BAMCEF UNIFICATION CONFERENCE 7

Published on 10 Mar 2013 ALL INDIA BAMCEF UNIFICATION CONFERENCE HELD AT Dr.B. R. AMBEDKAR BHAVAN,DADAR,MUMBAI ON 2ND AND 3RD MARCH 2013. Mr.PALASH BISWAS (JOURNALIST -KOLKATA) DELIVERING HER SPEECH. http://www.youtube.com/watch?v=oLL-n6MrcoM http://youtu.be/oLL-n6MrcoM

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Monday, May 13, 2013

श्रम विभाग फिर नाकारा साबित हुआ!

श्रम विभाग फिर नाकारा साबित हुआ!


एक्सकैलिबर स्टीवेंस विश्वास​


एक और जूट मिल बंद हो गयी। जूट उद्योग को संकट से निकालने की कोशिस हो नहीं रही है और न श्रम विभाग श्रमिक असंतोष को दूक करने में कुछ कर रहा है।पश्चिम बंगाल का श्रम विभाग फिर नाकारा साबित हुआ और टीटागढ़ में नेशनल जूट टैक्सटाइल मिल अचानक बंद हो गयी। श्रमिक असंतोष दूर करने में श्रम विभाग की कोई भूमिका नही रह गयी है।मिल बंद होने की वजह अभी खुली नहीं है और न ही राज्य सरकार की ओर से किसी हस्तक्षप की सूचना है।


जूट उद्योग पहले ही मांग कम होने से और सरकारी सहयोग के अभाव से संकट में है। जंगी मजदूर आंदोलन का सिलसिला बंद हुआ नहीं है। बंद पड़ी मिलें चालू करने के लिए कोई पहल नहीं हो रही है। त्रिपक्षीय बैठकें अब महज रस्म अदायगी है। जबकि हालत यह है कि पश्चिम बंगाल का खस्ताहाल जूट उद्योग को अब अनिश्चितकालीन हड़ताल की समस्या से भी जूझना पड़ सकता है। 20 जूट ट्रेड यूनियनों ने 49 सूत्री चार्टर सौंपा है, जिसके तहत श्रमिकों की न्यूनतम मजदूरी रोजाना 206 रुपये से 118 फीसदी बढ़ाकर 450 रुपये करने की मांग की गई है।इस उद्योग के अनुमानों के मुताबिक यदि यह मांग मान ली जाती है तो जूट उद्योग को सालाना तकरीबन 1,260 करोड़ रुपये का खर्च करना पड़ेगा। इसकी वजह से जूट की बोरियों की उत्पादन लागत 34.44 रुपये बढ़कर 9,840 रुपये प्रति टन हो जाएगी।


जूट  उद्योग के सूत्रों ने बताया कि ट्रेड यूनियनों की मांग के मुताबिक उन्हें श्रमिकों को हर महीने 17,810 रुपये की मजदूरी देनी पड़ेगी, जबकि फिलहाल उन्हें 11,414 रुपये का मासिक भुगतान किया जाता है। इसमें मूल वेतन और महंगाई भत्ता के अलावा सभी नौ सांविधिक लाभ एवं भत्ते शामिल हैं।लेकिन हकीकत यह भी है कि जूट मिलों के श्रमिकों को सबसे कम वेतन-भत्ते दिए जाते हैं। सन 1963 के बाद से तकरीबन आधी सदी तक ऐसी मिलों के कर्मचारियों वेतन ग्रेडों और स्केल में संशोधन नहीं किया गया है।राज्य का जूट उद्योग सालाना लगभग 12.8 लाख टन जूट की बोरियों का उत्पादन करता है। ऐसी बोरियों में चीनी और खाद्यान्न रखे जाते हैं। जूट की एक टन बोरियां तैयार करने के लिए करीब 20 मजदूरों की जरूरत होती है। प्रदेश की 54 चालू जूट मिलों में फिलहाल तकरीबन 2.5 लाख श्रमिक काम करते हैं।


वर्ष 2010 में केंद्रीय वित्त मंत्रालय की एक वित्त उप-समिति ने अपनी रिपोर्ट में कहा था कि वर्ष 2005 से लेकर 2009 के बीच जूट मिल मालिकों की संपत्ति में 356 फीसदी का इजाफा हुआ और 20 मिलों ने 67 फीसदी से ज्यादा शुद्घ मुनाफा कमाया। लेकिन आज की तरीख तक जूट मिलों ने इन समिति की रिपोर्ट को स्वीकार नहीं किया है।



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