BAMCEF UNIFICATION CONFERENCE 7

Published on 10 Mar 2013 ALL INDIA BAMCEF UNIFICATION CONFERENCE HELD AT Dr.B. R. AMBEDKAR BHAVAN,DADAR,MUMBAI ON 2ND AND 3RD MARCH 2013. Mr.PALASH BISWAS (JOURNALIST -KOLKATA) DELIVERING HER SPEECH. http://www.youtube.com/watch?v=oLL-n6MrcoM http://youtu.be/oLL-n6MrcoM

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Tuesday, May 26, 2015

और अब स्थानीय मिडिया और "बाहरी मिडिया के नाम से सलवा जुडूम


और अब स्थानीय मिडिया और "बाहरी मिडिया के नाम से सलवा जुडूम
"शिव राम प्रसाद को लगता है कि उसके सारे पत्ते उजागर होने के बाद भी अब भी उनका खेल बस्तर में चलेगा , यह उनकी मुर्खता है | उनके नेतृत्व में बाहरी फ़ोर्स ने यहाँ के आदिवासियों पर जो कहर ढाया है वह सब कुछ अब उजागर हो गया है | उनके नकली आत्म समर्पण पालिसी की भी पोल खुल चुकी है | फर्जी मुठभेड़ों पर उपन्यास लिखा जा रहा है | बिना पोस्ट मार्टम के जंगलों में दफना और जला दिए गए लाशों के नाम खोजे जा रहें हैं , निरीह आदिवासियों के जला दिए गए घरों की गिनती होनी शुरू हो चुकी है | तीन हजार से ज्यादा जेल में बंद निर्दोषों पर और न्यायालयीन प्रक्रिया में उलझे लाखों आदिवासियों के भतार के आक्रोश की माप हो रही है , और गोदावरी और सबरी के पार भगा दिए गए लाखों आदिवासियों की खोज बीन शुरू हो रही है तब रायपुर से प्रकाशित मुख्यधारा के अधिकाँश हिंदी मिडिया को सरकार के " धन सहयोग " से अपने पक्ष में चाटुकारिता के लिए कुत्ते सा हाल करने में सफल होने पर रावण सा नंगा नाच कर रहे इस "कल्लू मामा "ने अब नया गेम खेलने की कोशिश की ताकि राष्ट्रीय और अन्तराष्ट्रीय मीडिया में खुल रहे उनके खूनी खेल के पृष्ठों पर रोक लगाया जाए | कल्लू मामा अब स्थानीय मिडिया और "बाहरी मिडिया के नाम से सलवा जुडूम "चलाना चाह रहें हैं | बस्तर के पत्रकार साथी ध्यान दें , सच खोजने और बताने का नाम पत्रकारिता है , इसके लिए कोई इलाका तय नही होता | पत्रकारिता की आड़ में केवल " भडुवा गिरी का ईलाका तय होता है "
-साथियों युद्ध का इतिहास , मानव सभ्यता के शुरुवात से है | हर समय ताकतवरों द्वारा कमजोरों को दबाने के लिए , अपना गुलाम बनाए रखने के लिए , हर प्रकार की सत्ता के लिए , जमीन के लिए , जंगल के लिए , जल के लिए युद्ध होते रहें हैं | मामा चाहे कंस हो या शकुनि हो याकि कल्लू हो , हर समय मामा होते आयें हैं | हमारा काम सच्चाई को सामने लाने का है , इसी सच्चाई से ही ईतिहास की सही बुनियाद बनेगी | अब- तक का इतिहास सत्ता पक्ष के चाटुकारों द्वारा बनाया गया है i भड़वों से इतिहास लिखाने की परम्परा पहले ख़त्म करनी होगी , तब बहुसंख्यक शोषित वर्ग का सम्मान लौटेगा और वह मजबूती से मुट्ठीभर शोषकों के खिलाफ उठ खड़ा होगा | अब तक हुए युद्धों के इतिहास में इसीलिए कमजोर पक्ष पराजित होते रहा , क्योंकि इतिहास गलत रहा , और बहुसंख्यक कमजोर पक्ष हमेशा इतिहास के भ्रमजाल में फंसकर आपस में ही उलझते रहा | सचाई यह भी कि हमेशा जनता को ही जनता के खिलाफ खड़ाकर अब-तक का परिणाम मुट्ठी भर बड़े लोगों के पक्ष में होते आया |
इन सारी बातों के बाद भी बस्तर के उन कलमकारों को जो सच्चाई उजागर करने के लिए अब भी पूरी निडरता के साथ और अपने बिके हुए संस्थानों के दबाव के बावजूद अपनी जान और रोजी-रोटी की कीमत पर सच्चाई सामने लाने के लिए डटें हुए हैं -- मेरा सलाम !! साथ ही देश और देश से बाहर पूरी दुनिया के पत्रकारों और लेखकों को मै सलाम करता हूँ , जो सचाई जानने और बताने के ईमानदार प्रयास में लगे हुए हैं | उनके इस प्रयास में अप्रत्यक्ष ही सही बस्तर के उन गुमनाम साथियों को भी सलाम जो उनके लिए गाईड और पथ-प्रदर्शक का काम कर रहें हैं और कल्लू मामा के निशाने पर आ गए हैं |मगर इस सच्चाई के साथ कि सच के लिए " भीतर " तो घुसना होगा , केवल बाहर से झांककर सच की गहराई नापी नहीं जा सकती | सच को भीतर से बाहर लाने के प्रयास को रोकने की हर " कल्लुरियत " ( जैसे धोखे के लिए जयचंदी ) कोशिश असफल साबित होगी इस आशा के साथ | http://ghotul.blogspot.in/2015/05/blog-post_27.html


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