BAMCEF UNIFICATION CONFERENCE 7

Published on 10 Mar 2013 ALL INDIA BAMCEF UNIFICATION CONFERENCE HELD AT Dr.B. R. AMBEDKAR BHAVAN,DADAR,MUMBAI ON 2ND AND 3RD MARCH 2013. Mr.PALASH BISWAS (JOURNALIST -KOLKATA) DELIVERING HER SPEECH. http://www.youtube.com/watch?v=oLL-n6MrcoM http://youtu.be/oLL-n6MrcoM

Welcome

Website counter
website hit counter
website hit counters

Monday, May 13, 2013

शारदा भंडापोड़ मामले में अब सेबी कटघरे में!

शारदा भंडापोड़ मामले में अब सेबी कटघरे में!


एक्सकैलिबर स्टीवेंस विश्वास​


मामता बनर्जी शारदा कांड के भंडापोड़ के लिए लगातार केंद्र सरकार और केंद्रीय एजंसियों को जिम्मदार बता रही हैं। अब सचमुच सेबी कटघरे में​​ है।गैरकानूनी वित्तीय संस्थानों की पोंजी स्कीम के तहत देश भर में आम लोगों को ठगे जाने के मामले में लोकसभा की वित्तीय मामलों से संबंधित स्थाई समिति जांच करने जा रही है। देश में ऐसी एक दो नहीं बल्कि पांच सौ से ज्यादा धोखेबाज कंपनियां पोंजी स्कीमें चला रही हैं। पहले चरण में वित्त मंत्रालय और कंपना मामलों के मंत्रालट के अधिकारियों की १७ मई को दिल्ली में सुनवाई होनी है।इसके बाद  २४ मई को दूसरे चरण की बैठक में सेबी और रिजर्व बैंक के अधिकारियों की पेशी होगी।इसी बीच उच्चतम न्यायालय ने बाजार नियामक सेबी से कहा है कि देश में बाजार व्यवस्था का दुरपयोग बर्दाश्त नहीं करने का स्पष्ट संदेश देने के लिये जोड़ तोड़ और भ्रामक आचरण में लिप्त कंपनियों से सख्ती से निपटा जाये। आरबीआई ने कहा है कि पश्चिम बंगाल के घोटाले को चिटफंड घोटाला कहा जाना गलत है, क्योंकि चिटफंड एक वैध गतिविधि है, जिसका नियंत्र आरबीआई करता है। सुब्बाराव ने कहा, ""पश्चिम बंगाल में जो हुआ वह एक सामूहिक निवेश घोटाला है, जिसका नियंत्रण भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) करता है।  सेबी इस मामले को देख रहा है।""


अनेक अन्य शृंखलाबद्घ ढंग से जमा एकत्रित करने वाली कंपनियों की तर्ज पर सारदा को भी जमाकर्ताओं से पैसे एकत्रित करने की आजादी मिली हुई  है। यह बात भारतीय रिजर्व बैंक (देश का बैंकिंग नियामक), भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी जो निवेश योजनाओं का नियमन करता है), अनेक राज्य सरकारों और केंद्र सरकार के लिए कतई चिंता का विषय नहीं है जबकि ये प्राइज चिट्स ऐंड मनी सर्कुलेशन स्कीम्स (बैनिंग) ऐक्ट, 1978 के तहत कार्रवाई कर सकती हैं। शारदा  दरअसल पोन्जी योजना निकल गई लेकिन हमारे देश में एक खास आकार की किसी भी कंपनी को जनता से पैसे जुटाने की छूट हासिल है। गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनियां (एनबीएफसी), रिजिड्यूरी एनबीएफसी चिट फंड, ज्वैलर्स, सभी प्रकार की विनिर्माण अथवा सेवा कंपनियों को जनता से सीधे धन जुटाने की सुविधा मुहैया है। सन 1990 के दशक में लीजिंग कंपनियों, वृक्षारोपण कंपनियों और विनिर्माण कंपनियों के हाथों करोड़ों रुपये गंवाने पड़े और जनता से धन उगाही का यह सिलसिला लगातार चलता रहा।अब केंद्र सरकार देश भर में चल रही पोंजी स्कीमों की जानकारी जुटा रही है। इन सूचनाओं को केंद्र सरकार द्वारा इस मसले पर गठित अंतर-मंत्रालयी समूह [आइएमजी] की बैठक में पेश किया जाएगा। समूह की पहली बैठक गुरूवार को होने वाली है। आइएमजी से जुड़े सूत्रों ने बताया कि मोटे तौर पर पांच सौ पोंजी स्कीमों के बारे में सूचना है। इस बात की संभावना से इन्कार नहीं किया जा सकता कि इस तरह की स्कीम चलाने वाली अन्य सैकड़ों कंपनियों के बारे में सरकार को कोई जानकारी न हो। मौजूदा नियमों के मुताबिक आम जनता से पैसा जुटाने वाली कंपनियों को सेबी से मंजूरी लेना और पंजीयन करवाना जरूरी है लेकिन अभी तक सेबी से सिर्फ एक ही कंपनी ने पंजीयन करवाया हुआ है।


