BAMCEF UNIFICATION CONFERENCE 7

Published on 10 Mar 2013 ALL INDIA BAMCEF UNIFICATION CONFERENCE HELD AT Dr.B. R. AMBEDKAR BHAVAN,DADAR,MUMBAI ON 2ND AND 3RD MARCH 2013. Mr.PALASH BISWAS (JOURNALIST -KOLKATA) DELIVERING HER SPEECH. http://www.youtube.com/watch?v=oLL-n6MrcoM http://youtu.be/oLL-n6MrcoM

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Monday, September 9, 2013

कटवा ताप बिजलीघर के लिए जमीन समस्या गहरायी, परियोजना में काट छांट का अंदेशा

कटवा ताप बिजलीघर के लिए जमीन समस्या गहरायी, परियोजना में काट छांट का अंदेशा

एक्सकैलिबर स्टीवेंस विश्वास​

कटवा ताप बिजलीघर के लिए जमीन की समस्या गहराती जा रही है। एनटीपीसी ने अब साफ कर दिया है कि इस बिजलीघर के लिए बाकी डेढ़ सौ एकड़ जमीन की व्यवस्था  राज्य सरकार को ही करनी होगी वरना इस बिजली परियोजना में काट छांट करने को मजूर हो जायेगी कंपनी।एनटीपीसी के सीएमडी अरुप राय चौधरी ने बार बार कहा कि हमें उम्मीद है कि पश्चिम बंगाल सरकार से होने वाली बातचीत में कोई न कोई समाधान जरूर निकलेगा, लेकिन अबकि बार उन्होंने जमीन न मिलने की हालत में परियोजना में ही काट छांट  करने की चेतावनी दे दी है।जिससे सार्वजनिक क्षेत्र की विद्युत कंपनी एनटीपीसी की पश्चिम बंगाल के बर्दमान जिले के कटवा में रुकी 16000 मेगावाट की परियोजना का भाग्य अधर में लटक गया है।


भूमि की सीधी खरीद की कोशिश असफल होने के बाद एनटीपीसी अब कटवा परियोजना के आकार कम करने के विकल्प पर विचार कर रही है।बिजली  कंपनी अब कटवा के बाहर ऐश हैंडलिंग इकाई स्थापित करने पर विचार कर रही है, जिसे पाइपलाइन के जरिये जोड़ा जाएगा।कर्मचारियों के लिए कॉलोनी बनाने, रेलवे साइडिंग, पानी संग्रहीत करने के लिए और जमीन की जरूरत होगी।


वाम जमाने की परियोजना के लिए भूमि अधिग्रहण बंद


वाम जमाने में प्रस्तावित 9,600 करोड़ की लागत से बनने वाली परियोजना पर काम शुरू ही नहीं हो सका क्योंकि इसके लिए 1,030 एकड़ भूमि की दरकार है। पश्चिम बंगाल विद्युत विकास निगम (डब्लूबीपीडीसीएल) इसके लिए 575 एकड़ भूमि अधिगृहीत कर चुकी है।कंपनी 1030 एकड़ जमीन पर ही परियोजना को आकार देने के लिए वाम जमाने में तैयार हो गयी।वाम जमाने में ही 575 एकड़ जमीन का अधिग्रहण हो गया. लेकिन इसी बीच वाममोर्चा शासन का अवसान हो गया। नयी सरकार के सत्ता में आते ही कटवा ताप बिजलीघर के लिए जमीन  अधिग्रहण बंद हो गया।


बिचौलियों का खेल


अब एनटीपीसी के मुताबिक 16000 मेगावाट की परियोजना के लिए 550 एकड़ भूमि पर्याप्त नहीं है, क्योंकि राख निस्तारण तालाब और कालोनी के लिए भी उसे भूमि की दरकार होगी। एनटीपीसी ने पहली बार किसानों से सीधे जमीन खरीदने की पहल की, लेकिन बिचौलियों के खेल और किसानों की ओर से ऊंची कीमत बताने के कारण उसने ऐसी कोशिश टाल दी। कठिनाई को ध्यान में रखते हुए कंपनी ने राज्य ऊर्जा विभाग से परियोजना के लिए भूमि अधिग्रहण का आग्रह किया। राज्य की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के औद्योगिक परियोजनाओं के लिए भूमि अधिग्रहण के खिलाफ फैसला लेने के कारण कंपनी के आग्रह पर कोई ध्यान नहीं दिया गया। कंपनी ने अधिगृहित भूमि के आकार के हिसाब से कम क्षमता का प्लांट लगाने की संभावना पर भी विचार करने पर सहमति जताई है, लेकिन कटवा परियोजना के स्थानांतरण की संभावना से इनकार किया है।


कोयले की भी समस्या


जमीन की ही समस्या कोई अकेली उलझन नहीं है कटवा परियोजना के लिए।बहरहाल इस परियोजना के सामने कोल लिंकेज को लेकर एक नया संकट भी है।इस प्रस्तावित संयंत्र के लिए सालाना 75 लाख टन कोयले की जरूरत होगी। कोयला आसनसोल के धामागड़िया खान से आने वाला था। राज्य सरकार ने हाल में यह कोयला खान वापस कर दी है। अब कोयला अन्यत्र कहां से लिया जाये, इस पर बातचीत होनी है।


आद्रा परियोजना में भी संकट


कटवा में ही नहीं,आद्रा में भी रेलवे के साथ संयुक्त उपक्रम बतौर प्रस्तावित तापविद्युत परियोजना में भी कोयला आपूर्ति की समस्या है। एनटीपीसी चैयरमैन का कहना है कि इस सिलसिले में रेलवे मंत्रालय को कोयलांत्रक से बात करके पहले कोयला आपूर्ति सुनिश्चित करनी होगी।



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