BAMCEF UNIFICATION CONFERENCE 7

Published on 10 Mar 2013 ALL INDIA BAMCEF UNIFICATION CONFERENCE HELD AT Dr.B. R. AMBEDKAR BHAVAN,DADAR,MUMBAI ON 2ND AND 3RD MARCH 2013. Mr.PALASH BISWAS (JOURNALIST -KOLKATA) DELIVERING HER SPEECH. http://www.youtube.com/watch?v=oLL-n6MrcoM http://youtu.be/oLL-n6MrcoM

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Friday, May 4, 2012

मौत एक कलाकार और मैथिली आंदोलनकारी की

मौत एक कलाकार और मैथिली आंदोलनकारी की

Friday, 04 May 2012 11:41

युवराज घिमिरे और संतोष सिंह काठमांडो, 4 मई। बिहार से सटे नेपाल के जनकपुर में तीस अप्रैल को हुए बम धमाके के शिकार हुए पांच लोगों में रंजू झा भी थी। रंजू स्थानीय कला और थिएटर की दुनिया में एक जाना-माना नाम था। वह नेपाली और मैथिली टेलिविजन धारावाहिकों की एक उम्दा कलाकार थी। साथ ही नुक्कड़ नाटकों के लिए मशहूर थी। पृथक मिथिला राज्य के आंदोलन में भी उसकी सक्रिय भागीदारी थी और क्षेत्रीय फिल्म उद्योग में भी पहचान बन रही थी।
पैंतीस साल की इस कलाकार की मौत उस समय हुई जब रामानंद चौक में पृथक मिथिला के लिए आयोजित राजनीतिक धरने के दौरान एक मोटरसाइकिल बम से धमाका किया गया। रंजू ने  57 सांस्कृतिक, साहित्यिक और थिएटर समूह के नुमाइंदोंके साथ एकजुटता जताने के लिए इस धरने में शिरकत की थी। 
नेपाल की राजनीति में बंद और हिंसा के मौजूदा दौर से अलग मिथिला आंदोलन पूरी तरह शांतिपूर्ण रहा है। पृथक मिथिलांचल के लिए  इस आंदोलन की शुरुआत उत्तरी बिहार में सत्तर के दशक में हुई थी। लेकिन यह नेपाल तक ही सीमित रहा। इसकी मांग थी कि समृद्ध मैथिली संस्कृति के संरक्षण और विकास पर ध्यान दिया जाए। 2006 में इस आंदोलन ने जोर पकड़ा और यह मांग जातीयता के आधार पर अलग राज्य के रूप में सामने आई। बाद में मैथिली भाषा और संस्कृति के आंदोलनकारियों ने अपनी मांग मनवाने के लिए मिथिला राज्य संघर्ष समिति का गठन किया। 
जिस धरने में रंजू शामिल हुई थी, उसका आयोजन माओवादी नेता प्रचंड के उस बयान के बाद किया गया जिसमें कहा गया था कि उनकी पार्टी दस राज्यों के गठन का समर्थन करेगी, लेकिन इसमें मिथिला के लिए कोई जगह नहीं थी। जनकपुर में बैठक के दौरान संघर्ष समिति के संयोजक परमानंद कापड़ी ने कहा कि हमें माओवादियों, मधेसी समूहों और अन्य दलों ने

धोखा दिया है। हमें अपनी संस्कृति और संस्कृति पर आधारित राज्य के लिए लड़ाई जारी रखनी होगी। कापड़ी इस विस्फोट मेंजख्मी हो गए थे और इस समय काठमाडोÞ के अस्पताल में भरती हैं।
धरने के आयोजकों के अनुसार समिति मधेसियों की इस मांग से असहमत थी जिसमें कहा गया था कि एक मधेस औरएक प्रदेश, जिसमें मिथिला क्षेत्र के लिए खास जगह नहीं थी। हालांकि मैथिली तराई के काफी बड़े हिस्से में बोली जाती है।
हादसे में मारी गई रंजू जन्मजात कलाकार थी, हालांकि उसने अभिनय का कोई औपचारिक प्रशिक्षण नहीं लिया था। एक साधारण परिवार में जन्मी इस कलाकार ने अपनी पढ़ाई गांव के स्कूल में की। दस साल पहले उसने  जनकपुर की मशहूर थिएटर शख्सीयत महेंद्र मलंगिया से संपर्क  किया और कहा कि वे उसे अपने नाटक कथालोक में गाने का मौका दें।
लेकिन उसने जितना मांगा था, उससे ज्यादा मिल गया। मलंगिया ने नाटक में मुख्य भूमिका देने की पेशकश की। इसके बाद रंजू ने मुड़कर नहीं देखा। एक सामान्य मैथिली युवती अपनी सुरीली आवाज के साथ सितारों में शुमार होने लगी। बाद में रंजू ने
नेपाल के सर्वाधिक कामयाब कलाकार मदन कृष्ण और हरिवंश के साथ सीरियल सृष्टि और कथा मिथो सारंगिको में काम किया जिसे बीबीसी मीडिया एक्शन ने प्रस्तुत किया था।
रंजू ने दीपक रौनियार के निर्देशन में बनी फिल्म चौकथी में भी काम किया, जिसकी काफी तारीफ हुई थी। उसने कई मैथिली नाटकों में काम किया और काठमांडो और गैर-मैथिली क्षेत्रों में मैथिली नाटकों को लोकप्रियता दिलाने में अहम किरदार अदा किया। रंजू की अन्य फिल्में हैं-आन के अांचल, ममता गवाई गीत, सेनुर सस्ता जिंदी महग सेनुर और पिया करब गोहार। 
रंजू के पिता तारकेश्वर झा कहते हैं: मेरी बेटी मिथिलांचल के मकसद से जुड़ी थी और जाना-पहचाना चेहरा होने के कारण उसे निशाना बनाया गया। रंजू का भाई पंकज बंगलौर में साफ्टवेयर इंजीनियर है।

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