BAMCEF UNIFICATION CONFERENCE 7

Published on 10 Mar 2013 ALL INDIA BAMCEF UNIFICATION CONFERENCE HELD AT Dr.B. R. AMBEDKAR BHAVAN,DADAR,MUMBAI ON 2ND AND 3RD MARCH 2013. Mr.PALASH BISWAS (JOURNALIST -KOLKATA) DELIVERING HER SPEECH. http://www.youtube.com/watch?v=oLL-n6MrcoM http://youtu.be/oLL-n6MrcoM

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Sunday, May 12, 2013

डकैत, उमरा और विद्रोही: पहली किस्त

डकैत, उमरा और विद्रोही: पहली किस्त




सन 1877 में देश की बाकी जनता को ऐसे संकेत दिए गए:- कालों को वापस अपनी जगह लौटा दिया जाएगा, गोरे मजदूरों की हड़तालें सही नहीं जाएँगी; उत्तर-दक्षिण के औद्योगिक व राजनैतिक रूप से संपन्न वर्ग देश को अपने हाथों में लेंगे और वे मानव इतिहास में आर्थिक वृद्धि की सबसे बड़ी यात्रा आयोजित करेंगे। इसके लिए काले, गोरे, चीनी श्रमिकों, यूरोपी आप्रवासियों और स्त्री श्रमिकों की मदद ली जाएगी और उनका शोषण भी किया जाएगा और लोगों को नस्ल, लिंग, राष्ट्रीय मूल और सामाजिक वर्ग के आधार पर अलग अलग कीमत चुकाई जाएगी, ताकि अत्याचार की अलग अलग तहें बनाई जा सकें – धन पहाड़ बनाए रखने की यह एक धूर्त चाल थी।

गृहयुद्ध के समय से (1861-65) से 1900 तक भाप और बिजली ने इंसानी नसों की जगह ले ली थी। लकड़ी की जगह लोहे ने और लोहे की जगह इस्पात ने (बेसेमर रासायनिक प्रक्रिया के ईजाद होने से पहले लोहे की इस्पात में ढलाई की दर प्रति दिन 3 से 5 टन थी, अब यही मात्रा 15 मिनटों में ढाली जा सकती थी)। मशीनों से इस्पाती औजार चलाए जा रहे थे। तेल के उपयोग से मशीनें लचीली रखी जातीं और घर, सड़कों, मिलों, में रोशनी भी जलती। लोग और सामान रेलगाड़ियों से जाते, जो वाष्पचालित थीं और इस्पात की लाइनों पर चलतीं। 1900 तक 1,93,000 मील लंबी लाइनें बिछ गई थीं। टेलीफोन, टाइपराटर और जोड़-घटाव की मशीनों से व्यापार की गति बढ़ी।

मशीनों से खेतीबाड़ी भी बदली। गृहयुद्ध के पहले एक एकड़ ज़मीन पर गेहूँ पैदा करने के लिए 61 घंटों की मेहनत लगती थी। सन 1900 तक यही काम 3 घंटे 19 मिनट में पूरा होने लगा। बर्फ के निर्माण से लंबी दूरी तक खाने का सामान ले जाना संभव हुआ और बंद लिफाफों या डिब्बों में मांस का व्यापार शुरु हुआ।


सूती मिलों के करघे भाप से चलते। सिलाई की मशीनें भाप से चलीं। भाप कोयले से बनी। कोयले के लिए अब न्यूमेटिक ड्रिल द्वारा अधिक गहराई तक ज़मीन खोदी गई। 1860 में खदानों से 1 करोड़ 40 लाख टन कोयला निकाला गया था; 1884 तक यही बढ़कर 10 करोड़ टन हो गया। अधिक कोयले से अधिक इस्पात बना। चूंकि कोयले की भट्ठियों में लोहे से इस्पात बनाया गया। 1800 तक दस लाख टन इस्पात बन रहा था; 1910 तक ढाई करोड़ टन। अब भाप की जगह बिजली ने लेनी शुरु कर दी थी। बिजली की तार के लिए तांबे की जरुरत थी। 1800 में यह 30,000 टन की मात्रा में तैयार किया गया; 1910 तक 500,000 टन की मात्रा में।

