BAMCEF UNIFICATION CONFERENCE 7

Published on 10 Mar 2013 ALL INDIA BAMCEF UNIFICATION CONFERENCE HELD AT Dr.B. R. AMBEDKAR BHAVAN,DADAR,MUMBAI ON 2ND AND 3RD MARCH 2013. Mr.PALASH BISWAS (JOURNALIST -KOLKATA) DELIVERING HER SPEECH. http://www.youtube.com/watch?v=oLL-n6MrcoM http://youtu.be/oLL-n6MrcoM

Welcome

Website counter
website hit counter
website hit counters

Sunday, May 12, 2013

एक शेर की मौत पर अदालत तुरन्त संज्ञान लेती है लेकिन दलितों की हत्या पर नहीं

एक शेर की मौत पर अदालत तुरन्त संज्ञान लेती है लेकिन दलितों की हत्या पर नहीं


क्रान्तिकारी भूमि सुधार के बिना जाति उत्पीड़न का  अन्त सम्भव नहीं है'

सरकारें प्रगतिशील कानून बनाती तो हैं लेकिन इन्हे लागू नहीं करना चाहती।

एक शेर की मौत पर अदालत तुरन्त संज्ञान लेती है लेकिन दलितों की हत्या पर नहीं

 नई दिल्ली। 'क्रान्तिकारी भूमि सुधार के बिना जाति उत्पीड़न का अन्त सम्भव नहीं है।' उक्त आशय के विचार जाति उन्मूलन आन्दोलन के संयोजक जे.पी. नरेला ने शुक्रवार (10 मई 2013) को एक सम्मेलन में प्रस्तुत किये। विगत 13 अप्रेल 2013 को हरियाणा के पबनावा गाँव की एक दलित बस्ती पर गाँव के दबंगों द्वारा किये गये सुनियोजित हमले के विरोध में सम्मेलन का आयोजन किया गया था।

हमले बाद जाँच के लिये गाँव पहुंचे जाँच दल की रिपोर्ट के हवाले से जे.पी. नरेला ने बताया कि, गाँव के 21 वर्षीय दलित युवक सूर्यकान्त और सवर्ण जाति की युवती मीना सिंह के प्रम विवाह से खफा दबंग जाति के 600 लोगों ने रात नौ बजे दलित बस्ती पर हमला कर दिया और करीब 125 मकानों के दरबाजे तोड़ दिये। साथ ही, घर के भीतर रखे टीवी, फ्रिज एवम् अन्य समानों को तोड़ डाला। उन्होंने बताया कि हमले की आशंका के मद्देनजर पुलिस को बार- बार ख़बर करने के बावजूद पुलिस ने हमले को रोकने का कोई प्रयास नहीं किया।

श्री नरेला ने बताया कि हरियाणा में दलितों पर हमले की यह पहली घटना नहीं है और यहाँ आये दिन दलित उत्पीड़न की रिपोर्ट आती रहती हैं। ऐसे में प्रशासन का मूक बने रहना यह साबित करता है कि सरकार दलितों के प्रति होने वाले उत्पीड़न को जारी रहने देना चाहती है। उन्होंने बताया कि, भले ही संविधान में दलितों को सवर्णों जितने ही अधिकार प्राप्त हैं लेकिन हरियाणा की सरकार दलितों को उनके अधिकारों से वंचित रखना चाहती है।

कार्यक्रम में उपस्थित विकल्प संगठन के दिगंबर ने जानकारी देते हुये बताया कि, हरियाणा में सामन्ती और मध्ययुगीन बर्बर खाप पंचायत का बोलबाला है और यहाँ पिछले दिनों में प्रेम विवाह के विरोध में फतवे जारी करने और ताकत के दम पर इन्हे लागू कराने की घटनाओं में इजाफा हुआ है। उन्होंने कहा कि दलितों पर जातिगत हमले देश के संविधान और लोकतन्त्र का खुला मजाक है और हरियाणा के शासन-प्रशासन पर दबंग जातियों के वर्चस्व का खुला इजहार है।

