीन कॉलेज में शुमार सेंट स्टीफंस कॉलेज में शैक्षणिक सत्र 2011-12 के दाखिले के आवेदन में इस बार गिरावट आई है। दाखिले के लिए सोमवार को खत्म हुई आवेदन प्रक्रिया के बाद करीब 21 हजार आवेदन आए हैं। जबकि बीते साल आवेदन की संख्या 22 हजार थी। कॉलेज की 420 सीटों के लिए इस बार कुल 25 हजार फार्मो की बिक्री हुई थी। कॉलेज के एडमिशन कमेटी के कनवेनर केएम मैथ्यू ने कहा कि आवेदन कम आने का कारण बताया जाना मुश्किल है। श्री मैथ्यू ने कहा कि अब 16 जून को कॉलेज की कट ऑफ सूची जारी होगी और इसी के साथ साक्षात्कार सूची भी जारी कर दी जाएगी। साक्षात्कार के बाद दाखिले शुरू हो जाएंगे। कॉलेज में दाखिले के अंतिम दिन कॉलेज में विद्यार्थियों की काफी भीड़ रही। विद्यार्थी लंबी-लंबी कतारों में सुबह से ही आवेदन फॉर्म जमा करने में लग गए थे। श्री मैथ्यू ने बताया कि दाखिले के लिए आवेदन करने के अंतिम दिन कुल 3500 फॉर्म जमा हुए हैं। उन्होंने बताया कि आखिरी दिन ऑनलाइन कुल 4800 आवेदन हुए। जबकि ऑफलाइन 15 हजार 500 फॉर्म जमा हुए। इसी प्रकार डाऊनलोड किए गए 300 फॉर्म जमा हुए। इस प्रकार कॉलेज में अभी तक कुल 20 हजार 600 फॉर्म जमा हुए हैं। श्री मैथ्यू ने कहा कि अभी कुछ डाक द्वारा भी आवेदन आए हैं। इस प्रकार आगामी शैक्षणिक सत्र के लिए करीब 21 हजार आवेदन हुए हैं। इस बार कॉलेज के 10 कोर्सेज में दाखिले 12वीं के नतीजे और 15 फीसद साक्षात्कार के आधार पर किए जाएंगे। कॉलेज के कोर्सेज में अर्थशास्त्र ऑनर्स, फिजिक्स ऑनर्स, गणित ऑनर्स, अंग्रेजी ऑनर्स, केमेस्ट्री ऑनर्स, इतिहास ऑनर्स, बीएससी प्रोग्राम विथ कम्प्यूटर साइंस, बीएससी प्रोग्राम विथ केमिस्ट्री, फिलॉस्फी ऑनर्स और बीए प्रोग्राम शामिल हैं। कॉलेज में साक्षात्कार 20 जून से शुरू होगा। कॉलेज के दाखिले में आरक्षण में सबसे ज्यादा कोटा जो 50 फीसद का है, वह क्रिश्चियन समुदाय के लिए रखा गया है |
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Palash Biswas
Pl Read:
http://nandigramunited-banga.blogspot.com/
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