BAMCEF UNIFICATION CONFERENCE 7

Published on 10 Mar 2013 ALL INDIA BAMCEF UNIFICATION CONFERENCE HELD AT Dr.B. R. AMBEDKAR BHAVAN,DADAR,MUMBAI ON 2ND AND 3RD MARCH 2013. Mr.PALASH BISWAS (JOURNALIST -KOLKATA) DELIVERING HER SPEECH. http://www.youtube.com/watch?v=oLL-n6MrcoM http://youtu.be/oLL-n6MrcoM

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Thursday, October 8, 2015

‘गुलाबी क्रान्ति’ और भारत सरकार का दोहरापन

'गुलाबी क्रान्ति' और भारत सरकार का दोहरापन

Posted by Reyaz-ul-haque on 10/08/2015 11:58:00 AM


अर्जुन प्रसाद सिंह

हमारे देश में बीफ (गाय एवं अन्य पशुओं के मांस) का उत्पादन एवं व्यापार काफी अरसे से होता आ रहा है। बीफ भारतवासियों के एक बड़े हिस्से (हिन्दू-मुस्लिम समेत) के भोज्य सामग्री में शामिल रहा है। बीफ उत्पादन एवं उससे जुड़े हुए उद्योगों में हमारे देश की अच्छी खासी आबादी, जिनमें 50 प्रतिशत से अधिक हिन्दू हैं, को रोजगार मिला हुआ है। यूपीए की मनमोहन सरकार के कार्यकाल के दौरान बीफ के उत्पादन, उपभोग एवं व्यापार को काफी प्रोत्साहित किया गया, जिसे 'गुलाबी क्रान्ति' (Pink Revolution) के रूप में प्रचारित भी किया गया। फलस्वरूप, बीफ के निर्यात में भारत विश्व में दूसरे नम्बर (पहले नम्बर पर ब्राजील) पर आ गया। इसके बाद भाजपा, विश्व हिन्दू परिषद्, आर.एस.एस. एवं हिन्दुत्व की अन्य ताकतों ने मनमोहन सरकार को निशाने पर लेना शुरू किया। उन्होंने आरोप लगाया कि कांग्रेस नीत संप्रग सरकार गोहत्या को बढ़ावा दे रही है। नरेन्द्र मोदी ने भी 2014 के लोकसभा चुनाव के दौरान मनमोहन सरकार की 'गुलाबी क्रान्ति' और बीफ निर्यात का विरोध किया। 

लेकिन जब मई 2014 में नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में राजग सरकार ने केन्द्र की सत्ता संभाली तो उनके तेवर बदल गए। मोदी सरकार ने भी बीफ के उत्पादन, उपभोग एवं व्यापार पर काफी जोर दिया। इसने अपने पहले बजट में नये बूचड़खाने बनाने एवं पुरानों के आधुनिकीकरण करने के लिए 15 करोड़ रुपए की सब्सिडी देने का प्रावधान किया। नजीजतन, इस सरकार के मात्र एक साल के कार्यकाल (2014-15) के दौरान भारत ने बीफ निर्यात में ब्राजील को पीछे छोड़ दिया और वह नम्बर वन हो गया। हाल में जारी की गई अमेरिकी कृषि विभाग की एक रिपोर्ट के अनुसार भारत ने 2015 में कुल 24 लाख टन बीफ का निर्यात किया (जो वैश्विक बीफ निर्यात का 58.7 प्रतिशत होता है), जबकि ब्राजील ने केवल 2 मिलियन टन का।

पाठकों को यह जानकर आश्चर्य होगा कि हमारे देश की 6 सबसे बड़ी बीफ निर्यातक कम्पनियों में से 4 के मालिक ब्राह्मण हैं। इन कम्पनियों के नाम एवं पते इस प्रकार हैं: 
 

(1) अल-कबीर एक्सपोटर्स प्राइवेट लिमिटेड
मालिक-सतीश एवं अतुल सभरवाल, 92, जॉली मेकर्स, मुम्बई-400021; 
 