नागरिक अधिकार कार्यकर्ता एन.डी. पंचोली ने इस अवसर पर कहा कि, हमारे संविधान में यह है कि भारत में कानून का शासन है लेकिन आजादी के इतने वर्षों बाद भी लगातार सामने आ रही पबनावा जैसी घटनायें चिन्तनीय हैं। यह बहुत अफसोस की बात है कि मानव अधिकारों की बात करने वाले तामम संगठन इन मामलों में खामोश हैं। उन्होंने कहा कि, एक शेर की मौत पर अदालत तुरन्त संज्ञान लेते हुये नोटिस जारी कर देती है लेकिन दलितों पर हो रहे अत्याचार की तमाम घटनाओं के बावजूद अदालत ने अब तक इन मामलों में कोई दिलचस्पी नहीं दिखायी है!

दिल्ली विश्वविद्यालय के राजनीति शास्त्र के अध्यापक सरोज गिरी ने कहा कि, दलितों और अन्य उत्पीड़ित जातियों की मुक्ति की पहली शर्त क्रान्तिकारी भूमि सुधार ही है। बिना इसे लागू किये, मुक्ति की बात करना धोखेबाजी से अधिक कुछ नहीं है और मुक्ति आन्दोलन में लगे सभी लोगों को इस सम्बंध में गम्भीर प्रयास करने की आवश्यकता है।

13 अप्रेल 2013 को हरियाणा के पबनावा गाँव की एक दलित बस्ती पर गाँव के दबंगों द्वारा किये गये सुनियोजित हमले के विरोध में सम्मेलनदिल्ली विश्वविद्यालय के कुमार संजय सिंह के अनुसार, ऐसी घटनाओं की ज्यादातर जानकारी लोगों तक नहीं पहुँच पाती है और ऐसे में जाति उन्मूलन आन्दोलन का यह प्रयास बहुत सराहनीय है। उन्होंने कहा कि, हमारे देश में अजब विडम्बना है किप्रगतिशील सभी कानून या कार्यक्रम लागू नहीं हो पाते और तमाम अफस्पा,मकोका और अन्य काले कानून पूरी तरह लागू हैं। इससे यह तो साफ है कि सरकारें प्रगतिशील कानून बनाती तो हैं लेकिन इन्हें लागू नहीं करना चाहती।

कार्यक्रम में पीयूसीएल के राष्ट्रीय सचिव और इंसाफ के सचिव चितरंजन सिंह ने बताया कि, क्रान्तिकारी भूमि सुधार उत्पीड़न से मुक्ति का सबसे कारगार हथियार है लेकिन अफसोस की बात है कि हमारे देश की वाम पार्टियों के ऐजेण्डे से भूमि सुधार गायब हो गया है।

एनडीपीआई के अरुण मांझी ने कहा कि, जब से जाति व्यवस्था आरम्भ हुयी है तभी से दलित और अन्य निचली जातियों को निशस्त्र रखा गया है। यह अनुभव सिद्ध बात है कि जहाँ भी उत्पीड़ित जातियाँ सशस्त्र हुयी हैं वहाँ उत्पीड़न खत्म हो गया है।

सीपीआई एमएल (रेड स्टार) के बृज बिहारी ने कहा कि, दलितों की मुक्ति पूंजीवाद के विकास में नहीं बल्कि समाजवाद की स्थापना से ही सम्भव है। उन्होंने कहा कि जो लोग साम्राज्यवाद में दलितों की मुक्ति तलाश रहे वे दलितों के सबसे बड़े दुश्मन हैं।

नॉर्थ एवेन्यू एम.पी. कल्ब में आयोजित इस कन्वेंशन में पबनावा गाँव के पीड़ित समुदाय के प्रतिनिधयों ने भी भाग लिया। साथ ही, क्रान्तिकारी लोक अधिकार संगठन के कमलेश, पंजाब के राजनीतिक कार्यकर्ता नरवेंदर सिंह, करनाल हरियाणा के कर्नेल सिंह, पानीपत के सामाजिक कार्यकर्ता दिनेश, जाति विरोधी संगठन के हेमन्त और वेबसाइट संहती के असित ने भी अपनी बात रखी।

No comments:

Related Posts Plugin for WordPress, Blogger...