यह सब कर पाने के लिए नई प्रक्रियाओं और नई मशीनों के मेधावी खोजदानों, नई व्यापार संस्थाओं के कुशल व्यवस्थापकों और प्रशासकों, ज़मीन और खनिज से भरपूर देश और अस्वास्थ्यकर, खतरनाक और पीठतोड़ू काम करने के लिए बड़ी तादाद में इंसानों की ज़रूरत थी। यूरोप और चीन से आ रहे आप्रवासियों से नया मजदूर वर्ग बनना था। नई मशीनें खरीदने और रेल के नए किराए दे पाने में अक्षम किसानों को शहर में आ बसना पड़ा। 1860 से 1914 तक न्यूयार्क शहर की जनसंख्या 850,000 से बढ़कर 40 लाख, शिकागो की 110,000 से 20 लाख और फिलाडेल्फिया की 650,000 से बढ़कर 15 लाख हो गई।

बिजली के यंत्र आविष्कार करने वाले थामस एडीसन जैसे कुछेक आविष्कारक खुद ही व्यवसायों के व्यस्थापक बन गए। गुस्टावस स्विफ्ट सरीखे अन्य व्यापारियों ने दूसरों के आविष्कार इकट्ठे किए। उसने बर्फ से ठंडी की जाने वाली रेलगाड़ी को बर्फ से ही ठंडे रखे गोदाम के साथ जोड़कर डिब्बों में मांस पैक करने वाली पहली राष्ट्र्व्यापी कंपनी सन 1885 में बनाई। इस के निर्माता जेम्स ड्यूक ने सिगरेट की पन्नी मोड़ने वाली पहली मशीन बनाई, जो काग़ज मोड़कर, उनपर गोंद लगाकर और तंबाकू के छोटे टुकड़े डालकर प्रतिदिन 1 लाख सिगरेट बना सकती थी। 1890 में उसने चार सबसे बड़े सिगरेट निर्माताओं को मिलाकर अमेरिकन तंबाकू कंपनी बनाई।

हालांकि कुछेक लखपतियों ने गरीबी से शुरुआत की, अधिकांश ऐसे न थे। 1870 के बाद के दशक की 303 सूती मिलों, रेल-रोड और इस्पात उद्योग के अधिकारियों की मूल-पृष्ठभूमि पर अध्ययन से पाया गया कि इनमें से 90 प्रतिशत मध्य या उच्च-वर्ग परिवारों से आए थे। होराशियो ऐल्जर की "रैग्स टू रिचेस (चीथड़ों से संपन्नता तक)" की कहानियाँ कुछ ही लोगों के लिए सच और अधिकतर किंवदंतियाँ मात्र थीं, ऐसी किंवदंतियाँ जो लोगों पर नियंत्रण के लिए काम आती थीं।

धन इकट्ठा करने के अधिकतर तरीके सरकार और अदालतों के सहयोग से बनाए और कानूनन सही तरीके थे। कभी-कभार इस मिलीभगत की कीमत चुकानी पड़ती थी। थामस एडीसन ने न्यू जर्सी राज्य के हर राजनीतिज्ञ को अपने पक्ष में कानून बनाने के एवज में एक हजार डालर देने का वादा किया। डैनिएल ड्रू और जे गूल्ड ने न्यूयार्क राज्य विधान सभा सदस्यों पर ईरी रेलरोड (कंपनी) में निवेशित उनके 80 लाख डालर के "गीले स्टाक" (ऐसे स्टाक जो सही कीमत न दर्शाते हों) को कानूनन वैध ठहराने के एवज में 10 लाख डालर रिश्वत पर खर्च किए।

यूनियन पैसिफिक (संघीय प्रशांत) और सेंट्रल पैसिफिक (मध्य-प्रशांत) रेल कंपनियों को मिलाकर, खून-पसीने, राजनीति और लूट से पहली महादेशव्यापी रेल कंपनी बनी। सेंट्रल पैसिफिक पश्चिमी समुद्रतट से शुरु होकर पूर्व की ओर चली थी; इसने 90 लाख एकड़ की मुफ्त ज़मीन और 2 करोड़ 40 लाख डालर के बांड पाने के लिए वाशिंगटन में (सरकार में अधिकारियों को – अनु. ) 2 लाख डालर की रिश्वत दी और 3 करोड़ 60 लाख डालरों के अतिरिक्त भुगतान के साथ एक निर्माण (कंस्ट्रक्शन) कंपनी को 7 करोड़ 90 लाख डालर दिए, जो कि दरअसल इसकी अपनी ही कंपनी थी। तीन हजार आयरिश और दस हजार चीनियों ने चार साल तक प्रति दिन एक या दो डालर के मेहनताने पर निर्माण का काम किया।
 