सेबी को ज्यादा अधिकार देने की तैयारियों और चिटफंड कंपनियों के खिलाफ सेबी की कार्रवाई के बीच सेबी के ही कटघरे में आ जाना दिलचस्प है। गौरतलब है कि अब सेबी से लाइसेंस लिए बगैर मल्टी लेवल मार्केटिंग स्कीम चलाने या कलेक्टिव इंवेस्टमेंट स्कीम लॉन्च करने पर 10 साल तक की कैद हो सकती है। शारदा  घोटाला उजागर होने के बाद सरकार ऐसे ही कुछ सख्त कानून लाने जा रही है ताकि निवेशकों से पैसे ऐंठने के धंधे पर रोक लग सके।इसके लिए केंद्र सरकार प्राइज चिट एंड मनी सर्कुलेशन स्कीम बैनिंग एक्ट में बड़े पैमाने पर फेरबदल करने जा रही है। मल्टी लेवल मार्केटिंग स्कीम और कलेक्टिव इंवेस्टमेंट स्कीम को सेबी के दायरे में लाया जाएगा और इनके लिए सेबी से लाइसेंस लेना जरूरी होगा।बदलावों के बाद गुड्स और सर्विसेज की डायरेक्ट मार्केटिंग मल्टी लेवल मार्केटिंग मानी जाएगी। कलेक्टिव इन्वेस्टमेंट स्कीम के लिए भी सेबी का लाइसेंस जरूरी होगा। सदस्यों के जरिए निवेशक बनाए जाने वाली स्कीमों को कलेक्टिव स्कीम माना जाएगा। बिना लाइसेंस के कारोबार करने पर 10 साल तक की कैद के साथ-साथ कुल निवेश रकम का दोगुना जुर्माना लगाया जाएगा।इसके अलावा सीरियस फ्रॉड इंवेस्टिगेशन ऑफिस (एसएफआईओ) को ज्यादा अधिकार दिए जाएंगे। एसएफआईओ को मल्टी लेवल मार्केटिंग स्कीम और कलेक्टिव इंवेस्टमेंट स्कीम की छानबीन और पुलिस के साथ तालमेल की जिम्मेदारी सौंपी जाएगी।


विभिन्न सरकारी एजेंसियों को पोंजी स्कीमों के बारे में एक लाख से ज्यादा शिकायतें मिल चुकी हैं। बहुत ही कम मामलों में इन ऐसी कंपनियों के खिलाफ कार्रवाई की गई है। कुछ मामलों में ऐसी स्कीम चलाने वाली कंपनियों के मालिक पकड़े गये हैं और उनकी संपत्तियां भी जब्त की गई हैं। हालांकि अदालती निर्देश के बाद भी संपत्तियों की बिक्री कर निवेशकों का पैसा लौटाना संभव नहीं हो पा रहा है। पश्चिम बंगाल में एक मामले में सरकार के निर्देश के 25 वर्ष बाद भी पोंजी कंपनी की परिसंपत्तियों को नहीं बेचा जा सका है।


No comments:

Related Posts Plugin for WordPress, Blogger...