BAMCEF UNIFICATION CONFERENCE 7

Published on 10 Mar 2013 ALL INDIA BAMCEF UNIFICATION CONFERENCE HELD AT Dr.B. R. AMBEDKAR BHAVAN,DADAR,MUMBAI ON 2ND AND 3RD MARCH 2013. Mr.PALASH BISWAS (JOURNALIST -KOLKATA) DELIVERING HER SPEECH. http://www.youtube.com/watch?v=oLL-n6MrcoM http://youtu.be/oLL-n6MrcoM

Welcome

Website counter
website hit counter
website hit counters

Friday, June 22, 2012

विधायकों के खरीददार बहुगुणा

विधायकों के खरीददार बहुगुणा



किरन मंडल द्वारा दी गई चोट से आहत भारतीय जनता पार्टी ने मुख्यमंत्री विजय बहुगुणा एवं उनके सहयोगियों पर किरन मंडल को दस करोड़ में खरीदने के आरोप लगाए हैं. कांग्रेस उन विधायकों पर डोरे डालने लगी जो राजनीति की पाठशाला में 'नए-नवेले' हैं...

मनु मनस्वी

उत्तराखंड की बहुगुणा सरकार जिस तरह लोकतंत्र की आड़ में नंगई पर उतर आई है, उससे इतना तो तय हो गया है कि सोनियाई करिश्मे की बदौलत उत्तराखंड की सत्ता पर एचएनबी (हेमवती नंदन बहुगुणा) के वारिस के रूप में काबिज विजय बहुगुणा से उत्तराखंड की बेहतरी की कोई उम्मीद पालना बेमानी ही होगा.

vijay-bahuguna

उत्तराखंड विधानसभा चुनावों में मात्र एक अंक की बढ़त के चलते सत्ता पर काबिज हुई कांग्रेस के आते ही जनता समझ गई थी कि अब प्रदेश में भी वही सब होगा, जो अब तक हर जगह कांग्रेसी राज में होता आया है. सरकार भ्रष्टाचार पर अंकुश लगाने के दावे करती रहेगी और 'ले-देकर' सब काम भी बनते रहेंगे. पूरे पांच साल निकल जाएंगे और तब पता चलेगा कि इन पांच सालों में कुछ हुआ ही नहीं. 

अब तक इस सरकार ने जोड़-तोड़ की जो गंदी सियासत की है, उससे यकीनन कहा जा सकता है कि बहुगुणा प्रदेश (और संभवतः देश के भी) के सबसे खतरनाक मुखिया साबित होंगे. उनको मुखिया बनाए जाने के पीछे उनकी जिस स्वच्छ छवि को कारण बताया जा रहा था, उसकी कलई उनके मुख्यमंत्री बनते ही खुलने लगी. बहुगुणा जिस तरह विधायकों की बोली लगा रहे हैं, उससे तो वे सियासतदां कम, व्यापारी ज्यादा साबित हो रहे हैं. 

बहुगुणा ने सबसे पहले तबादला एक्ट निरस्त किया. सभी जानते हैं कि उत्तराखंड में तबादला एक ऐसे उद्योग का रूप ले चुका है, जहां हींग भी नहीं लगती और रंग के तो कहने ही क्या....... जनरल खंडूड़ी ने एक्ट बनाकर इस उद्योग को बंद करने की जो थेड़ी-बहुत कोशिश की थी, उसे बहुगुणा ने ताबूत में डालकर आखिरी कील भी ठोक डाली. 

इसके बार बहुगुणा ने अपना कुनबा बढ़ाने के लिए भानुमति का पिटारा जोड़ बसपा और निर्दलीयों को लालच देकर अपने पाले में कर लिया, जिससे सरकार बनाने की तमन्ना संजो रही भाजपा बैकफुट पर आ गई. इसके बाद किरन मंडल प्रकरण में सियासत की असली शक्ल जनता को दिखी और जनता को समझ आया कि क्यों राजनीति को कीचड़ समझा जाने लगा है. 

किरन मंडल द्वारा दी गई चोट से आहत भारतीय जनता पार्टी ने मुख्यमंत्री विजय बहुगुणा एवं उनके सहयोगियों पर किरन मंडल को दस करोड़ में खरीदने के आरोप लगाए हैं. यही नहीं, कांग्रेस की भूख इतने भी से शांत नहीं हुई और वह भाजपा के उन विधायकों पर डोरे डालने लगी जो राजनीति की पाठशाला में 'नए-नवेले' हैं. कांग्रेस की भूख इसलिए भी बढ़ रही है, क्योंकि वह निर्दलीयों और बसपाइयों के सहारे के बिना चलना चाहती है, ताकि मालकटाई के खेल में ज्यादा हिस्सेदार न हों.

बहरहाल खेल अभी जारी है. आगे अभी सियासत की और भी गंदली तस्वीर दिखाई दे, तो हैरान न होइएगा. सियासत का ये ही स्वरूप है, और सार्वभौमिक सत्य भी यही है.

manu-manasvee

मनु मनस्वी पत्रकार हैं.

No comments:

Related Posts Plugin for WordPress, Blogger...