यूनियन पैसिफिक ने नेब्रास्का राज्य से शुरुआत की और यह पश्चिम की ओर बढ़ी। इसे 1 करोड़ 20 लाख एकड़ मुफ्त ज़मीन और 2 करोड़ 70 लाख डालर के बांड दिए गए। इसने क्रेडिट मोबिलायर नामक कंपनी बनाई और उसे निर्माण-कार्य के लिए 9 करोड़ 40 लाख डालर दिए, जबकि असल खर्च केवल 4 करोड़ 40 लाख डालर का ही था। जाँच रुकवाने के लिए सस्ते दरों में कांग्रेस सदस्यों को प्रतिभूतियां बेची गईं। कुदाल निर्माता और क्रेडिट मोबिलियर के निर्देशक मैसाचुसेट्स राज्य के कांग्रेस सदस्य ओम्स एम्स के सुझाव पर ऐसा किया गया। उसने कहा, "इसमें कोई कठिनाई नहीं आती कि लोग अपनी संपत्ति को बचाने का ध्यान रखें।" यूनियन पैसिफिक ने बीस हजार श्रमिकों का उपयोग किया- ये पुराने फौजी और आयरिश आप्रवासी थे, जिन्होंने प्रतिदिन 5 मील लंबी लाइनें बिछाईं और जो गर्मी, ठंडक और अपनी ज़मीन पर हो रहे हमले का विरोध कर रहे इंडियनों के साथ लड़ने से सैंकड़ों की संख्या में मारे गए।

बीच में आने वाले शहरों से भर्त्तूकी (सबसिडी) पाने के लिए दोंनों रेल-कंपनियों ने अधिक लंबी और टेढ़ी-मेढ़ी दिशाओं में लाइनें बिछाईं। 1869 में गाजे बाजे और भाषणों के बीच दोनों टेढ़ी लाइनें यूटा राज्य में आ मिलीं।

रेल-कंपनियों द्वारा अंधाधुध लूट की वजह से बैंक प्रबंधकों ने उन पर अधिक नियंत्रण रखा चूँकि उन्हें चोरी से नहीं, बल्कि कानूनी तरीकों से अधिक मुनाफा कमाना था, जिससे वे लंबे समय तक टिक सकें। 1890 के बाद के दशक में देश की अधिकतर रेलवे कंपनियाँ छह बड़ी संस्थाओं में शामिल थीं। इनमें से चार पूरी तरह या कुछ हद तक मार्गन व्यापार-घराने के हाथ थीं, और बाकी दो कून, लोएब और सहयोगी बैंक मालिकों के पास थीं।

जे.पी.मार्गन एक बैंक मालिक का बेटा था। गृह-युद्ध के पहले उसने अच्छी कमीशन पर रेल-कंपनियों के स्टाक बेचने शुरू किए। गृहयुद्ध के दौरान एक सैनिक अस्त्रागार से उसने साढ़े तीन डालर प्रति की दर से पाँच हजार राइफिलें खरीदीं और उन्हे 22 डालर प्रति की दर से एक जनरल को बेच दिया। ये राइफिलें खराब थीं और उनको चलानेवालों के अँगूठे उड़ जाते थे। कांग्रेस की एक कमेटी ने एक दुर्बोध्य रिपोर्ट में इसे छोटे अक्षरों में रेखांकित किया। पर एक संघीय न्यायाधीश ने इस सौदे को मान्य कानूनी सौदा घोषित किया।

मार्गन ने खुद के बदले किसी और को 300 डालर देकर गृहयुद्ध में भेजकर अनिवार्य सैनिक सेवा से छुट्टी पा ली थी। ऐसा ही जॉन डी राकेफेलर, ऐंड्रू कार्नेगी, फिलिप आर्मर, जे गूल्ड और जेम्स मेलन ने किया था। मेलन के पिता ने उसे लिखा था, "अपनी जान पर खतरा मोले या स्वास्थ्य की हानि किए बिना भी एक व्यक्ति देशभक्त हो सकता है। ऐसी बेशुमार ज़िंदगियां हैं, जिनकी कीमत तुम्हारे जीवन से कम है।"