(2) अरबियन एक्सपोटर्स प्राइवेट लिमिटेड
मालिक-सुनील कपूर, रूजन मेन्शन्स, मुम्बई-400001; 
 

(3)  एम. के. आर. फ्रोजेन फूड एक्सपोटर्स प्राइवेट लिमिटेड
मालिक-मदन एबॉट, एम. जी. रोड, जनपथ, नई दिल्ली-110001 और 
 

(4) पी. एम. एल. इण्डस्ट्रीज प्राइवेट लिमिटेड, 
मालिक-ए. एस. बिन्द्रा, एस. सी. ओ. 62-63, सेक्टर-34, चण्डीगढ़-160022। 

ज्ञातव्य है कि ब्राह्मणों के मालिकाने में कार्यरत मुस्लिम नामों वाली इन बीफ कम्पनियों को गोवध कराने एवं गोमांस का निर्यात करने में भी महारत है। सवाल उठता है कि क्या हिन्दुत्व ताकतें और मोदी सरकार इन कम्पनियों पर कार्रवाई करने की हिम्मत रखती हैं? इसका सीधा सा जवाब होगा, 'बिल्कुल नहीं'।

हिन्दुत्व ताकतें एवं केन्द्र की मोदी सरकार गोहत्या करने और गोमांस खाने का आरोप लगाकर मुसलमानों पर हमले कर और करवा सकती है, दूसरी ओर बीफ के निर्यातकों को प्रोत्साहित कर विदेशी मुद्रा अर्जित करने जुगत भी लगा सकती हैं। यह हिन्दुत्व की ताकतों एवं उनके नियन्त्रण में चल रही मोदी सरकार के चारित्रिक दोहरेपन को अच्छी तरह स्पष्ट करता है। हालांकि, मोदी सरकार के सत्ता में आने के बाद गाय को संरक्षित और गोमांस को प्रतिबन्धित करने की मांग जोर-शोर से उठने लगी है। एक ओर महाराष्ट्र, हरियाणा एवं  भाजपा शासित कुछ अन्य राज्यों की सरकारों ने गोहत्या प्रतिबन्ध को कड़ाई से लागू करना शुरू कर दिया है और दूसरी ओर हिन्दुत्व की फासीवादी ताकतें गोमांस खाने वाले मुस्लिम समुदाय के लोगों पर जानलेवा हमले भी कर रही हैं। हाल ही में इन दरिन्दों ने दादरी के ग्रामीण इलाके में स्थित बिसहरा गांव में गोमांस खाने का आरोप लगाकर मोहम्मद अख़लाक की पीट-पीट कर हत्या कर दी है और उनके बेटे दानिश को बुरी तरह घायल कर दिया है, जो अस्पताल में जीवन-मौत के बीच झूल रहा है।

मोदी सरकार एक और चारित्रिक दोहरेपन की शिकार है। एक ओर यह बीफ के उत्पादन एवं व्यापार को नियन्त्रित करने के लिए एक नये केन्द्रीय कानून बनाने की बात कर रही है और दूसरी ओर बीफ मिश्रित तरह-तरह के खाद्य पदार्थों को बनाने और बेचने वाली केएफसी, मेकडोनाल्ड, सब वे एवं डोमिनो जैसी विदेशी कम्पनियों को धड़ल्ले से लाइसेन्स दे रही है। ये कम्पनियां हर रोज लाखों जानवरों का वध कराती हैं और अपने भारतीय ग्राहकों (जिनमें ज्यादातर हिन्दू होते हैं) को लजीज बीफ व्यंजन परोस कर करोड़ों रुपए का मुनाफा कमाती हैं। 

ऐसी स्थिति में हमारे देश के प्रबुद्ध समूहों का भी दोहरा दायित्व बनता है - एक ओर मोदी सरकार के इस दोहरेपन और दूसरी ओर हिन्दुत्व ताकतों के साम्प्रदायिक आक्रमण का पर्दाफाश व मुकाबला करना।


(तस्वीर: इंडियन एक्स्प्रेस)

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