ड्रेक्सल, मार्गन और सहयोगियों की कंपनी को ही संयुक्त राज्य सरकार द्वारा 26 करोड़ डालर बाज़ार मे निकालने के लिए ठेका दिया गया था। सरकार इन बांड्स को सीधे भी बेच सकती थी, पर उसने इन बैंक मालिकों को 50 करोड़ डालर कमीशन देने का निर्णय लिया।

2 जनवरी,1889 को गुस्तावस मायर्स ने लिखा:


… ड्रेक्सल, मार्गन और सहयोगी, ब्राउन बंधु और सहयोगी, और किडर, पीबाडी और सहयोगी इन तीन कंपनियों ने "निजी व गोपनीय" लिखा हुआ एक सर्कुलर जारी किआ। इस सर्कुलर को प्रेस में या लोगों तक पहुँचाने से रोकने को अत्यंत सवधानी बरती गई थी,.. यह डर क्यों? इसलिए कि उस सर्कुलर में … रेलकंपनियों के महाधनाढ्य मालिकों को मार्गन के घर, 219 मैडीसन एवीन्यू (न्यूयार्क शहर) पर, इकट्ठे होने को आमंत्रित किया गया था, जहाँ उन दिनों की भाषा में, एक लौह-वसन धारी जुट तैयार होना था… ऐसा गठबंधन जो कुछ और रेलकंपनियों की स्पर्धा को मिटा दे और आपस की समझ से उन हितों को इकट्ठा कर ऐसा समझौता लागू करे, जिससे संयुक्त राज्य की जनता का खून पहले से भी कहीं अधिक बहाया जा सके।

आर्थिक कुशलता की इस उत्तेजक कहानी की मानवीय कीमत थी। उस साल, 1889 के अंतर-राज्य व्यापार आयोग के आंकड़ों में में 22000 रेलरोड श्रमिकों को मृत या घायल दिखलाया गया था।

1895 में संयुक्त राज्य के स्वर्ण-मुद्रा संचय में कमी आई, जब कि न्यूयार्क शहर के छब्बीस बैंकों के संदूकों में 12 करोड़ 90 लाख डालर का सोना था। जे पी मार्गन व सहयोगी, आगस्ट बेलमांट व सहयोगी, राष्ट्रीय सिटी बैंक, और दूसरों की प्रधानगी में सरकार को बांड्स के विनिमय में सोना देने का प्रस्ताव आया। राष्ट्रपति ग्रोवर क्लीवलैंड ने इसो मान लिया। बैंक मालिकों ने तुरंत 1 करोड़ 80 लाख डालर के मुनाफे में फिर से बांड बेच दिए।

एक सांवादिक ने लिखा: "अगर गोमांस खरीदना हो तो कसाईखाने जाना पड़ता है… अगर मिस्टर क्लीवलैंड ज्यादा सोना चाहते हैं, तो उन्हें बड़े बैंक-मालिकों के पास जाना होगा।"

अपना मुनाफा कमाते हुए, मार्गन ने राष्ट्रीय अर्थ-व्यवस्था में तर्कसंगति और सुव्यवस्था लाई। उसने व्यवस्था को स्थाई रखा। उसने कहा: "हम ऐसे आर्थिक झटके नहीं चाहते, जिससे एक दिन एक बात हो और दूसरे दिन कुछ और।" उसने रेलकंपनियों को एक दूसरे से, फिर उन सब को बैंकों से और बैंकों को बीमा कंपनियों से जोड़ा। 1990 तक 100,000 मील रेलरोड पर उसका नियंत्रण था, जो कि देश की संपूर्ण लाइनों का आधा था।

मार्गन गुट के आधिपत्य में तीन बीमा कंपनियों के खातों में 1 अरब डालर की राशि थी। उनके पास साधारण लोगों द्वारा बीमा पालिसी के लिए दिए गए धन में 5 करोड़ डालर की राशि प्रति वर्ष निवेश के लिए उपलब्ध थी। अदर पीपुल्स मनी (दूसरे लोगों का पैसा) शीर्षक पुस्तक में लुईस ब्रैंडाइस (सुप्रीम कोर्ट न्यायाधीश बनने से पहले) ने लिखा: "वे लोगों पर उनके ही पैसों से नियंत्रण रखते हैं।"

जारी

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